मौत से ठीक पहले पानी मांग रहे थे सुभाष चंद्र बोस
[ऐतिहासिक तथ्य] इंडियन नेशनल आर्मी के सुप्रीम कमांडर नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने अंतिम सांस लेने के ठीक पहले कहा, "मैं आखिरी दम तक मुल्क की आजादी के लिये लड़ता रहा। वो (हिंदुस्तानी) जंग-ए-आजादी को जारी रखें। हिंदुस्तान जरूर आजाद होगा, उसको कोई गुलाम नहीं रख सकता।" जिस वक्त नेताजी ने यह बात कही, उस वक्त उनका गला सूख रहा था। वो बार-बार पानी मांग रहे थे। वे पानी पीते गये, गला सूखता गया और फिर अचानक दिल की धड़कनें रुक गईं।
नममोन मिलिट्री अस्पताल में मानो सन्नाटा छा गया। हर कोई स्तब्ध था। डा. तोयोशी सूरुता मौत के आगे हार चुके थे और नेताजी के बेड के ठीक बगल में खड़ी थीं ताईवान की नर्स सान पी शा। ये वो नर्स थीं, जिन्होंने नेताजी की तीमारदारी में कोई कसर नहीं छोड़ी और रात भर उनकी सेवा में लगी रहीं।
क्या हुआ था दोपहर को?
18 अगस्त 1945 की दोपहर नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिस विमान में सफर कर रहे थे, वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया। यह हादसा तेपेई में हुआ। विमान धू-धू कर जल रहा था। कर्नल हबीबुर रहमान जलते विमान से बाहर निकले और सामने देखा नेताजी खड़े हैं और उनके शरीर पर आग की लपटें उठ रही हैं। नेताजी का कोट उतारने में तो सफलता मिल गई, लेकिन स्वेटर और पैरों में जूते नहीं उतर पाये और वे बुरी तरह झुलस गये।
नेताजी को तुरंत पास के ननमोन मिलिट्री अस्पताल ले जाया गया। यहां डॉक्टरों की टीम में सान पी शा भी शामिल थीं। वो बताती हैं कि नेताजी के साथ उस वक्त योशीकाजू नाकामुरा (भाषा अनुवाद करने वाले) भी थे। [नेताजी से जुड़ीं 40 खास बातें]
क्या बताया डा. सुरुता ने-
बोस ने मुझसे अंग्रेजी में पूछा, "डॉक्टर क्या आप रात भर मेरे पास बैठ सकते हैं।" मैंने कहा हां जरूर, लेकिन कुछ ही देर बाद उनकी सांस उखड़ने लगी और उन्हें कैमफर का इंजेक्शन दिया गया और वो धीरे-धीरे कोमा में चले गये और थोड़ी ही देर बाद उनकी मृत्यु हो गई। [पढ़ें- बोस की अन्त्योष्टि की अनसुनी दास्तां]
क्या बताया सान पी शा ने-
उनकी मृत्यु मिलिट्री अस्पताल में ही हुई। जब बोस ने अंतिम सांस ली, तब मैं उनके बगल में ही खड़ी थी। उनकी मृत्यु 18 अगस्त 1945 को हुई। मैं सर्जिकल नर्स के तौर पर अस्पताल में ड्यूटी पर थी, जब सुभाष चंद्र बोस को लाया गया। डॉक्टर ने मुझसे कहा कि बोस के शरीर पर ऑलिव ऑयल की मालिश कर दो। मैंने अपना काम शुरू कर दिया, लिकिन तब वे बेहोश थे।
जब-जब उन्हें होश आता, तब-तब उन्हें प्यास लगती और धीमी आवाज़ में मुझसे वे पानी मांगते। मैंने रात को कई बार उन्हें पानी पिलाया। रात को जब मैंने उन्हें पानी पिलाया तो थोड़ी ही देर बाद, उनकी नब्ज मिलनी बंद हो गई। मैं समझ गई थी कि अब वे नहीं रहे हैं। मैंने कनफर्म करने के लिये डॉक्टर को बुलाया। डॉक्टर तुरंत बेड के पास पहुंचे और चेक करने के बाद बोले, "Yes, he died" (हां ये मर चुके हैं)।
सुभाष चंद्र बोस के लिये क्या था जापान का कोड वर्ड, उनकी मौत के ठीक बाद क्या किया था जापानी सैन्यधिकारियों ने, पढ़ें कुछ तथ्यों जो BoseFiles ने उजागर किये: स्लाइडर में-
भारतीय पुलिस ने जब्त किया था टेलीग्राम
सितम्बर 1945 में भारतीय पुलिस की एक टीम तेपेई गई और उस टेलीग्राम को जब्त कर लिया, जिसमें जापानी सदर्न आर्मी चीफ ने बोस की मौत का संदेश भेजा था।
नहीं की गई थी बोस की हत्या
मिगेस की रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि तमाम सबूतों और गवाहों के बयानात से साफ है कि यह महज एक हादसा था। किसी की साजिश नहीं। यानी सुभाष चंद्र बोस की हत्या की गई थी, यह कहना बिलकुल गलत है।
सिर, सीने और जांघों पर चोटें
डा. योशीमी ने बताया- जब बोस बेड पर लेटे हुए थे, तब मैंने खुद उनके घाव साफ किये और तेल व अन्य दवाओं से उनकी ड्रेसिंग की। सबसे गहरी चोट उनके सिर पर, सीने पर और जांघों पर आयी थी। माथे पर बायीं होर हलकी चोट भी थी। पूरा शरीर काला पड़ गया था।
अंतिम वक्त में अंग्रेजी बोल रहे थे बोस
डा योशीमी के अनुसार जब बोस बेड पर थे, तब वे अंग्रेजी में बात कर रहे थे। वे जो कुछ भी बोल रहे थे, उसका जापानी अनुवाद उनके बगल में बैठे नाकामुरा कर रहे थे।
सिर में हो रहा था तीव्र दर्द
डा योशीमी ने बोस से पूछा, "आपको कैसा महसूस हो रहा है?" बोस बोले, "ऐसा लग रहा है जैसे रक्त मेरे सिर की ओर तेजी से बढ़ रहा है। सिर में तेज दर्द है, मैं कुछ देर सोना चाहता हूं।"
रात के 11 बजे हुई थी मौत
डा. योशीमी ने बताया कि बोस बेहोशी की हालत में भी बड़बड़ा रहे थे। कोमा में जाते वक्त भी वे कुछ बोल रहे थे। निरंतर बड़बड़ाते हुए वे धीरे-धीरे कोमा में चले गये और रात के 11:00 बजे उनकी सांसें थम गईं। डा. योशीमी ने ये सभी बातें शाह नवाज़ कमेटी के समक्ष 1974 में कहीं।
शांति के साथ ली अंतिम सांस
नाकामुरा ने बताया- बोस ने अंतिम सांस लेते वक्त जरा भी दर्द की शिकायत नहीं की... बस धीरे से मौत की नींद में वे सो गये। हम सब चकित थे जब अस्पताल के उस कक्ष में मौजूद हर किसी के सिर झुक गये।
जापानी सेना ने दी थी सलामी
जैसे ही मैंने जापानी सेना के अधिकारी को बताया, "बोस नहीं रहे", वैसे ही वे वहां मौजूद सभी सैन्यधिकारी तुरंत खड़े हो गये और बोस को सलामी दी।
बोस के लिये कोड वर्ड था "T"
जापान सेना ने सुभाष चंद्र बोस के लिये कोर्ड वर्ड "T" का इस्तेमाल किया था। 20 अगस्त को दिये गये संदेश में लिखा गया, 18 अगस्त को एक तइहोकू (जो अब तेपेई है) में 14:00 बजे विमान दुर्घटना में "T" बुरी तरह घायल हो गये और उसी रात उनकी मृत्यु हो गई।