18 साल के युवक की स्टार्टअप को मिला रतन टाटा का साथ, सस्ती दवा बेचती है Generic Aadhaar
नई दिल्ली- उद्योगपति रतन टाटा ने गुरुवार को दवा कारोबार से जुड़े एक फर्म 'जेनरिक आधार' में एक अघोषित रकम निवेश किया है। यह कंपनी दो साल पहले ही शुरू हुई स्टार्टअप है, जिसे 18 साल के कारोबारी अर्जुन देशपांडे ने शुरू किया था। आने वाले तीन वर्षों में कंपनी ने अपने लिए आम लोगों तक सस्ती दवाएं पहुंचाने का बड़ा लक्ष्य तय कर रखा है। उम्मीद है कि जब उन्हें रतन टाटा जैसे बड़े उद्योगपति का साथ मिला है, तो वह अपने मिशन में जरूर कामयाब हो सकते हैं। क्योंकि, दवा के क्षेत्र में इतनी बड़ी कंपनियों का बोलवाला रहा है, जहां छोटे-मोटे कारोबारी टिक ही नहीं पाते हैं।
18 साल के युवक की स्टार्टअप को मिला रतन टाटा का साथ
टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा ने जिस 'जेनरिक आधार' कंपनी में निवेश क्या है, वह स्टार्टअप है और 18 वर्षीय अर्जुन देशपांडे उसके फाउंडर हैं। 'जेनरिक आधार' के मुताबिक उसकी सालाना कमाई 6 करोड़ रुपये है। यह कंपनी आने वाले तीन वर्षों में 150 से 200 रुपये आय प्राप्त करने का लक्ष्य लेकर चल रही है। रतन टाटा ने निजी हैसियत से अर्जुन देशपांडे की जिस कंपनी में निवेश किया है, उस रकम की पुख्ता जानकारी के मुताबिक जानकारी तो नहीं है, लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टाटा ने जेनरिक आधार में 50 फीसदी हिस्सेदारी खरीदी है। बिजनेस की शुरुआत में ही रतन टाटा जैसी शख्सियत का सहयोग मिलना देशपांडे के लिए बहुत ही गौरव की बात है। उन्होंने कहा है, 'भारतीयों तक सस्ती दवा पहुंचाने के लिए माननीय श्री रतन टाटा सर के साथ महान जुड़ाव की घोषणा करना बहुत ही गौरवशाली क्षण है।'
एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल पर काम
जेनरिक आधार फार्मेसी-एग्रीगेटर बिजनेस मॉडल पर काम करती है जो दवा बनाने वाली कंपनियों से दवा खरीदकर सीधे खुदरा दवा दुकानदारों को बेचती है। इसके चलते बिचौलियों के पास जाने वाला पूरा पैसा बच जाता है और आम लोगों को दवा बहुत ही कम दाम पर मिल जाती है। इस स्टार्टअप कंपनी का अभी मुंबई, पुणे, बेंगलुरु और ओडेशा के 30 रिटेलरों के साथ प्रॉफिट-शेयरिंग मॉडल पर करार है। एक बयान में देशपांडे ने कहा है, 'हमारा मिशन वरिष्ठ नागरिकों और पेंशनभोगियों को वह सेवा देना है, जिसके वो हकदार है, इसके पीछे आइडिया ये है कि उन तक वो सस्ती दवाइयां पहुंचाई जाएं, जिसकी उन्हें रोजाना जरूरत है।' जेनरिक आधार की खासियत ये है कि वह सीधे विश्व स्वास्थ्य संगठन-जीएमपी प्रमाणित फैक्ट्रियों से ही दवाइयां खरीदता जिससे उसकी गुणवत्ता पर भी कोई सवाल नहीं हो सकता।
सिर्फ 16 साल की उम्र में शुरू किया कारोबार
बता दें कि एक सर्वे से पता चला है कि 60 फीसदी भारतीय इसलिए पूरी दवा नहीं ले पाते हैं, क्योंकि बाजार में उसकी कीमत बहुत ही ज्यादा होती है। जेनरिक आधार का लक्ष्य 1000 फार्मेसियों के साथ फ्रेंचाइजी-बेस्ड मॉडल पर पार्टनरशिप करना है और अपना बाजार गुजरात, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, नई दिल्ली, गोवा, राजस्थान और गुजरात जैसे राज्यों में बढ़ाना है। बता दें कि अर्जुन देशपांडे ने अपने स्टार्टअप की शुरुआत दो साल पहले ही की थी, उस वक्त वे सिर्फ 16 साल के थे। जेनरिक आधार के बिजनेस मॉडल में 16 से 20 फीसदी का मार्जिन बचता है, जिसका लाभ आगे उपभोक्ताओं को मिल पाता है। इस समय जेनरिक आधार कंपनी में 55 कर्मचारी हैं, जिसमें फार्मासिस्ट, आईटी इंजीनियर और मार्केटिंग के लोग शामिल हैं।
कई और स्टार्टअप से जुड़ चुके हैं रतन टाटा
जानकारी के मुताबिक रतन टाटा ने देशपांडे का प्रस्ताव कुछ महीने पहले ही सुना था। उन्हें उनके बिजनेस मॉडल में दिलचस्पी थी और गुरुवार को देशपांडे के लिए वह सपना साकार हो गया। रतना टाटा ने इसमें निजी हैसियत से निवेश किया है और वो इससे पहले भी ओला, पेटीएम, स्नैपडील, लेंसकार्ट जैसे स्टार्टअप में सहयोग कर चुके हैं। जानकारी के मुताबिक जेनरिक आधार स्टार्टअप जब शुरू हुआ था तो उसमें सिर्फ 15 लाख रुपये का निवेश हुआ था, लेकिन आज उसके साथ रतन टाटा जैसे उद्योगपति जुड़ चुके हैं।
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