जस्टिस लोया केस: बिना कारण बताए तीन दिन में नागपुर हाईकोर्ट के तीन जजों ने किया खुद को केस से अलग
मुंबई। विशेष सीबीआई जज बी एच लोया की विवादास्पद मौत के मामले में दायर एक याचिका पर पिछले तीन दिनों के अंदर तीन जजों ने सुनवाई से इनकार करते हुए खुद को अलग कर लिया है। याचिका में दावा किया गया है कि जज लोया की मौत रेडियोएक्टिव आईसोटोप के जहर से हुई थी। विशेष सीबीआई अदालत के जज बीएच लोया की संदिग्ध मौत के मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई से बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच के तीन जजों ने खुद को अलग कर लिया है।
नागपुर हाईकोर्ट में वकील संजय उइके द्वारा दायर इस याचिका पर बुधवार को जस्टिस स्वपना जोशी ने बिना कोई कारण बताए सुनवाई से इनकार कर दिया। इससे दो दिन पहले जस्टिस एस पी शुक्रे और जस्टिस एस एम मोदक ने भी सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। सोमवार को जस्टिस शुक्रे और जस्टिस मोदक की पीठ ने भी सुनवाई से इनकार करते हुए कोई वजह नहीं बताई। उन्होंने केवल इतना कहा, "हम सुनवाई नहीं करेंगे।" आपको बता दें कि सोहराबुद्दीन कथित फर्जी मुठभेड़ मामले, जिसमें भाजपा प्रमुख अमित शाह और कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी आरोपी थे, की सुनवाई कर रहे लोया की नागपुर में 'रवि भवन' के एक सरकारी गेस्ट हाउस में ठहरने के दौरान 2014 में दिल का दौरा पड़ने से मौत हो गई थी।
कथित फर्जी मुठभेड़ के समय गुजरात के गृह मंत्री रहे शाह को बाद में मामले में आरोप मुक्त कर दिया गया था। न्यूज वेबसाइट द प्रिंट के अनुसार, याचिकाकर्ता संजय उइके ने बताया कि सुनवाई से खुद को अलग करने वाले जजों ने कहा कि उनके नाम जज लोया की मौत से जुड़ी घटनाओं में चर्चा में रहा था, इसलिए उनके द्वारा याचिका पर सुनवाई करना उचित नहीं होगा।अपनी याचिका में उइके ने कहा है कि मार्च 2015 में अपने नागपुर दौरे के दौरान बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने परमाणु उर्जा आयोग के अध्यक्ष रतन कुमार सिन्हा से मुलाकात की थी। उन्होंने दावा किया है कि इस मुलाकात के सभी आधिकारिक रिकॉर्ड मिटा दिए गए हैं। उइके के अनुसार शाह की यह मुलाकात इस बात का सबूत है कि लोया की मौत रेडियोएक्टिव जहर से हुई थी।