मुंबई की झुग्गी में जन्मीं, ट्रैफिक सिग्नल पर बेचे फूल, अब अमेरिका से मिला ये ऑफऱ, पढ़ें सरिता माली की कहानी
मुंबई। 28 साल की सरिता माली की कहानी इन दिनों सोशल मीडिया पर छाई हुई है। अभावों की जिंदगी से सफलता की ओर बढ़ रही सरिता रियल हीरो के तौर पर सोशल मीडिया पर छाईं हुई हैं। लोग उनकी तारीफों के पुल बांध रहे हैं। मुंबई की झुग्गी में जन्मीं सरिता ने पेट भरने के लिए टैफिक सिग्नल पर फूल बेचने का काम किया। पढ़ाई का खर्च उठाने के लिए ट्यूशन पढ़ाया और अब वो अमेरिका जाकर अपना सपना पूरा करने वाली है। सरिता ने अपने फेसबुक पोस्ट के जरिए अपनी कहानी बयां की है, जिसके बाद से ये कहानी वायरल हो गई है।

कौन हैं सरिता माली
मूल रूप से जौनपुर की रहने वाली सरिता माली का परिवार मुंबई में रहता है। 28 साल की सरिता के पिता काम की तलाश में मुंबई आ गए थे। वहां मजदूरी करके किसी तरह परिवार को भरण पोषण करते हैं। सरिता का जन्म भी मुंबई के झोपड़पट्टी में हुआ। पिता का बोझ कम करने के लिए वो उनके साथ ट्रैफिक सिग्नल पर फूल बेचने जाया करती थी। स्लम के पास के ही सरकारी स्कूल में पढ़ाई करती थी। थोड़ी बड़ी हुई तो छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी।

ट्रैफिक सिग्नल पर बेचा करती थी फूल
सरिता के परिवार में 6 लोग थे। 10 बाई 12 के कमरे में पूरा परिवार रहता था। पिता रामसूरत माली पूरा दिन मजदूरी करते थे और सरिता उनका हाथ बंटाने के लिए बच्चों को ट्यूशन पढ़ाती, सिग्नल पर फूल बेचा करती थी। इन ट्यूशन के पैसों से उनसे ग्रेजुएशन में दाखिला लिया। परिवार में मां सरोज माली के अलावा दो भाई और एक बहन भी हैं। सरिता परिवार के बोझ को कम करने और अपनी पढ़ाई को जारी रखने के लिए ट्यूशन पढ़ाती। पढ़ाई में सरिता काफी अच्छी थी। उनकी लगन ने उसे दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय तक पहुंचा दिया। हिंदी में स्नातक, फिर पीएचडी किया, लेकिन अब उसकी जिंदगी में खूबसूरत मोड़ आ गया है।

अमेरिका में मिली फेलोशिप
साल
2014
में
सरिता
को
दिल्ली
के
जवाहर
लाल
विश्वविद्यालय
में
दाखिला
मिल
गया,
जिसके
बाद
उसकी
दुनिया
बदल
गई।
सरिता
खुद
बताती
हैं
कि
जेएनयू
आने
के
बाद
देश
और
दुनिया
के
बारे
में
नजरिया
बदल
गया।
उन्होंने
लिखा
कि
जेएनयू
के
शानदार
अकादमिक
जगत,
शिक्षकों
और
प्रगतिशील
छात्र
राजनीति
ने
मुझे
देश
को
सही
अर्थों
में
समझना
सिखाया
और
समाज
को
देखने
के
मेरे
नजरिए
को
बदल
दिया।
सरिता
को
अमेरिका
की
दो
यूनिवर्सिटीज
ने
फेलोशिप
ऑफर
की
है।
उन्हें
यूनिवर्सिटी
ऑफ
कैलिफोर्निया
और
यूनिवर्सिटी
ऑफ
वॉशिंगटन
से
फेलोशिप
ऑफर
की
गई
है,
लेकिन
सरिता
ने
यूनिवर्सिटी
ऑफ
कैलिफोर्निया
को
चुना
है।

वायरल हो रहा है पोस्ट
सरिता
ने
अपनी
इस
कहानी
को
फेसबुक
पोस्ट
पर
लिखा,
जिके
बाद
से
उनकी
ये
कहानी
खूब
वायरल
हो
रही
है।
लोग
उन्हें
बधाई
दे
रहे
हैं,
उनके
लगन,
उनकी
कोशिशों
की
तारीफ
कर
रहे
हैं।
वहीं
अपनी
सफलता
से
सरिता
भी
बेहद
खुश
हैं।
उन्होंने
कहा
कि
उनके
मेरिट
और
अकेडमिक
रिकॉर्ड
के
आधार
पर
ये
फेलोशिप
मिली
है।