कई बार कॉल के बावजूद नहीं मिली एंबुलेंस तो बेटों ने 12 किमी तक मोटरसाइकिल पर ढोई मां की लाश
भोपाल। ओडिशा के कालाहांडी में दाना माझी वाली घटना को बीते हुए अभी ज्यादा दिन नहीं हुए हैं कि एक बार फिर कुछ ऐसा ही मामला सामने आ गया है। इस बार मध्यप्रदेश के उलट गांव के दो बेटों को अपनी मां की लाश 12 किलोमीटर तक मोटरसाइकिल पर ढोनी पड़ी। एम्बुलेंस की सुविधा न मिल पाने की वजह से उन्हें ऐसा करना पड़ा।
कई बार कॉल लेकिन कोई जवाब नहीं
70 वर्षीय पर्वता बाई लंबे वक्त से बीमार चल रही थीं। उनकी तबीयत अचानक बिगड़ जाने पर परिजनों ने मध्यप्रदेश के सिओनी जिले में एम्बुलेंस के लिए कॉल किया। उनके बेटों ने कई बार वहां कॉल किया लेकिन एम्बुलेंस का इंतजाम फिर भी नहीं हो सका। पर्वता बाई की तबीयत बिगड़ती ही जा रही थी।
पढ़ें : पत्नी का शव कंधे पर लेकर 10 किलोमीटर पैदल चलता रहा शख्स
रास्ते में ही तोड़ दिया दम
आखिरकार, जब बेटों के पास कोई रास्ता नहीं बचा तो उन्होंने अपनी बीमार मां के उपचार के लिए उन्हें मोटरसाइकिल पर बैठाकर अस्पताल तक ले जाने की ठानी। वे अपनी मां को ले ही जा रहे थे कि रास्ते में मां ने दम तोड़ दिया।
ड्राइवर ने लाश ले जाने से किया इनकार
जब पर्वता बाई के बेटों को यह अहसास हुआ कि उनकी मां अब जीवित नहीं हैं तो उन्होंने फिर से एम्बुलेंस सेवाओं के लिए कॉल किया। इस बार एम्बुलेंस तो आई लेकिन उसके ड्राइवर ने लाश को घर तक ले जाने से इनकार कर दिया।
बेटों ने ड्राइवर से कई बार शव को घर तक ले जाने की गुजारिश की लेकिन वह नहीं माना। इसके बाद दोनों अपनी मां की लाश को गांव तक वापस ले जाने के लिए उसे 12 किलोमीटर तक मोटरसाइकिल पर ही ले गए।
पढ़ें : शोभा डे ने ट्विटर पर सचिन तेंदुलकर को लेकर साधा निशाना
कालाहांडी मामले से यह मामला पैसों के मामले में थोड़ा अलग है। दरअसल, इन दोनों बेटे के पास अपनी मां की लाश को एम्बुलेंस से ले जाने के लिए पर्याप्त रुपए थे। उसने कई बार एम्बुलेंस के लिए संबंधित नंबर पर कॉल भी किया लेकिन इसके बावजूद उसे एम्बुलेंस नहीं मिल सकी।