1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध: जब पठानकोट एयरबेस से IAF ने दुश्मन पर की थी Air Strike
नई दिल्ली। पठानकोट। 16 दिसंबर को भारत-पाकिस्तान के बीच हुई तीसरी जंग को 48 साल हो जाएंगे। पांच दिसंबर सन् 1971 को भारत-पाकिस्तान के बीच तीसरे युद्ध की शुरुआत हुई थी। 16 दिसंबर को यह युद्ध करीब एक लाख पाक सैनिकों के आत्मसमर्पण के साथ खत्म हुआ था। इस जंग में इंडियन एयरफोर्स (आईएएफ) की वेस्टर्न कमांड ने अहम भूमिका अदा की थी। वेस्टर्न एयर कमांड का जम्मू कश्मीर स्थित पठानकोट एयरबेस दुश्मन के लिए काल बना और यहा से दुश्मन पर हुए हवाई हमलों ने उयकी कमर तोड़ दी थी।
पांच दिसंबर से हुए हमले
तीन दिसंबर 1971 को भारत-पाक के बीच एक और जंग का सायरन बज गया। इसके दो दिन बाद यानी पांच दिसंबर 1971 को आईएएफ के फाइटर जेट्स ने सुबह चार बजे पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरी थी। एलओसी पर पाकिस्तान की सेना तेजी से आगे बढ़ रही थीं। सुबह तड़के जंग पर निकले चार फाइटर जेट्सने पाकिस्तानी फौज पर बम गिराये और साथ ही साथ वाल्टन एयरफील्ड पर एक पाकिस्तानी रडार को नष्ट कर दिया।
आईएएफ से परेशान हुई पाक आर्मी
उसी
दिन
वायुसेना
ने
लाहौर
सेक्टर
तक
पाकिस्तानी
सेना
को
परेशान
करके
रख
दिया
था।
एक
स्ट्राइक
के
समय
आईएएफ
का
एक
जेट
क्रैश
हो
गया
था
मगर
इसके
पायलट
ने
सूझ-बूझ
के
साथ
पठानकोट
में
लैंडिंग
की।
पाकिस्तानी
फौज
ने
भारत
के
कुछ
फाइटर
जेट्स
नष्ट
कर
दिए
थे।
इसके
बाद
इसी
पठानकोट
से
वायुसेना
के
सिर्फ
13
पायलट्स
ने
जंग
में
वापसी
की
और
बिना
नुकसान
के
दुश्मन
के
ठिकानों
को
नेस्तनाबूत
कर
दिया।
13 पायलट और 11 फाइटर जेट्स
दिलचस्प बात यह है कि उस समय इन 13 पायलटों के पास सिर्फ 11 जेट्स ही बचे थे। छह दिसंबर से आईएएफ हमले तेज कर दिये। इस एयर स्ट्राइक में रिसालवाला का युद्ध सबसे खतरनाक और रोंगटे खड़े करने वाला था। रिसालवाला के अलावा जफरवाल, ननकोट और पांच अन्य जगहों पर हमले किये गये। 14 दिसंबर को शकरगढ़ में दोनों सेनाओं के बीच संघर्ष तेज हुआ, इसमें फ्लाइट लेफ्टिनेंट परेरा शहीद हो हो गये।
लैंडिंग के समय क्रैश एक फाइटर जेट
उसके ठीक दूसरे दिन 15 दिसंबर को एस-24 रॉकेट के साथ सुलेमान के पर हमले किए थे। इसके अगले ही दिन ढाका में पाकिस्तानी फौज ने सरेंडर कर दिया, लेकिन तब तक भारत का एक विमान उड़ान भर चुका था। अपने मिशन में कामयाब होने के बाद जिस वक्त पठानकोट में विमान लैंडिंग कर रहा था, उस वक्त अचानक वह क्रैश हो गया और एक फ्लाइट लेफ्टिनेंट रैंक के ऑफिसर शहीद हो गए थे।