26/11: CST पर वीडियो गेम की स्टाइल में लोगों पर गोलियां बरसा रहा था मुस्कुराता हुआ अजमल कसाब
मुंबई। 26/11 को आज 10 वर्ष पूरे हो गए हैं और जिन लोगों ने 26 नवंबर 2008 को देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर हुए आतंकी हमलों को देखा, एक बार फिर से उन्हें वह काली रात याद आ गई है। हमले के दौरान सबसे बिजी रेलवे स्टेशनों में एक छत्रपति शिवाजी टर्मिनस यानी सीएसटी को खास तौर पर निशाना बनाया गया। स्टेशन पर उस समय बबलू कुमार दीपक एनाउंसर के तौर पर ड्यूटी कर रहे थे। दीपक को याद है कि लश्कर-ए-तैयबा का आतंकी अजमल कसाब कैसे लोगों पर गोलियां चला रहा था और मुस्कुरा रहा था। सीएसटी पर आतंकियों ने 50 निर्दोष लोगों की जान ले ली थी। इंग्लिश डेली हिन्दुस्तान टाइम्स की ओर से इस पर एक खास जानकारी दी गई है। दीपक कुमार की मानें तो कसाब किसी कॉलेज का स्टूडेंट लग रहा था और स्टेशन पर मौजूद यात्रियों पर बिल्कुल ऐसे गोलियां चला रहा था जैसे कोई वीडियो गेम खेल रहा हो। यह भी पढ़ें-जब जेल में हिंदू-मुसलमान अफसरों को साथ खाना खाते देख चौंक गया था कसाब
अपनी आंखों में कैद किया वह मंजर
42 वर्षीय दीपक कुमार को आज भी याद है कि हमले के समय वह फर्स्ट फ्लोर पर मौजूद थे और स्टेशन के एंट्री गेट के पास ही ड्यूटी पर थे। दीपक ने पूरे हमले को अपनी आंखों से देखा था और वह पहले रेलवे कर्मी थे जिन्होंने रेलवे कंट्रोल रूम को हमले के बारे में जानकारी दी थी। 26 नवंबर 2008 को दीपक की ड्यूटी सुबह सात बजे से बायकुला रेलवे स्टेशन पर थी। स्टाफ की कमी के चलते उन्हें सीएसटी का जिम्मा भी दिया गया। दोपहर तीन बजे बायकुला पर अपनी शिफ्ट पूरी करने के बाद वह सीएसटी आ गए। दीपक ने बताया हुसैनसागर एक्सप्रेस जो मुंबई से हैदराबाद के बीच चलती है, रात 9:30 बजे स्टेशन से गुजरी थी। इसके बाद मुंबई से पुणे के बीच चलने वाली इंद्रयाणी एक्सप्रेस स्टेशन पर पहुंची थी। यह भी पढ़़े़ें-'कसाब की बेटी'IPS ऑफिसर बनकर आतंकियों को सिखाना चाहती है सबक
अचानक प्लेटफॉर्म पर हुआ ब्लास्ट
ट्रेन के आते ही दीपक को प्लेटफॉर्म 13 पर जोरदार धमाके की आवाज आई। इसके बाद प्लेटफॉर्म पर अफरा-तफरी की स्थिति पैदा हो गई थी। इसी समय उन्होंने लोगों को अपने सामने गिरते हुए देखा और तभी उन्हें गोलियां बरसाता हुआ कसाब नजर आया जो मुस्कुरा रहा था। दीपक ने यात्रियों से अनुरोध किया कि वह प्लेटफॉर्म 13 से दूर रहे। दीपक की मानें तो वहां स्थिति पूरी ही बिगड़ चुकी थी और यात्रियों ने तुरंत ही इधर-उधर भागना शुरू कर दिया था। दीपक अगले 27 घंटों तक स्टेशन पर ही मौजूद थे। इस दौरान उन्होंने राहत और बचाव कार्य में मदद की।
अब पटाखों की आवाज से भी लगता है डर
दीपक को याद है कि आतंकी लगातार फायरिंग कर रहे थे और पोर्टर्स अपनी जान पर खेलकर घायलों को अस्पताल पहुंचा रहे थे। इन 10 वर्षों में कोई भी ऐसा दिन नहीं है जब उन्हें इस हमले की याद न आई हो। उनके जेहन में आज भी कसाब का वह चेहरा जिंदा है। दीपक कों सेंट्रल रेलवे की ओर से वीरता पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। अब दीपक बायकुला रेलवे हॉस्पिटल में जूनियर क्लर्क है। दीपक के दिमाग पर हमले की याद इस कदर हावी है कि आज भी तेज आवाज से उन्हें डर लगता है। पटाखों की आवाज से उन्हें दहशत होती है और इनकी आवाज उन्हें वही आतंकी हमला याद दिला देती हैं। यह भी पढ़ें-कसाब को जिंदा पकड़ने की कहानी, जिंदा बच गए उस इंस्पेक्टर की जुबानी