हाथरस की घटना के विरोध में गाजियाबाद में वाल्मीकि समुदाय के 236 लोगों ने स्वीकार किया बौद्ध धर्म
यूपी के गाजियाबाद जिले में वाल्मीकि समुदाय के करीब 236 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया।
नई दिल्ली। हाथरस में दलित युवती के साथ हुई दरिंदगी की घटना के बाद यूपी के गाजियाबाद जिले में वाल्मीकि समुदाय के करीब 236 लोगों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म स्वीकार कर लिया। मामला गाजियाबाद के करहैड़ा गांव का है, जहां वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने अपने साथ भेदभाव और जातीय उत्पीड़न का आरोप लगाया और डॉ. बीआर अंबेडकर के पड़पोते राजरत्न अंबेडकर ने उन्हें बौद्ध धर्म की दीक्षा दिलाई। बौद्ध धर्म में शामिल होने वाले इन सभी लोगों ने गौतम बुद्ध की 22 प्रतिज्ञाएं भी पढ़ीं।
'द प्रिंट' की खबर के मुताबिक, बौद्ध धर्म में शामिल हुए इन लोगों ने आरोप लगाया कि उनके गांव में सवर्ण समाज के लोग बहुसंख्यक हैं, जिस वजह से उनके साथ भेदभाव किया जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि करहैड़ा गांव में कुल 9000 लोगों की आबादी है, जिसमें से 5000 लोग सवर्ण समाज से, 2000 लोग वाल्मीकि समुदाय से और अन्य 2000 लोग बाहर से आए हुए हैं। वाल्मीकि समाज के लोगों ने यह भी बताया कि वो काफी दिनों से ये सब सह रहे थे, लेकिन हाथरस में उनके समुदाय की लड़की के साथ जो कुछ हुआ और इस मामले पर प्रशासन ने जिस तरह का रवैया दिखाया, उसके बाद उनके सब्र का बांध टूट गया और उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने का फैसला लिया।
'हिंदू
समाज
के
लोग
हमें
अपना
नहीं
मानते'
पवन
वाल्मीकि
नामक
शख्स
ने
कहा,
'हाथरस
की
घटना
के
बाद
योगी
सरकार
में
हमारा
भरोसा
नहीं
रहा
है।
हिंदू
समाज
के
लोग
हमें
अपना
नहीं
मानते
और
मुस्लिम
समाज
हमें
कभी
स्वीकार
नहीं
करेगा।
हाथरस
में
जो
कुछ
हुआ,
उसके
बाद
हमें
एहसास
हो
गया
कि
सरकार
कभी
ना
हमें
स्वीकार
करेगी
और
ना
हमारी
मदद
करेगी।
तो
हमारे
सामने
क्या
विकल्प
बचता
है?'
'हाथरस
में
हमारी
बेटी
के
साथ
बुरा
बर्ताव
हुआ'
वहीं,
रज्जो
वाल्मीकि
नाम
की
65
वर्षीय
महिला
ने
बताया,
'दिल्ली
की
निर्भया
को
सबसे
अच्छे
अस्पताल
में
इलाज
मिला
और
मीडिया
में
कभी
उसकी
जाति
सामने
नहीं
आई।
हाथरस
में
हमारी
बेटी
के
साथ
बुरा
बर्ताव
किया
गया,
यहां
तक
कि
डॉक्टर
और
पुलिस
ने
भी
उसके
शव
के
साथ
कोई
हमदर्दी
नहीं
दिखाई।
मीडिया
क्यों
उनके
परिवार
को
परेशान
कर
रहा
है?
हमें
ये
एहसास
दिला
दिया
गया
है
कि
हम
'कोई
दूसरे'
हैं,
निचली
जाति
से
हैं।'
इस संबंध में गाजियाबाद के डीएम से भी बात की गई, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो पाया। हालांकि, पवन वाल्मीकि ने बताया कि उन लोगों ने प्रशासन की अनुमति लेकर ही बौद्ध धर्म स्वीकार किया है। वहीं, नगर निगम पार्षद विजेंद्र सिंह चौहान ने कहा है कि धर्म परिवर्तन की ऐसी कोई घटना गांव में नहीं हुई है।
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