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Exclusive: 1965 की जंग में पाकिस्तान से कैसे हारते-हारते जीत गया भारत?

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नयी दिल्‍ली (अंकुर कुमार श्रीवास्तव)। देश 1965 युद्ध की जीत के 50 साल पूरे होने पर जश्‍न मना रहा है। वनइंडिया ने 1965 लड़ाई की यादें ताजा करने के लिए उस वक्‍त सरहद पर मोर्चा संभालने वाले मेजर राजेंद्र सिंह से मुलाकात की। मेजर साहब ने जब बोलना शुरू किया तो उनके शब्दों में जंग का मंजर साफ दिखाई देने लगा। चलिये आगे बढ़ते हैं और देखते हैं कैसा था वो जंग-ए-मैदान।

Major Rajender


सब जानते हैं कि भारत और पाकिस्तान चिर प्रदिद्वंदी हैं। इन दोनों देशों के बीच समय-समय पर सीमा विवाद को लेकर मुठभेड़ और युद्ध होते रहे हैं। ऐसा ही एक भीषण युद्ध 1965 में हुआ था। आज इस युद्ध के 50 साल हो गये हैं। कई लोगों के दिमाग में यह सवाल हिचकोले मारता है कि ये लड़ाई बराबरी पर छूटी या फिर कौन हारा कौन जीता? ऐसा इ‍सलिए क्‍योंकि पाकिस्‍तान इसमें अपनी जीत बताता रहा है और इसके लिए खास विक्‍ट्री डे मनाता है। लेकिन सच्‍चाई ये है कि जंग भले युद्धविराम पर खत्‍म हुई पर जीत भारत की हुई थी।

मेजर राजेंद्र सिंह ने जो बताया

राजेन्‍द्र सिंह 48 ब्रिगेड में सर्विस करते थे। लड़ाई की शुरुआत से लेकर अंत तक की कहानी सुनाते हुए मेजर राजेंद्र सिंह ने बताया कि पाकिस्‍तान ने मार्च 1965 में ही लड़ाई का मन बना लिया था। सीमा पार से छोटी-मोटी गोलीबारी शुरु कर दी गई थी लेकिन ब्रिटेन की मध्‍यस्‍थता पर मामला सुलझ गया था। मेजर राजेन्‍द्र ने बताया कि पाकिस्‍तान कश्‍मीर की जनता को भड़का कर भारत के खिलाफ विद्रोह करना चाहता था। पाकिस्‍तान ने इसके लिए एक खास मिशन भी बनाया था जिसका नाम था 'ऑपरेशन जिब्राल्टर'। 5 अगस्‍त को पाकिस्‍तान ने आधिकारिक तौर पर युद्ध का ऐलान कर दिया और उसके लगभग 40 हजार सैनिक भारत सीमा में घुस आए।

पाकिस्‍तान उठाना चाहता था भारतीय सैनिकों के गिरे मनोबल का फायदा

मेजर राजेन्‍द्र ने बताया कि 1962 में भारतीय सेना को चीन के हाथों करारी हार मिली थी जिससे उसका मनोबल काफी गिर गया था। पाकिस्‍तान इसी का फायदा उठाकर कश्‍मीर हड़पना चाहता था और उसने भारत पर हमला बोला दिया। मेजर राजेन्‍द्र ने बताया कि भारत उस वक्‍त इस हालत में नहीं था कि फिर से एक युद्ध झेल सके। मेजर ने बताया कि भारतीय सेना कश्‍मीर को बचाने के लिए फिर खड़ी हुई और जवाबी कार्रवाई करते हुए आईबी (अन्तरराष्ट्रीय नियंत्रण रेखा) पार कर रहे पाकिस्‍तानियों पर हमला बोल दिया। आलम यह था कि भारतीय सेना हमला करती जा रही थी और पाकिस्‍तानी सैनिक कश्‍मीर के अंदर घुसते जा रहे थे।

15 अगस्‍त का दिन रहा शुभ

उस युद्ध की यादें साझा करते हुए मेजर राजेंद्र ने बताया कि पाकिस्‍तान ने एक हफ्ते के अंदर टिथवाल, उरी और पुंछ के कुछ महत्वपूर्ण इलाकों में कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना अब मुश्‍किल में दिख रही थी। तभी उसे अतिरिक्‍त टुकडि़यों का समर्थन मिल गया और मानों एक बार फिर जान आ गई हो। 15 अगस्‍त को भारतीय सेना ने लड़ाई का रूख ही बदल दिया और पाकिस्‍तान को खदेड़ते हुए उसके कब्‍जे की कश्‍मीर में 8 किमी अंदर घुस गई और हाजी पीर दर्रे पर अपना झंडा लहरा दिया।

Comments
English summary
We all know that war of 1965 was imposed on India even than India taught a good lesson to Pakistan which forced Pakistan Army to surrender in front of India. On the occasion of golden jubilee two heroes of 1965 war Major Rajender Singh and his friend in exclusive conversation with Oneindia.
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