26/11: 'कसाब की बेटी' जो IPS ऑफिसर बनकर आतंकियों को सिखाना चाहती है सबक
मुंबई। 26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई, पाकिस्तान से आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों की तरफ से हुए आतंकी हमलों से दहल गई थी। इन हमलों को 10 वर्ष होने वाले हैं। इन हमलों में 164 लोग मारे गए थे जिसमें कुछ विदेशी नागरिक भी थे। वहीं कई ऑफिसर भी शहीद हुए थे। एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा पकड़ा गया था। 21 नवंबर 2012 को कसाब को फांसी दी गई और उसे फांसी के फंदे तक पहुंचाने में बच्ची देविका रोटावन की गवाही ने बड़ा रोल अदा किया गया था। हमले के समय देविका की उम्र सिर्फ नौ वर्ष थी आज वह 19 वर्ष की है। 19 वर्ष की देविका का सपना है कि वह एक आईपीएस ऑफिसर बनकर उन तमाम आतंकियों से बदला ले जो देश को नुकसान पहुंचाते हैं। हालांकि देविका के लिए यह बात दिल दुखाने वाली है कि लोग उसे 'कसाब वाली' या फिर 'कसाब की बेटी' कहकर कभी-कभी संबोधित करते हैं। ये भी पढ़ें-26/11: अजमल कसाब को जिंदा पकड़ने की कहानी
10 वर्ष बाद जिंदगी और मुश्किल
देविका ने एक इंटरव्यू में बताया , 'आतंकी हमले के 10 वर्ष बाद जिंदगी और मुश्किल हो गई है।' देविका की मानें तो एक समय उसे रहने के लिए घर मिलना भी मुश्किल हो गया था। उसने कहा कि लोगों को आज भी आतंकी हमले का डर सताता रहता है। देविका जिस जगह पर रहती हैं, लोग उन्हें कसाब की बेटी या फिर कसाब वाली कहकर पुकारते हैं। यहां तक कि अगर कोई पूछता है कि 26/11 वाली लड़की कहा रहती है, तो लोग कसाब की बेटी यहां रहती है बोलकर देविका के घर पहुंचा देते हैं। देविका, हमलों के बाद सबसे छोटी गवाह थी और उसने ही कोर्ट में कसाब को पहचानकर एजेंसियों की सबसे बड़ी मदद की थी।
सामने खड़ा मुस्कुरा रहा था कसाब
26/11 के दौरान मुंबई के छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर सबसे ज्यादा लोगों को निशाना बनाया गया था। देविका को भी यहां पर पैर में गोली लगी थी। हमले वाली रात देविका अपने पिता और भाई के साथ पुणे जा रही थी और स्टेशन पर अपनी ट्रेन का इंतजार कर रही थीं। प्लेटफॉर्म 12 पर मौजूद देविका का भाई जब टॉयलेट गया और तभी आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। देविका के पिता ने उसका हाथ पकड़ा और दोनों भागने लगे। लेकिन तभी देविका के पैर में गोली लग गई। देविका जमीन पर गिर गईं और तभी उन्होंने अपने सामने कसाब को देखा जो मुस्कुरा रहा था। उसे इस बात का बिल्कुल भी अफसोस नहीं था कि उसने क्या किया है।
चार वर्ष तक स्कूल में नहीं मिला एडमिशन
कसाब को पहचानने की सजा देविका ने भुगती और उन्हें चार वर्ष तक किसी भी स्कूल में दाखिला नहीं मिल सका। देविका इस समय 11वीं कक्षा की छात्रा हैं। गोली लगने के बाद देविका को कामा हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया और इस अस्पताल को भी आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था। एक माह तक यहां पर इलाज के बाद देविका को जेजे हॉस्पिटल में शिफ्ट किया गया। देविका ने बताया कि उनके कई ऑपरेशन हुए हैं। हमले से पहले देविका के पिता का ड्राइफ्रूट का बिजनेस था। हमलों ने पूरे परिवार की जिंदगी को बदलकर रख दिया। उनके पिता के साथ लोग बिजनेस करने से कतराने लगे। हारकर उन्हें अपना बिजनेस बंद करना पड़ा।
अब बनना है IPS
कई दिनों के इलाज के बाद जब देविका थोड़ी ठीक हुई तो परिवार राजस्थान चला गया। मुंबई पुलिस के अनुरोध पर देविका मुंबई आईं और यहां पर कोर्ट में गवाही दी। देविका को याद है कि कसाब कोर्ट में जज के पास ही बैठता था। देविका ने उसे देखते ही पहचान लिया था। मुंबई हमले के गवाह के रूप में नाम सामने आने के बाद देविका, उसके भाई और पिता से रिश्तेदारों ने दूरी बना ली। वे कहते कि आतंकियों के खिलाफ गवाही दी है और आतंकी उन्हें भी मार डालेंगे। देविका अब आईपीएस बनकर आतंकवादियों को मारना चाहती है।