27 साल बाद हुआ है रेगिस्तानी टिड्डियों का इतना बड़ा हमला, इन टिड्डियों के बारे में पूरी बात जानिए
नई दिल्ली- देश के कई उत्तरी और पश्चिमी राज्य इस समय समय टिड्डियों के हमले का कहर झेल रहे हैं। टिड्डियों का हमला तो यूं हर साल होता है, लेकिन 27 साल बाद पाकिस्तान और ईरान के रेगिस्तानी इलाकों से टिड्डियों ने भारतीय इलाकों में इतना बड़ा हमला किया है। सबसे बड़ी बात ये है कि इस साल टिड्डियों ने समय से पहले ही आक्रमण शुरू कर दिया है, जिसके बारे में जानकार बता रहे हैं कि उन्हें ऐसा आदर्श वातावरण मिला है, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता बहुत ज्यादा बढ़ गई है, इसलिए लाखों-लाख टिड्डी दल भारतीय इलाकों में खड़ी फसलों को तबाह कर रहे हैं। चिंता इस बात की है कि अगर इन टिड्डियों को किसी भी उपाय से नहीं रोका गया तो कोरोना से पहले से ही परेशान देश की अर्थव्यस्था पर भी इनके चलते बहुत बड़ी मार पड़ सकती है।
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कोरोना काल में टिड्डियों की बड़ी मार
कोरोना वायरस के प्रकोप शुरू होने से ठीक पहले पाकिस्तान को फरवरी महीने में पंजाब में टिड्डियों के हमले के चलते राष्ट्रीय आपातकाल घोषित करनी पड़ गई थी। इस समय भारत के हिंदी हार्टलैंड के तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश को कोरोना के साथ-साथ टिड्डियों के दल से भी जंग लड़नी पड़ रही है। पंजाब और गुजरात ने भी अपने किसानों को टिड्डी दल के हमलों को लेकर सचेत कर रखा है। इस समय राजस्थान के 16 , यूपी के 17 जिले और मध्यप्रदेश के किसान 27 साल बाद रेगिस्तानी टिड्डियों का इतना बड़ा आक्रमण झेलने को मजबूर हैं। आशंका है कि ये टिड्डियां दिल्ली और हरियाणा को भी अपनी चपेट में ले सकती हैं। केंद्र की चार टीमें और राज्य सरकारों के कृषि विभाग की टीमें फिलहाल रसायन छिड़ककर इन टिड्डियों को भगाने की कोशिशों में जुटे हुए हैं। आइए जानते हैं कि ये टिड्डियां क्या हैं, कहां से आ रही हैं, क्यों आ रही हैं, ये कितनी खतरनाक हैं और सबसे बढ़कर ये कितना नुकसान करने वाली हैं?
ईरान और बलूचिस्तान से हुआ अटैक
भारत के कई राज्यों की फसलों पर रेगिस्तानी टिड्डियों के जो दल कहर बनकर टूट रहे हैं, वह ईरान और पाकिस्तान के बलूचिस्तान में पैदा हुए हैं और वहां से सबसे पहले राजस्थान पहुंचे हैं। भारत में पिछले दिसंबर-फरवरी के बाद टिड्डियों का यह दूसरा हमला है। उस समय तो रसायनिक छिड़काव से उनपर काबू पा लिया गया था, लेकिन इसबार उन्होंने बहुत ही भयावह शक्ल अख्तियार कर लिया है। वैज्ञानिकों का कहना है कि यह स्थिति इसलिए पैदा हुई है, क्योंकि हिंद महासागर में पिछले दिनों कई चक्रवात उठने से अरब के द्वीपों में मौजूद रेगिस्तानी इलाके बहुत ज्यादा प्रभावित हुए, जिसने टिड्डियों के प्रजनन के लिए बहुत ही अनुकूल परिस्थियां पैदा की हैं। इससे पहले पिछले साल पश्चिम भारत में नवंबर तक रहे मानसून ने भी इनके प्रजनन के लिए आदर्श हालात पैदा कर दिए थे।
टिड्डियां क्या हैं और इनसे क्या खतरा है?
टिड्डी एक कीट है, जो टिड्डे के परिवार की 12 प्रजातियों में से एक है। टिड्डियों की झुंड रोजाना 130 किलोमीटर तक की यात्री कर सकती है और प्रत्येक टिड्डी दो ग्राम तक ताजा वनस्पती खा सकती है। यह मात्रा उतनी ही होती है, जितना कि उनका खुद का वजन होता है। ये कीट तब तक ज्यादा नुकसानदेह नहीं होतीं, जबतक इन्हें विशेष वातावरण नहीं मिलता। लेकिन, जैसे ही इनके लिए उपयुक्त वातावरण मिलता है, इनकी प्रजनन क्षमता कई गुना बढ़ जाती है और तब ये बहुत ही भयावह शक्ल अख्तियार कर लेते हैं। इनकी संख्या बढ़ती जाती है तो इनके झुंड भी बढ़ते चले जाते हैं और फिर ये इलाके-दर-इलाके, प्रदेश-दर-प्रदेश और फिर कई देशों की फसलों पर कहर बनकर टूटती हैं और सत्यानाश कर देती हैं। इनकी संख्या इतनी विशाल हो जाती है कि यह किसी भी देश की कृषि अर्थव्यवस्था को खत्म कर सकती हैं और जब ऐसी स्थिति आती है तो उसे टिड्डी प्लेग के नाम से जाना जाता है।
मौका पाकर बहुत घातक हो जाती हैं ये टिड्डियां
चार तरह की टिड्डियां हैं, जो टिड्डी प्लेग की स्थिति पैदा कर सकती हैं। रेगिस्तानी टिड्डी, प्रवासी टिड्डी, बॉम्बे टिड्डी और पेड़ की टिड्डी। इस समय जो टिड्डी कहर बनकर फसलों पर टूट रही हैं, वो रेगिस्तानी हैं। इन टिड्डियों में सबसे खतरनाक बात ये है कि जब इन्हें अनुकूल वातावरण मिलता है तो यह बहुत ज्यादा प्रजनन करना तो शुरू कर ही देती हैं, अक्सर इनका रंग बदलना भी शुरू हो जाता है और कई बार इनका आकार भी बढ़ना शुरू हो जाता है। भारी बारिश या बहुत ज्यादा नमी इनके लिए ज्यादा आदर्श माहौल पैदा करती हैं और इनकी लाखों झुंड तैयार हो जाती हैं।
समय से पहले हुआ है हमला
केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के मुताबिक पाकिस्तान से आया टिड्डियों का झुंड राजस्थान,पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश में घुस गया, जिससे कि कपास की खड़ी फसल और सब्जियों की फसल पर बहुत ज्यादा खतरा पैदा हो गया है। राजस्थान सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य है। इस साल टिड्डियों के दल ने समय से पहले हमला किया है, जबकि उनका सामान्य वक्त जून और जुलाई में रहता है। सभी राज्य सरकारें इससे निपटने के लिए अलग-अलग कदम उठा रहे हैं।
टिड्डियों के हमले से अर्थव्यवस्था पर असर ?
टिड्डियां खड़ी फसलों को तबाह कर सकती हैं, जिससे कृषि से जुड़े लोगों की आजीविका तबाह हो सकती है। खाद्य और कृषि संगठन ने चेताया है कि टिड्डियों के हमले से खाद्य सुरक्षा पर असर पड़ने की आशंका है। इस संगठन के अनुसार एक वर्ग किलोमीटर के टिड्डियों की झुंड मे करीब 4 करोड़ टिड्डियां होती हैं, जो एक दिन में 35,000 लोगों का खाना डकार सकती हैं। एक्सपर्ट की राय में अगर इन टिड्डियों को नियंत्रित नहीं किया गया तो अकेले मध्य प्रदेश में यह करीब 8,000 करोड़ रुपये की मूंग की फसल नष्ट कर देंगी। जबकि यह अगर आगे बढ़ती रहीं तो कई हजार करोड़ की और फसल मसलन कपास और मिर्च की फसल साफ कर सकती हैं। किसानों से कहा गया है कि वह किसी भी तरह से जोर का शोर करके इन टिड्डियों को दूर करने की कोशिश करते रहें। इसके अलावा सरकारें ड्रोन और दूसरे माध्यमों से रसानों का भी छिड़काव करवा रही हैं।