2002 नरोदा पाटिया दंगा मामले में चार दोषियों को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के नरोदा पाटिया दंगा मामले में चार दोषियों की जमानत मंजूर कर ली है। ये घटना गुजरात के 2002 दंगों से जुड़ी है। अहमदाबाद में साल 2002 में हिंसक भीड़ पर अल्पसंख्यक समुदाय के 97 लोगों की हत्या का आरोप लगा था। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में चार दोषियों उमेशभाई भारवाड़, राजकुमार, हर्षद और प्रकाशभाई राठौर की जमानत मंजूर कर ली है।
97 लोगों की हुई थी हत्या
गुजरात के चर्चित नरोदा पाटिया दंगा मामले में मुख्य आरोपी गुजरात की पूर्व बीजेपी मंत्री माया कोडनानी को बरी कर दिया गया था। जबकि इसी केस में बाबू बजरंगी की आजीवन कारावास की सजा को कोर्ट ने बरकरार रखा था। बाबू बजरंगी के अलावा इस मामले में आरोपी किशन कोरणी, मुरली नारणभाई सिंधी और सुरेश लंगाडो को भी दोषी करार दिया गया था। वहीं, विक्रम छारा और गणपति छानाजी छारा को निर्दोष करार दिया गया था।
साल 2018 में गुजरात हाईकोर्ट ने दिया था फैसला
चर्चित नरोदा पाटिया केस में गुजरात हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया था। 2002 नरोदा पाटिया केस में हाईकोर्ट ने उमेश भारद्वाज, पदमेंद्र सिंह राजपूत और राजकुमार चौमल को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी जबकि हाईकोर्ट ने दोषियों पर एक हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया था।
क्या था नरोदा पाटिया मामला
नरोदा पाटिया का मामला अगस्त 2009 से शुरू हुआ और 62 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। सुनवाई के दौरान ही विजय शेट्टी नाम के आरोपी की मौत हो गई। इस केस की सुनवाई के दौरान अदालत ने 327 लोगों के बयान दर्ज किए जिसमें पत्रकार ,पीड़ित, डॉक्टर, पुलिस अधिकारी और सरकारी अधिकारी शामिल थे। साल 2002 के गुजरात दंगों के दौरान अहमदाबाद स्थित नरोदा पाटिया इलाके में 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी। ये नरसंहार 28 फरवरी 2002 को हुआ था। दंगे में 33 लोग घायल भी हुए थे।