खुदाई में कुएं से मिले 18वीं सदी के शासक टीपू सुल्तान के 1000 रॉकेट, युद्ध में होना था इस्तेमाल
बेंगलुरू। कर्नाटक में खुदाई के दौरान एक कुएं से एक हजार से ज्यादा रॉकेट मिलने के बाद हड़कंप मच गया। इन रॉकेट की जांच की गई तो पता चला कि ये सभी रॉकेट 18वीं सदी के बड़े योद्धा और मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के हैं। ऐसा माना जा रहा है कि टीपू सुल्तान ने मैसूर युद्ध में इस्तेमाल करने के लिए इन्हें छिपाकर रखा था। इतनी भारी मात्रा में 18वीं सदी के रॉकेट मिलने के बाद मामले की सूचना तुरंत ही पुरातत्व विभाग को दी गई। जिसके बाद राज्य पुरातत्व विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे और बरामद हुए हथियारों की जांच शुरू कर दी।
कर्नाटक के शिमोगा में मिले 18वीं सदी के रॉकेट
कर्नाटक के सहायक पुरातत्व निदेशक ने बताया कि शिमोगा में एक कुए से बरामद किए गए रॉकेट और गोला-बारूद मैसूर के शासक टीपू सुल्तान के दौर के हैं। ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने युद्ध के मद्देनजर इनको एकत्र किया था। टीपू सुल्तान बड़े योद्धा थे, जिन्होंने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ जंग में कई बार जीत दर्ज की थी। हालांकि 1799 में चौथे ब्रिटिश एंग्लो-मैसूर जंग में उनकी मौत हो गई थी।
कुएं से मिले 18वीं सदी के रॉकेट
टीपू सुल्तान को मैसूरियन रॉकेट के नाम से प्रारंभिक स्वदेशी रॉकेट विकसित करने का भी श्रेय दिया जाता है। दरअसल जिस समय अंग्रेजों के साथ उनकी जंग हो रही थी उस समय नेपोलियन युद्धों में इस्तेमाल होने वाले ब्रिटिश कंजर्व रॉकेट का इस्तेमाल करते थे। अंग्रेजों के उसी रॉकेट के प्रोटोटाइम के तौर पर टीपू सुल्तान ने मैसूरियन रॉकेट के नाम से प्रारंभिक स्वदेशी रॉकेट विकसित किया।
तीन दिन की खुदाई में हुआ खुलासा
बरामद हुए एक हजार से ज्यादा रॉकेट के बारे में बताया गया कि खुदाई के दौरान अचानक ही मिट्टी से गनपाउडर जैसी महक आने लगी। इसके बाद उस जगह की और खुदाई की गई तो कुएं से रॉकेट और दूसरे गोले-बारूद बरामद हुए। इसके बाद प्रदेश पुरातत्वविदों को बुलाया गया। करीब तीन दिन की खुदाई के बाद टीपू सुल्तान के समय के रॉकेट और हथियारों का पता लगा। इन हथियारों को शिमोगा स्थित म्यूजियम में रखा जाएगा।