30 साल में भारतीयों ने विदेश में जमा किया 34 लाख करोड़ रुपये का काला धन- रिपोर्ट
नई दिल्ली: विदेशों में भारतीयों के काले धन को लेकर एक चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है। देश की तीन दिग्गज संस्थाओं नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनोमिक रिसर्च (एनसीएईआर) नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी ऐंड फाइनेंस (एनआईपीएफपी) और नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनैंशल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) के आकलन में ये पाया गया है कि भारतीयों ने विदेश में 490 अरब डालर यानी 34 लाख करोड़ रुपये का काला धन जमा कर रखा है। वहीं देश में रियल एस्टेट, खनन, तंबाकू / गुटखा, बुलियन, फिल्मों और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में 'निवेश' के रूप में देश के भीतर काले धन को खपाया गया है।
विदेशों में भारतीयों का 34 लाख करोड़ रुपये का काला धन
ये आंकड़ा सोमवार को लोकसभा में वित्त संबंधी स्थायी समिति की पेश की गई रिपोर्ट का हिस्सा था। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक पॉलिसी ऐंड फाइनैंस (एनआईपीएफपी) ने कहा कि साल 1997-2009 के दौरान देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.2 फीसदी से लेकर 7.4 फीसदी तक काला धन विदेश भेजा गया। वहीं नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकनॉमिक रिसर्च (एनसीएईआर) ने अपनी स्टडी में बताया कि भारत से साल 1980 से लेकर 2010 के बीच 26,88,000 लाख करोड़ रुपये से लेकर 34,30,000 करोड़ रुपये का काला धन विदेश भेजा गया। नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनैंशल मैनेजमेंट (एनआईएफएम) ने कहा है कि अर्थव्यवस्था में सुधार (1990-2008) के दौरान लगभग 15,15,300 करोड़ रुपये का काला धन भारत से विदेश भेजा गया।
यूपीए सरकार ने बनाई थी कमेटी
देश और विदेश में भारतीयों द्वारा रखे गए काले धन का अनुमान लगाने के लिए 2011 में यूपीए सरकार द्वारा प्रायोजित संस्थाओं की स्टडी में ये खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट को अभी तक सार्वजनिक नहीं किया गया है। हालांकि यूपीए सरकार के कार्यकाल में इसे जमा कर दिया गया था। गौरतलब है कि साल 2009 के लोकसभा चुनाव में काला धन का मुद्दा प्रमुखता से उठा था। बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने इसे उठाया था।
काले धन पर विश्वनीय आंकड़ा नहीं
कमेटी ने 'स्टेटस ऑफ अनअकाउंटेड इनकम/वेल्थ बोथ इनसाइड ऐंड आउटसाइड द कंट्री-ए क्रिटिकल अनालिसिस' नामक अपनी रिपोर्ट में कहा कि काला धन के पैदा होने या इकट्ठा होने को लेकर कोई विश्वसनीय अनुमान नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अब तक जो भी अनुमान जारी किए गए हैं, उनमें कोई एकरूपता या जांच की पद्धति और दृष्टिकोण के बारे में कोई एक राय नहीं पाई गई है। गौरतलब है कि कांग्रेस नेता एम. वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली इस स्थायी समिति ने 28 मार्च को ही लोकसभा स्पीकर को अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
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