1971 Indo-Pak War: 48 साल बाद भी लोगों को याद है Battle of Longewala
नई
दिल्ली।
सन्
1971
में
हुई
भारत-पाकिस्तान
की
जंग
को
16
दिसंबर
को
48
वर्ष
पूरे
हो
जाएंगे।
इस
जंग
में
बैटल
ऑफ
लौंगेवाला
यानी
लौंगेवाला
की
लड़ाई
को
आज
तक
कोई
भी
नहीं
भूला
पाया
है।
इस
जंग
के
हीरो
थे
महावीर
चक्र
विजेता
ब्रिगेडियर
कुलदीप
सिंह
चांदपुरी।
जिस
समय
भारत
और
पाक
के
बीच
यह
जंग
लड़ी
गई
थी
उस
समय
शायद
आप
और
हममें
से
कोई
भी
नहीं
रहा
होगा।
साल
1997
में
रिलीज
हुई
फिल्म
'बॉर्डर'
के
जरिए
इस
जंग
की
एक
झलक
हम
सबको
देखने
को
मिली
थी।
इस
फिल्म
में
सनी
देओल
ने
बिग्रेडियर
चांदपुरी
का
रोल
अदा
किया
था।
जो
जंग
ब्रिगेडियर
चांदपुरी
ने
लड़ी
थी
वह
काफी
चुनौती
भरी
थी।
सिर्फ 120 सैनिकों के साथ लड़ी जंग
भारत-पाकिस्तान की जंग के समय ब्रिगेडियर चांदपुरी, मेजर रैंक पर थे। लौंगेवाला की लड़ाई के बारे में जो लोग जानते हैं , वह आज भी ब्रिगेडियर चांदपुरी को इस लड़ाई का हीरो मानते हैं। लौंगेवाला पोस्ट शायद हमारी सेना के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी और इस चुनौती को पूरा करने का जिम्मा दिया गया था मेजर कुलदीप सिंह चांदपुरी को। जंग के समय मेजर चांदपुरी को पंजाब रेजीमेंट की 23वीं बटालियन को लीड करने की जिम्मेदारी दी गई।
सामने थे पाकिस्तान के 2,000 जवान
इससे पहले वह 65 की जंग में भी पाक सेना को धूल चंटा चुके थे। मेजर चांदपुरी के पास सिर्फ 120 लोगों का ट्रूप था तो सामने थे पाक की 51वीं इंफ्रेंटी ब्रिगेड के 2,000 से 3,000 सैनिक जिसके साथ 22वीं आर्म्ड रेजीमेंट की भी मदद मिल रही थी। पांच दिसंबर 1971 को एकदम तड़के दुश्मन ने भारतीय सेना पर हमला बोल दिया। हालात मुश्किल थे और फिर भी मेजर चांदपुरी को इन हालातों का सामना करना था।
रात भर दुश्मन से लड़ती रही सेना
पूरी रात उन्होंने 120 लोगों की कंपनी के साथ दुश्मनों का मुकाबला किया। चांदपुरी अपने सैनिकों में जोश भरते रहे ताकि वह दुश्मन का मुकाबला कर सकें। एक बंकर से दूसरे बंकर तक जाकर वह अपने सैनिकों को उत्साहित कर रहे थे। उस समय इंडियन एयरफोर्स के पास हंटर एयरक्राफ्ट थे। वह रात में लड़ाई नहीं कर सकते थे। सुबह तक मेजर चांदपुरी और उनकी कंपनी बहादुरों की तरह दुश्मन से लड़ती रही। सुबह जब एयरफोर्स पहुंची तो उसकी मदद सेना को मिली। इस जंग के बाद मेजर चांदपुरी को महावीर चक्र से पुरस्कृत किया गया। ब्रिगेडियर चांदपुरी हमेशा कहते थे कि इंडियन आर्मी और इसके सैनिकों का कोई भी मुकाबला नहीं हैं। वह किसी भी परिस्थिति में हर तरह से दुश्मनों का मुकाबला कर सकती है।