पटना में 200 लोग होम क्वारेंटाइन में, परदेशियों की मुसीबत बढ़ी, नहीं घुसने दिया जा रहा घर में
पटना। बिहार में कोरोना संक्रमित चौथे व्यक्ति की पहचान हुई है। उसकी जांच रिपोर्ट पोजिटिव आयी है। वह पटना सिटी इलाके का रहने वाला है और गुजरात से यहां आया है। उसको विशेष इलाज के लिए नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती किया गया है। इस बीच पटना एम्स के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती तीन मरीजों की मौत हो गयी है। हालांकि उनकी जांच रिपोर्ट निगेटिव आयी है। मौजूदा स्थितियों को देख कर सावधानी बढ़ा दी गयी है। पटना में करीब दो सौ लोगों को अनिवार्य रूप से होम क्वारेंटाइन ( Home Quarantine) में रखा गया है। इन लोगों में कोरोना के लक्षण नहीं हैं लेकिन एहतियात के तौर पर ऐसा किया गया है। ये लोग पटना के दीघा-पोल्सन रोड, फुलवारी शरीफ, जक्कनपुर, समनपुरा, दीघा, कंकड़बाग, पटना सिटी और बोरिंग रोड मुहल्ले में रहते हैं। होम क्वारेंटाइन को सख्ती से लागू करने की जिम्मेवारी स्थानीय थानेदार, बीडीओ और स्वास्थ्य विभाग की टीम को सौंपी गयी है। होम क्वारेंटाइन का मतलब है छूत रोग के किसी संदिग्ध को घर में ही अलग –थलग रखने का प्रबंध। ऐसा व्यक्ति अपने घर के किसी कमरे में बिल्कुल अलग रहेगा। उसका कमरा बॉशरूम से अटैच हो या बिल्कुल बगल में हो तो बेहतर। उसे हर हाल में 14 दिनों तक कमरे के अंदर रहना होगा। बहुत आवश्यक होने पर घर के सदस्य उससे एक मीटर की दूरी पर मिल सकते हैं। उसके कपड़े, बर्तन या पानी का इस्तेमाल घर का कोई और सदस्य नहीं करेगा।
विदेश से आये लोगों पर खास नजर
पटना में जिन लोगों को होम क्वारेंटाइन में रखा गया है उनमें अधिकतर लोग विदेश से लौटे हैं। एयरपोर्ट पर उनकी स्कैनिंग हुई थी। इनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं मिला था। फिर भी सुरक्षा के लिहाज से इन्हें अलग रखा गया है। मजिस्ट्रेट और मेडिकल टीम इनकी निगरानी कर रही है। 14 दिनों के अंदर मेडिकल टीम घर-घर जा कर इनका नियमित चेकअप करेगी। दीघा- पोल्सन रोड के एक अपार्टमेंट में रहने वाले लोगों को खास निगरानी में रखा गया है। इस अपार्टमेंट में रहने वाली एक महिला कोरोना पोजिटिव हैं जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। इसकी वजह से यहां रहने वाले 46 लोगों को होम क्वारेंटाइन में रखा गया है। फुलवारी शरीफ इलाके का रहने वाला एक युवक भी कोरोना पोजिटिव है। उसका नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है। वह विदेश से भारत आया था। संक्रमित युवक के दो भाइयों को होम क्वारेंटाइन में रखा गया है।
संदिग्ध नियमित निगरानी में
मुजफ्फरपुर में कुल 150 लोग विदेश से आये हैं। इनमें 68 के अता-पता नहीं होने की खबर है। हाल ही में गोपालगंज जिले में कुल 568 लोग विदेश से लौटे हैं। एयरपोर्ट पर इनकी स्क्रीनिंग हो चुकी है । ये सभी लोग स्वास्थ्य विभाग की नियमित निगरानी में हैं। जांच के दौरान चार संदिग्ध मिले जिनको पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया गया है। गोपालगंज में किसी मुश्किल हालात से निबटने के लिए चार क्वारेंटाइन सेंटर बनाये गय़े हैं। दो आइसोलेशन सेंटर भी खोले गये हैं। पटना के बिहटा प्रखंड में 10 लोगों को जांच के लिए अस्पताल लाया गया था। करोना का कोई लक्षण नहीं मिलने पर इन्हें घर भेज दिया गया। मोकामा में भी भी बाहर से आये लोगों की अस्पताल में जांच हुई।
अपने हुए बेगाने
दूसरे राज्यों से बिहार लौटने वालों लोगों को भारी परेशानी का समान करना पड़ रहा है। कोरोना के खौफ के कारण उनके अपने लोग ही घर के अंदर नहीं आने दे रहे। गांव के लोगों को डर है कि बाहर से आने वाले लोग यहां संक्रमण फैला सकते हैं। इसलिए उनसे कोरोना निगेटिव की रिपोर्ट मांगी जा रही है। अधिकतर लोगों के पास ऐसी कोई जांच रिपोर्ट नहीं है। सोमवार को रोहतास जिले के एक गांव में बाहर से आये लोगों को घर जाने से रोक दिया गया। उनसे जांच रिपोर्ट की मांग की गयी। इसकी वजह से ऐसे लोग जिला अस्पताल में जांच के लिए चक्कर लगाते रहे। उत्तर बिहार के कई जिलों में भी बाहरी लोगों को घर के अंदर जाने से रोका गया है। ऐसे मामलों के बढ़ने के बाद नीतीश सरकार ने फैसला किया है कि अगर बाहर से आने वाले लोगों को घर नहीं जाने दिया जा रहा है तो उनके ठहरने का इंतजाम गांव के सरकारी भवनों में किया जाए। पंचायत भवनों या स्कूलों में ऐसे लोगों के ठहरने का इंतजाम किया जा रहा है। यह व्यवस्था अस्थायी होगी। स्थानीय मुखिया और संबंधित स्कूल के हेडमास्टर ऐसे लोगों के रहने का इंतजाम करेंगे। राज्य सरकार ने इसके लिए आदेश जारी कर दिया है। लोकिन बाहर से आने वाले लोग अपने गांव में ही विस्थापित की तरह नहीं रहना चाहते।
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