#Mumbaiterrorattack: अजमल कसाब को फांसी पर चढ़ाने के लिए 7 कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया था, यह था आखिरी
नई दिल्ली। मुंबई में वर्ष 2008 को हुए आतंकी हमले को आज 10 साल पूरे हो गए हैं। आज के ही दिन मुंबई की सड़क पर आतंकियों ने अंधाधुंध गोली चलाकर कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इस आतंकी हमले के बाद पुलिस को बड़ी सफलता मिली थी, उसने अजमल कसाब को जिंदा गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद उसके खिलाफ कोर्ट में मामला चला और उसे फांसी की सजा सुनाई गई। फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद जेल अधिकारियों के सामने सबसे बड़ी चुनौती थी उसे उस जगह पहुंचाना जहां कसाब को फांसी दी जानी थी।
कुछ ही लोगों को थी इसकी जानकारी
अजमल कसाब को फांसी देने के लिए मुंबई से पुणे ले जाना था और यह मुंबई पुलिस के आला अधिकारियों के लिए एक बड़ी चुनौती थी। इस पूरे मामले में कई क कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया था। जिसमे से एक अहम कोड वर्ड कसाब को मुंबई से पुणे की जेल ले जाने के लिए इस्तेमाल किया गया था। यह कोड वर्ड था पार्सल रीच्ड फॉक्स, यानि माल पहुंच चुका है फॉक्स। इस कोड वर्ड का इस्तेमाल यह बताने के लिए उस वक्त किया गया था कि कसाब को लेकर वैन पहुंच चुकी है।
कुल 7 कोड वर्ड का इस्तेमाल
कसाब को फांसी पर चढ़ाने के लिए कुल सात कोड वर्ड का इस्तेमाल किया गया था, जिसमे से एक कोड वर्ड यह था पार्सल रीच्ड फॉक्स।इस कोड वर्ड की जानकारी सिर्फ मध्य प्रदेश के तत्कालीन गृहमंत्री आरआर पाटिल और कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को थी। कसाब को फांसी के लिए पुणे की जेल में पहुंचाने के लिए यह आखिरी कोडवर्ड था, जिसका इस्तेमाल किया गया था। कसाब को पुणे जेल पहुंचाने के लिए कुछ ही चुनिंदा अधिकारियों को चुना गया था, जिन्हे इस बात की जिम्मेदारी दी गई थी कि कसाब को मुंबई की अंडा सेल से पुणे की यरवदा जेल भेजना है।
भारी सुरक्षा
मुंबई हमले में कसाब एकमात्र आतंकी था जिसे जिंदा पकड़ा गया था। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि कसाब को यरवदा जेल में ले जाना एक बड़ी चुनौती थी, उसे फांसी की सजा सुनाई जा चुकी थी। पुलिस की फोर्स वन कमांडो पुलिस जिसके पास अत्याधुनिक हथियार थे, उन्हें कसाब की वैन की सुरक्षा में लगाया गया था। यही नहीं एसआरपीएफ को भी वैन की सुरक्षा में तैनात किया गया था, जिसे वैन से थोड़ा दूर रखा गया था, जिससे कि लोगों को शक ना हो।
तमाम फोन को बैग में रखा गया
इस ऑपरेशन के दौरान तमाम पुलिस अधिकारियों के फोन को बंद कर दिया गया था, जबकि सिर्फ दो अधिकारियों के मोबाइल नंबर खुले थे।तमाम लोगों के मोबाइल फोन को बंद करके एक बैग में रख दिया गया था। तीन घंटे की यात्रा के दौरान कसाब ने एक भी शब्द नहीं कहा था, यही नहीं रात को 3 बजे जब उसे यरवदा जेल के सुपुर्द किया गया तो भी उसके चेहरे के हावभाव में कोई बदलाव नहीं था। अगले दिन जब पुलिस अधिकारियों के फोन को ऑन किया गया तबतक कसाब को फांसी दी जा चुकी थी।
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