2019 लोकसभा चुनाव: भाजपा को उसकी ही रणनीति से कांग्रेस देगी मात?
नई दिल्ली। राजनीति में कहा जाता है कि जनता की याददाश्त कमजोर होती है।क्या वाकई ऐसा कुछ है या फिर ये कहें की ये पब्लिक है, ये सब जानती है। खैर जो भी हो लेकिन एक बात तो है कि राजनीति में वही बाजी मारता है जिसे पता है कि किस मुद्दे को किस वक्त उठाना है और जनता के बीच उसे लकेर कैसे जाना है। मुद्दे को जिंदा रखने और लोगों को बार-बार उसकी याद दिलाने की कला भी आनी चाहिए। 2019 के लोकसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस ने एक दूसरे पर निशाना साधना शुरु कर दिया है और कोशिश है कि किस तरह से जनता के बीच मुद्दों को अपने-अपने फायदे के हिसाब से जिंदा रखा जाए। कांग्रेस के पास खोने के लिए कुछ नहीं है तो वो अब ताबड़तोड़ बीजेपी सरकार पर हमला कर रही है। बीजेपी कहती तो है कि राहुल गांधी की बातें राजनीतिक तौर पर उसके लिए मायने नहीं रखती लेकिन फिर भी उनके हर एक बयान पर बीजेपी प्रेस वार्ता कर डालती है। कांग्रेस के नेता राहुल गांधी का नाम जितना खुद नही लेते हैं उससे ज्यादा बीजेपी के प्रवक्ता उनके नाम की माला जपते हैं। शायद कांग्रेस भी यही चाहती है और बीजेपी उसका काम आसान कर रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी आगे बढ़कर खुद भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं और लगातार हमलावर हैं। कांग्रेस राफले, विजय माल्या, नीरव मोदी, ललित मोदी, मेहुल चोकसी, पेट्रोल और डीजल की कीमतों के मुद्दे पर बीजेपी को घेर रही है। उसे पता है कि उसे आरोप लगाने है और बीजेपी को मजबूरन सफाई देने के लिए सामने आना ही पड़ेगा। इन लगातार हमलों से कांग्रेस को लग भी रहा है कि उसने बीजेपी को बैकफुट पर ला दिया है।
बीजेपी को उसी के तरीके से मात
असल में कांग्रेस इस वक्त वही तरीका अपना रही है जिसे भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले अपनाया था। उस वक्त 2जी, 3जी, वाड्रा लैंड स्कैम, कोयला घोटाला और कई अन्य मुद्दों पर बीजेपी ने मुखर होकर यूपीए सरकार को घेरा था और इसका नतीजा ये रहा कि बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की। बाद में इन सारे मुद्दों पर चर्चा राजनीतिक पटल और लोगों के बीच से गायब सी हो गई और यहां तक कि ए राजा और कनिमोझी को अदालत ने 2जी मामले में बरी भी कर दिया। अब कांग्रेस, बीजेपी पर 2014 के उसी के हथियार से वार कर रही है और उसे पता है कि इन आरोपों को साबित करने के लिए कौन इंतजार करेगा।
विजय माल्या को भगाने में मोदी का हाथ, उनकी जानकारी के बिना नहीं बदल सकता नोटिस: राहुल गांधी
लगातार हमलों की रणनीति
कांग्रेस बीजेपी पर लगातार एक के बाद एक हमले कर रही है। बैंकों के एनपीए के मुद्दे को भी कांग्रेस ने बड़ा बना दिया है। कांग्रेस कह रही है कि उसके समय का 2.86 लाख करोड़ का एनपीए बीजेपी की सरकार में 10 लाख करोड़ रुपये हो गया है। भाजपा का स्पष्टीकरण आता है लेकिन आम लोगों के बीच मामले को लेकर शक पैदा तो हो ही गया है। इसी तरह बीजेपी ने दबाव में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम में संशोधन किया जिससे अब अगड़ी जातियों के लोग उससे नारज हो गए हैं और उसकी बात सुनने को तैयार नहीं हैं। माल्य के मामले में जेटली पर राहुल गांधी के हमले के बाद बीजेपी को अपने प्रवक्ता संबित पात्रा के अलावा केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और पियूष गोयल को भी मैदान में उतारना पड़ा।
खुद के नेता बढ़ा रहे मुश्किलें
अगर कांग्रेस में उसके खुद के कुछ नेता गलत बयानबाजी कर के पार्टी की मुश्किलें बढ़ाते रहे हैं तो बीजेपी में भी ऐसे नेताओं की कमी नहीं है। बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने अरुण जेटली पर निशाना साधा है और विजय माल्या और जेटली के बीच संबंधों की जांच की मांग प्रधानमंत्री से की है। पार्टी के एक और सांसद शत्रुघ्न सिन्हा भी मौका मिलते ही सीधे प्रधानमंत्री पर निशाना साधते हैं। इसके अलाव पूर्व बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी भी अपने बयानों से केंद्र सरकार पर सावल खड़े करते रहते हैं। हालांकि पार्टी बचाव के बजाए हमलावर होने की नीति पर काम कर रही है।
नौकरशाही भी नाराज़
खबरें ये भी आ रही हैं कि अब तक चुपचाप बैठी नौकरशाही भी सरकार को सबक सिखाने के लिए सक्रिय हो रही है। कहा जाता है कि मंत्रालयों में अधिकारी अभी तक सरकार की कर्यप्रणाली के बारे में किसी से बात करने से भी कतराते थे लेकिन धीरे-धीरे ये हालात बदल रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ता दिख रहा है। कांग्रेस को लग रहा है कि बीजेपी के खिलाफ उसके तीर सही निशाने पर लग रहे हैं और अगर ये लोगों में बीजेपी को लेकर भ्रम पैदा कर देते हैं तो वो सही रास्ते पर जा रही है।
ये भी पढ़ें:- रामविलास पासवान की बेटी आशा का ऐलान- RJD से टिकट मिला तो पिता के खिलाफ लड़ूंगी चुनाव