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CAA के तहत नागरिकता देने के लिए UP में 32,000 शरणार्थियों की पहचान

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नई दिल्ली- उत्तर प्रदेश सरकार नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारतीय नागरिकता देने के लिए लोगों की पहचान का काम शुरू कर चुकी है। राज्य सरकार के मुताबिक प्रदेश के 21 जिलों में 32,000 शरणार्थियों की पहचान की गई है और आगे की प्रक्रिया लगातार जारी है। बता दें कि इस कानून का विरोध यूपी में काफी ज्यादा हुआ है, लेकिन फिर भी तीन दिन पहले ही केंद्र सरकार ने सीएए का गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इस कानून के खिलाफ अभी भी विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है, लेकिन केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि वह इससे पीछे नहीं हटने जा रही है।

गृह मंत्रालय से साझा की जाएगी लिस्ट

गृह मंत्रालय से साझा की जाएगी लिस्ट

एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के मुताबिक नए नागरिकता कानून के तहत नागरिकता देने की प्रक्रिया पूरी करने के लिए यूपी के 21 जिलों में अबतक 32,000 लोगों की पहचान की गई है। हालांकि, अभी तक ये साफ नहीं हुआ है कि इसके लिए क्या प्रक्रिया अपनाई गई है। बता दें कि तीन दिन पहले ही नए कानून को लागू करने के लिए गजेट नोटिफिकेशन जारी हुआ है। इसे लागू करने से संबंधित नियम बनाए जाने भी अभी बाकी हैं। यूपी सरकार के प्रवक्ता और मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा है, 'हम इसके लिए जल्दबाजी में नहीं हैं। हमनें इसे अभी शुरू किया है। जैसे ही कानून लागू हो गया है, हमें आगे बढ़ते रहने की जरूरत है, ठीक?' शर्मा के मुताबिक, 'ये प्रक्रिया जारी है, आंकड़े अपडेट होते रहेंगे। सभी जिलाधिकारियों से सर्वे करने और अपडेट करते रहने के लिए कहा गया है। हम इस लिस्ट को केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ साझा करने की भी प्रक्रिया में हैं।'

पहचाने के लोग पीलीभीत के रहने वाले?

पहचाने के लोग पीलीभीत के रहने वाले?

प्रदेश में इसके लिए अभी तक जितने लोगो की पहचान हुई है, उनमें से एक हिस्सा पीलीभीत में रह रहे लोगों का मालूम होता है। यूपी का ये जिला राजधानी लखनऊ से 260 किलोमीटर दूर भारत-नेपाल सीमा के करीब है। यहां के जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने शुक्रवार को ही स्थानीय पत्रकारों से कहा था कि बांग्लादेश और पहले के पूर्वी पाकिस्तान से आने वाले 37,000 शरणार्थियों की 'शुरुआती सर्वे' में पहचान की गई है और उनके नाम राज्य सरकार को भेजे गए हैं। उन्होंने कहा है, 'शुरुआती जांच से ये पता चला है कि अपने देशों से ये धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पीलीभीत आए थे।' हालांकि, आंकड़े में जो फर्क आया है, उसके बारे में जो अंतर आया है उसके बारे में कोई भी स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है।
(नीचे की तस्वीर प्रतीकात्मक)

शरणार्थी जता रहे हैं खुशी

शरणार्थी जता रहे हैं खुशी

उत्तर प्रदेश सरकार की इस पहल से पीलीभीत में दशकों से रह रहे ऐसे शरणार्थियों में एक उम्मीद जगी है। 1960 में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आए एक परिवार के सदस्य ने ऐसी ही भावना जाहिर की है। पीलीभीत में रह रहे कालिबाद हलदर ने कहा है, 'मैं खुश हूं कि सरकार ने हमारी ओर एक अनुकूल तरीके से देखने का फैसला किया है। इससे हमारे जैसे लोगों में एक उम्मीद जगती है।' इनका परिवार शुरू में तो महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के बीच चक्कर काटता रहा,लेकिन आखिरकार 1984 में पीलीभीत आ गया।

सीएए के खिलाफ यूपी में हुई थी हिंसा

सीएए के खिलाफ यूपी में हुई थी हिंसा

बता दें कि नए कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश में बहुत ही ज्यादा हिंसा देखी गई थी। एक अनुमान के मुताबिक पिछले महीने हुई हिंसक घटनाओं में 21 लोगों की मौत हो गई और 300 से ज्यादा पुलिसकर्मी जख्मी हो गए थे। लेकिन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह साफ कर चुके हैं कि इस कानून को वापस लेने का कोई विचार नहीं है। यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक उत्पीड़न का शिकार होकर भारत आने वाले हिंदू, क्रिश्चियन, जैन, बौद्ध और पारसी समुदाय के लोगों को नागरिकता पाने का हक देता है, बशर्ते कि वे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत आकर रह रहे हों।

इसे भी पढ़ें- शिवसेना ने दिए संकेत, महाराष्ट्र में भी नहीं लागू होगा CAA!इसे भी पढ़ें- शिवसेना ने दिए संकेत, महाराष्ट्र में भी नहीं लागू होगा CAA!

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English summary
32,000 refugees identified in UP for granting citizenship under CAA
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