19 हाईकोर्ट कोरोना संकट पर दे चुके आदेश, सॉलिसिटर जनरल ने कहा- ये समानांतर सरकार चला रहे
नई दिल्ली। कोरोना वायरस और लॉकडाउन के चलते देश में गरीब वर्ग को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। खासतौर से प्रवासी मजदूरों की समस्याओं को लेकर सरकार की लगातार आलोचना हो रही है। अब तक सुप्रीम कोरट के अलावा 19 हाईकोर्ट मजदूरों से जुड़े मामलों पर आदेश दे चुके हैं। अदालत ने सरकार के कामकाज पर एतराज जताया है। इससे केंद्र की मोदी सरकार खुश नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का पक्ष रख रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान कहा है कि हाईकोर्ट समानांतर सरकार चला रहे हैं।
सॉलिसिटर जनरल ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में उनकी कड़ी आलोचना की जो मौजूदा समय में सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए राजनीतिक पार्टियों और सवाल उठाने वाले तबके को तो घेरा। न्यायपालिका पर भी सीधा हमला बोलते हुए कहा कि कुछ हाई कोर्ट समानांतर सरकार चला रहे हैं।
बता दें कि प्रवासी मजदूरों के सामने पेश आ रहे अमानवीय हालात, अस्पतालों की दुर्दशा और सरकार के कामकाज के रवैये पर अब तक 19 हाईकोर्ट राज्य सरकारों और केंद्र की एजेंसियों को फटकार चुके हैं। खासतौर पर गुजरात हाईकोर्ट ने दो बार राज्य सरकार की बखिया उधेड़ी।
इलाहाबाद, आंध्र प्रदेश, बॉम्बे, कलकत्ता, दिल्ली, गौहाटी, हिमाचल प्रदेश, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, केरल, मद्रास, मणिपुर, मेघालय, पटना, उड़ीसा, सिक्किम, तेलंगाना और उत्तराखंड के उच्च न्यायालयों ने प्रवासी मजदूरों और अस्पतालों की हालत पर जनहित याचिकाओं पर सुनवाई की है। वहीं दिल्ली, बॉम्बे, पटना हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर सरकारों से कई जवाब मांगे हैं।
हाल ही में गुजरात हाईकोर्ट ने अहमदाबाद के सिविल अस्पताल को काल कोठरी बताया था। गुरुवार को ही तेलंगाना हाईकोर्ट टेस्ट की कम स्पीड को लेकर सरकार पर बरसा है। आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, मद्रास और उत्तराखंड के हाईकोर्ट सराकर से मजदूरों से किराया लिए जाने उनकी परेशानियों पर सवाल कर चुके हैं। कर्नाटक हाईकोर्ट भी मजदूरों के टिकट पर सरकार से जवाब मांग चुका है।
20 मई को उत्तराखंड हाईकोर्ट ने रैपिड टेस्टिंग किट की गुणवत्ता को लेकर सवाल किए थे। गुवाहाटी हाईकोर्ट की कोहिमा बेंच भी कोविड टेस्ट के नतीजों में देरी पर सरकार को सवाल कर चुकी है। दिल्ली हाईकोर्ट कोविड से मौत के बाद शवों के अंतिम संस्कार में दिक्कतों पर स्वत: संज्ञान ले चुका है। बॉम्बे हाईकोर्ट महाराष्ट्र सरकार के न्यूजपेपर की डिलीवरी बैन करने के फैसले पर सवाल उठा चुका है।
शनिवार को ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया है कि वह 2 जून तक प्रवासी मजदूरों को अपने मूल स्थानों तक ले जाने की प्रक्रिया के बारे में एक रिपोर्ट दायर करे। पटना हाईकोर्ट ने मुजफ्फरपुर के प्लेटफॉर्म पर मृत पड़ी महिला की वीडियो पर सवाल पूछे। जाहिर है कि अदालत की तरफ से सरकारों के कामकाज पर सवाल उठाए जाने से राज्य और केंद्र सरकार खुश नहीं है, जो सॉलिसिटर जनरल के बयान से दिखा है।
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