2जी: इस फॉर्मूले से विनोद राय ने 1.76 लाख करोड़ रुपये के घोटाले का लगाया था अनुमान
नई दिल्ली। 2जी घोटाले में सभी आरोपियों के बरी होने के बाद अब कांग्रेस काफी आक्रामक हो गई है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस घोटाले से उस समय की यूपीए सरकार की साख पर बट्टा लगा था और उसे आम चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा था। अब कांग्रेस ने पूरे घोटाले को कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश बताया है और पीएम मोदी से देश की जनता से माफी मांगने की मांग की है। इसके अलावा पार्टी ने पूर्व सीएजी विनोद राय और TRAI के पूर्व चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा की भूमिका पर भी सवाल उठाए हैं। कांग्रेस का कहना है कि विनोद राय पर इसके लिए मुकदमा चलना चाहिए। आपको बता दें कि राय वही शख्स हैं, जिन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम को बड़ा घोटाला करार दिया था।
कांग्रेस नेता टॉम वडक्कन ने कहा, 'एक अंधा भी देख सकता है। आप जानते हैं कि पूर्व सीएजी प्रमुख सरकार के मजबूत सलाहकारों में से एक हैं जो कई बोर्ड और संस्थानों से भी जुड़े हैं। उन्होंने जो किया उसके लिए उन्हें पुरस्कृत किया जा रहा है। ये सीएजी के कार्यालय पर हमेशा के लिए एक काला धब्बा रहेगा।' कांग्रेस ने 2जी पर स्पेशल सीबीआई कोर्ट के फैसले के बाद सोशल मीडिया पर भी आक्रामक अभियान की शुरुआत की है। 2जी घोटाले को कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश बताते हुए कांग्रेस ने कहा कि क्या यह बीजेपी और 2 अन्य की साजिश थी?
2 अन्य से कांग्रेस का आशय पूर्व CAG विनोद राय और TRAI के पूर्व चेयरमैन नृपेंद्र मिश्रा से है। कांग्रेस ने ट्वीट कर विनोद राय और नृपेंद्र मिश्रा की भूमिका को लेकर सवाल उठाया है। कांग्रेस ने लिखा है, 'क्या यह बीजेपी और 2 अन्य की साजिश थी?' कांग्रेस ने कहा है कि सीएजी विनोद राय की रिपोर्ट मीडिया में लीक की गई जिसमें दावा किया गया कि 2 जी स्कैम से देश के खजाने को 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। अब सच सामने है। पार्टी ने कहा कि CAG की रिपोर्ट को संसद की पब्लिक अकाउंट कमिटी के सामने पेश नहीं किया गया, उससे पहले ही उसे मीडिया में लीक किया गया। पार्टी ने कहा कि इस 'साजिश' की वजह से टेलिकॉम सेक्टर मुश्किल में पड़ गया और एक ऐसी इंडस्ट्री बीमार हो गई जो लाभयोग्य थी।
इस फॉर्मूले का हुआ इस्तेमाल
पीएमओ समेत सभी संबंधित विभागों ने 2001 में प्रवेश शुल्क के लिए 2008 में नए ऑपरेटरों के लिए आवेदन किया था। डीओटी ने इस तरह की सलाह के खिलाफ, 2001 में प्रवेश शुल्क पर शुल्क लगाने का फैसला किया, यहां तक कि यूनिफाइड के तहत नए लाइसेंसधारियों के लिए एक्सेस सेवा (यूएएस) बनाया गया। 2001 में एक अखिल भारतीय यूएएस लाइसेंस के लिए प्रवेश शुल्क 1,651 करोड़ रुपये का था। 2001 में 3.58 से 2008 में 26.22 तक 3.58 की तीव्रता में तेजी से बदलाव किया गया जो सबके लिए लागे था।
2008 में हुआ था 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन
2010 में बतौर सीएजी अध्यक्ष उन्होंने अपनी रिपोर्ट में 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन में घोटाले की बात सामने लाई थी। उन्होंने कहा था कि सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचाया गया है। राय ने सीएजी की रिपोर्ट में कहा था कि 2जी आवंटन में 1 लाख 76 हजार करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। 2008 में उस समय की यूपीए सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम का आवंटन किया था।
IAS के तौर पर करियर की शुरूआत
विनोद राय ने दिल्ली विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में एमए करने के बाद प्रतिष्ठित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री हासिल की। इसके बाद देश की प्रतिष्ठित सिविल सर्विस के लिए उनका चयन हुआ। 1972 बैच के आईएएस विनोद राय की पहली पोस्टिंग नागालैंड के कोहिमा में हुई थी। इसके बाद राय केरल कैडर में चले गए, जहां उन्होंने लगभग तीन दशकों तक काम किया। केरल के थ्रिसूर जिले में उन्होंने सबसे लंबा समय 8 साल तक बिताया। बाद में उन्हें केरल का मुख्य सचिव (वित्त) भी बनाया गया। कई अहम पदों पर काम करने के बाद वे सीएजी तक पहुंचे। भारत सरकार की तरफ से उन्हें पद्म भूषण सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है।