मोदी के खिलाफ बन रहे महागठबंधन को इस भंवरजाल में उलझाकर रखना चाहती है बीजेपी?
नई दिल्ली। देश में वैसे तो 2019 के लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई 2019 में होने चाहिए लेकिन इसे लेकर कई तरह के कयास लग रहे हैं। कहा जा रहा है कि हो सकता है चुनाव जल्द करा लिए जाएं या फिर कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों की तारीखों में फेरबदल कर इन्हें एक साथ करवाया जा सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद देश में एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने की वकालत कर चुके हैं। हालांकि चुनाव आयोग ने इसे लेकर स्थिति साफ कर दी है कि अभी फिलहाल ये संभव नहीं है और इसके लिए कानून में बदलाव की आवश्यकता होगी। इस सब के बावजूद बीजेपी इस बात को लेकर मुखर है कि वो देश में एक साथ चुनाव चाहती है।
अब सवाल ये है कि क्या सही में बीजेपी इसे लेकर गंभीर है या फिर वो किसी चुनावी रणनीति के तहत इस वक्त इसे लेकर माहौल बनाए रखना चाहती है। क्या भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)विपक्षी दलों को 2019 के लोकसभा चुनाव के समय को लेकर असमंजस में रखना चाहती है ?
क्या ये चुनावी रणनीति है ?
बीजेपी ये भी संदेश दे रही है कि वो कम से कम बीजेपी शासित राज्यों के विधानसभा चुनाव 2019 के आम चुनावों के साथ करा सकती है। लेकिन अभी दो दिन पहले ही बीजेपी शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और एनडीए शासित राज्यों के उपमुख्यमंत्रियों के साथ हुई बैठक में ये संदेश दिया गया है कि पार्टी को अब चुनावी मोड में आ जाना चाहिए।
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आंकड़ों का होगा खेल
सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है इस बैठक में बीजेपी के आला नेतृत्व ने अपने सभी मुख्यमंत्रियों को अपने-अपने प्रदेशों में केंद्रीय योजनाओं के क्रियान्वयन के बारे में सभी प्रासंगिक आंकड़ें इकट्ठे करने का निर्देश दिया है। उन्हें एक फॉर्म भरना है जिसमें इसका पूरा विवरण देना होगा। खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बैठक में पूरी स्थिति का आंकलन किया है।
काम पूरा करने की डेडलाइन
खबर ये भी है कि बीजेपी के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों को केंद्रीय नेतृत्व द्वारा सौंपे गए कामों को जितनी जल्दी हो सके पूरा करने का निर्देश दिया गया है। इसके लिए फरवरी 2019 की डेडलाइन दी गई है। यहां तक बताया गया है कि कौन सी योजना किस तारीख तक पूरी हो जानी चाहिए।
हम चुनाव के लिए तैयार
बीजेपी
ने
इस
बैठक
के
बाद
ये
भी
संदेश
दिया
है
कि
बीजेपी
अप्रैल
2019
में
लोकसभा
चुनाव
लड़ने
के
लिए
पूरी
तरह
से
तैयार
है।
पार्टी
2004
के
लोकसभा
चुनाव
से
सबक
लेकर
2019
के
चुनावों
में
जाना
चाहती
है।
उस
वक्त
बड़े
पैमाने
पर
'इंडिया
शाइनिंग'
कैंपेन
के
बावजूद
पार्टी
को
हार
का
सामना
करना
पड़ा
था।
इस
बार
बीजेपी
उन
गलतियों
को
ना
दोहरा
कर
नई
रणनीति
के
तहत
चुनाव
में
उतरना
चाहती
है।
पार्टी
शायद
समय
पूर्व
लोकसभा
चुनाव
ना
कराए
लेकिन
फिर
भी
राजनीतिक
गलियारों
में
इसे
लेकर
अटकलों
का
बाजार
तो
गर्म
है
ही।
इस
बीच,
'वन
नेशन,
वन
पोल'
पर
बहस
जारी
है।
लेकिन
विपक्ष
इसे
लेकर
एक
उलझन
की
स्थिति
में
लग
रहा
है
और
शायद
यही
बीजेपी
चाहती
भी
है।
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