यूपी की जेलों में बंद है सैकड़ों कश्मीरी, बने हैं अलग बैरक और परिजनों को नहीं है मिलने की परमिशन
लखनऊ: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटे हुए एक महीने से ऊपर हो गया है। उत्तर प्रदेश की जेलों में कश्मीर के 285 लोग बंद है। इन लोगों से उनके परिजनों को भी मिलने की परमिशन नहीं है। पिछले शुक्रवार को पुलवामा निवासी गुलाम अपने बेटे से मिलने के लिए आगरा की जेल पहुंचे। उनके 35 साल के बेटे जो उपदेशक का काम करते हैं, वो अगस्त के पहले हफ्ते से सेंट्रल जेल में बंद है। उन्होंने अपने बेटे से मिलने के लिए श्रीनगर से दिल्ली तक की लंबी यात्रा की। उनकी यात्रा निराशा में तब्दील हो गई, जब उनसे कहा गया कि उनके पास जम्मू-कश्मीर पुलिस का सत्यापन पत्र नहीं है। ये लेटर जेल अधिकारियों को दिखाना जरूरी था।
यूपी की जेल में बंद कश्मीरियों से नहीं मिल सकते परिजन
गुलाम का बेटा उन 285 लोगों में शामिल है, जिन्हें कश्मीर घाटी से गिरफ्तार कर यूपी में हिरासत में रखा गया है। मोदी सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के बाद आगरा में 85 कश्मीरी बंद हैं। शुक्रवार को 29 लोगों के नए बैच को आगरा में ट्रासंफर किया गया था। जेल अधिकारियों के मुताबिक अधिकांश कैदियों की उम्र 18 से 45 के बीच में है। इनमें से कुछ की उम्र 50 से अधिक हैं। सूत्रों ने बताया कि ये विविध पृष्ठभूमि से हैं। इन लोगों में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के राजनेता, कॉलेज छात्र, पीएचडी विद्वान, इस्लामिक उपदेशक, शिक्षक, टॉप स्तर के व्यापारी और यहां तक की कश्मीरी युवाओं का प्रतिनिधित्व कर रहे सुप्रीम कोर्ट के एक वकील तक शामिल हैं।
85 कैदी आगरा में बंद
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए आगरा जोन के डीआईजी (जेल) संजीव त्रिपाठी ने कहा कि कैदियों को कश्मीर की विभिन्न जेलों में लाया गया है। मौजूदा वक्त में 85 कैदी आगरा की सेंट्रल जेल में बंद है। इन्हें उच्च सुरक्षा के घेरे में यहां भेजा गया और इसके लिए यातायात को डाइवर्ट करना पड़ा। ये संभव है कि और कैदियों को यहां लाया जाए। इनके परिवार के सदस्यों को उचित सत्यापन के बाद आने वाले हफ्तों में उनसे मिलने की अनुमति दी जाएगी। उन्हें जेल में शिफ्ट करने के लिए कोई अन्य परिवर्तन नहीं किया गया है।
आगरा में शिफ्ट हो सकते हैं और कैदी
इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत करते हुए आगरा जोन के डीआईजी (जेल) संजीव त्रिपाठी ने कहा कि कैदियों को कश्मीर की विभिन्न जेलों में लाया गया है। मौजूदा वक्त में 85 कैदी आगरा की सेंट्रल जेल में बंद है। इन्हें उच्च सुरक्षा के घेरे में यहां भेजा गया और इसके लिए यातायात को डाइवर्ट करना पड़ा। ये संभव है कि और कैदियों को यहां लाया जाए। इनके परिवार के सदस्यों को उचित सत्यापन के बाद आने वाले हफ्तों में उनसे मिलने की अनुमति दी जाएगी। उन्हें जेल में शिफ्ट करने के लिए कोई अन्य परिवर्तन नहीं किया गया है।
कश्मीरी कैदियों के अलग बैरक
जेल अधिकारी ने बताया कि कश्मीरी कैदियों के लिए अलग बैरक है, जो अन्य कैदियों से अलग है। इनकी एक सामान्य मांग है कि इन्हें अंग्रजी अखबार उपलब्ध कराए जाएं। उन्होंने बताया कि उन्हें अन्य कैदियों की तरह सामान्य खाना दिया जा रहा है और उन्हें जेल परिसर के भीतर बने फील्ड में जाने की परमिशन है। हालांकि गुलाम जैसे लोगों के लिए ये बहुत कम सांत्वना है। गुलाम के साथ गए उनके रिश्तेदार रईस ने कहा कि हमने इतनी लंबी यात्रा की और करीब 20 हजार रुपये किराए में खर्च कर दिए। मगर हमें किसी ने वेरिफिकेशन लेटर के बारे में नहीं बताया। चूंकि वहां फोन और इंटरनेट काम नहीं कर रहे हैं, इसलिए हम फोन कर उनसे लेटर फैक्स करने के लिए भी नहीं कह सके। अब कागज के उस टुकड़े के लाने के लिए वापस जाने और आने के लिए हजारों रुपए खर्च करने होंगे।
अनुच्छेद 370 हटने के बाद गिरफ्तारी
रईस के अनुसार गुलाम का बेटा राजनीतिक रूप से सक्रिय था, लेकिन किसी भी गैरकानूनी गतिविधि में शामिल नहीं था। उसे पांच अगस्त की शाम दो पुलिस वाहनों में आए लोगों ने पकड़ लिया। हमें बताया कि गया कि उसे पब्लिक सेफ्टी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है। हमने तब से अबतक उसे नहीं देखा है। उसकी दो महीने की बेटी है जो अपने पिता का घर लौटने का इंतजार कर रही है। पिछले शुक्रवार को आगरा की जेल में रखे गए एक कश्मीरी छात्र के रिश्तेदार हुसैन ने बताया कि इतनी यात्राओं की वजह से जल्द उनका परिवार कर्ज में डूब जाएगा। वो एक छात्र है और उसका ट्रैक रिकॉर्ड साफ है। उसके खिलाफ कोई केस भी नहीं है। हम गरीब लोग हैं और वापस लौटने का जोखिम नहीं उठा सकते। हमारे पास हमारे आधार कार्ड हैं, लेकिन हम सुन रहे हैं कि यह पर्याप्त नहीं है। अधिकारियों ने कहा कि आगरा सेंट्रल जेल में वर्तमान में कुल 1,933 कैदी हैं, जबकि जेल की क्षमता केवल 1,350 है। जेल स्टाफ के अलावा, 92 पुलिसकर्मी इस सुविधा की सुरक्षा करते हैं।