क्विक अलर्ट के लिए
नोटिफिकेशन ऑन करें  
For Daily Alerts
Oneindia App Download

1984 दंगा पीड़ितों को इस बार मिलेगा इंसाफ़?

सुप्रीम कोर्ट ने सिख विरोधी दंगों के 186 मामलों की दोबारा जांच के लिए एसआईटी बनाने का आदेश दिया है.

By BBC News हिन्दी
Google Oneindia News
Anti-sikh riots
AFP
Anti-sikh riots

"मेरे पति ने क्या बिगाड़ा था किसी का जो मेरे बच्चों को अनाथ कर दिया.. जो हमारे साथ किया है हमारे अपनों ने ही, हमारे देश के लोगों ने ही... हमें न्याय तो मिले कम से कम..."

लखविंदर कौर पहले तो बात करने से बचती रहीं क्योंकि कई बार अधिकारियों के सामने अपनी आपबीती दोहराते-दोहराते थक चुकी हैं. 1984 के सिख विरोधी दंगों में अपने पति को खोने के बाद से वह इस हादसे से उबर नहीं पाई हैं.

वो कहती हैं, "मैंने कैसे अपनी दो बेटियों को पाला है, मैं ही जानती हूं. मुझे नहीं पता कि शादीशुदा ज़िंदग़ी क्या होती है. डिप्रेशन की गोलियां खाती हूं. अगर ऊपरवाले ने कुछ किया हो तो हम सोच सकते हैं कि ठीक है, जो हुआ सो हुआ लेकिन जो इंसानों ने किया उस पर तो ऐसा नहीं सोच सकते ना."

लखविंदर कौर बात करते हुए रोने लगती हैं. हादसे के दिन उनके पति पुलबंगश गुरुद्वारे में कीर्तन के लिए गए थे और लौटी तो बस उनके मरने की ख़बर.

1984: जब दिल्ली में 'बड़ा पेड़ गिरा और हिली धरती...'

'एक जैसे थे सन् 84 के सिख और गुजरात दंगे लेकिन...'

Supreme court of India
Getty Images
Supreme court of India

फिर से होगी 186 मुकदमों की जांच

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सिख विरोधी दंगों से जुड़े 186 मुकदमों की फिर से जांच के आदेश दिए हैं. दरअसल, केंद्र सरकार ने फरवरी 2015 में माथुर कमेटी के सुझाव पर एक विशेष जांच टीम का गठन किया था. इस जांच टीम ने 293 मुकदमों की जांच की और इनमें से 241 की फाइल बंद कर दी.

सुप्रीम कोर्ट ने जांच टीम के इस फैसले पर 16 अगस्त 2017 को एक सुपरवाइज़री पैनल का गठन किया. इसी पैनल के सुझाव पर बंद हुए 241 में से 186 मुकदमों को फिर से जांचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक नई विशेष जांच कमेटी बनाने का आदेश दिया.

इस जांच टीम में तीन सदस्य होंगे और हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज इसके मुखिया होंगे.

दिल्ली के इतिहास में 1984 दंगों का एक काला पन्ना भी है जिसे कई बार खोला जा चुका है लेकिन न्याय अभी पूरा नहीं हो पाया है.

पीड़ित आज भी अपने घावों के लिए इंसाफ़ के फ़ाहे का इंतज़ार कर रहे हैं.

anti-sikh riots
AFP
anti-sikh riots

'मां के सामने बेटे को घसीटकर ले गए'

तिलक विहार में रहने वाली कौशल्या जब ब्याह कर दिल्ली आईं थीं तो सपने में भी नहीं सोचा था कि आने वाले छह महीने में ही पति को दंगे में खो देंगी. 18 साल की उम्र में वो समझ भी नहीं पाईं थीं कि उनके साथ क्या हादसा हुआ है.

कौशल्या बताती हैं, "मैं तब अपने मायके में थी. मुझे तो ये भी समझ नहीं थी कि विधवा होना क्या होता है. बस घरवाले कह रहे थे कि इसका भी पति चला गया."

"मेरी सास ने तो बहुत झेला है. वो अपने बेटे और भाइयों को बचाने की कोशिश करती रहीं. उनका हाथ भी तोड़ दिया था. कपड़े भी फाड़ दिए थे. मेरे पति को उनके सामने ही घसीटकर ले गए. मेरी ननद ने बताया था कि मेरे पति उनकी गोद में छिपकर चिल्ला रहे थे कि मुझे बचा लो, मुझे बचा लो."

कौशल्या ने बताया कि उनकी सास ने दंगों को लेकर कई बार गवाही दी और पिछले साल ही उनका देहांत हो गया.

'दंगे में जान बचानेवाले पुलिसवालों को नहीं मिला सम्मान'

anti-sikh Riots
AFP
anti-sikh Riots

'क्यों कोई गिरफ्तार नहीं होता'

पीड़ित आत्मा सिंह लुभाना कहते हैं कि अगर सुप्रीम कोर्ट न्याय करना चाहती है तो फिर दिल्ली पुलिस को हटाकर किसी और राज्य की पुलिस को जांच के लिए लाया जाए.

"आरोपियों की जड़ें दिल्ली पुलिस में मज़बूत हैं, मुकदमा दर्ज होने से पहले ही आरोपी अग्रिम ज़मानत ले आते हैं. बाहर की पुलिस नए सिरे से गवाहों के बयान ले और मुकदमे दर्ज करे. हम जो बयान दे रहे हैं, हर कमीशन चाहे रंगनाथ मिश्रा कमीशन.. नानावटी कमीशन, जैन मित्तल कमीशन, नरूला कमेटी.. सभी ने उन्हीं आरोपियों का नाम लिया. तो ये अब तक गिरफ्तार क्यों नहीं हुए?"

53 साल के आत्मा सिंह का कहना है कि मंगोलपुरी में उनके घर के पास 25 लोग मारे गए थे. सुल्तानपुरी और त्रिलोकपुरी में उनके कई रिश्तेदार दंगाइयों का शिकार हुए. उस वक़्त आत्मा सिंह सिर्फ 19 साल के थे.

आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक, 1984 दंगों में सिर्फ दिल्ली में ही 2100 से अधिक लोग मारे गए थे.

Anti-Sikh Riots
AFP
Anti-Sikh Riots

काफ़ी देर हो गई इंसाफ़ होते-होते

30 साल से सिख विरोधी दंगों में न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहे मनजीत सिंह कहते हैं कि ये आदेश बहुत पहले आ जाना चाहिए था क्योंकि बिना कोर्ट की निगरानी के एसआईटी का काम प्रभावी नहीं होता.

मनजीत कहते हैं, "इस वक्त कई सबूत खत्म हो चुके होंगे, कई गवाह और पीड़ित भी मर चुके होंगे. यहां तक कि कई आरोपी भी मर चुके हैं. अब जांच की रिपोर्ट के लिए एक वक्त तय होना चाहिए. साथ ही पुलिस और सीबीआई से क्या गड़बड़ हुई है, उसकी भी जांच होनी चाहिए."

एस. गुरलद सिंह और मनजीत सिंह इस मामले में याचिकाकर्ता हैं जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है.

क्या गुजरात दंगे के हिंदू पीड़ित उपेक्षित हैं?

'दंगे ने हमें पूरी तरह तबाह कर दिया'

BBC Hindi
Comments
देश-दुनिया की ताज़ा ख़बरों से अपडेट रहने के लिए Oneindia Hindi के फेसबुक पेज को लाइक करें
English summary
1984 riots victims will get justice this time
तुरंत पाएं न्यूज अपडेट
Enable
x
Notification Settings X
Time Settings
Done
Clear Notification X
Do you want to clear all the notifications from your inbox?
Settings X
X