लॉटरी जीतकर एक झटके में करोड़पति बनी 17 साल की ये लड़की
परिवार में इकलौते कमाने वाले हैं. घर की आर्थिक ज़रूरतें और बच्चों की पढ़ाई का ख़र्च पिता के कंधों पर ही है.
परमजीत सिंह भी कई बार लॉटरी में हाथ आज़मा चुके हैं लेकिन उन्हें कभी सफलता नहीं मिली.
अपनी बेटी से बात करवाने से पहले परमजीत बताते हैं, "मैं पिछले 12 साल से लॉटरी डाल रहा हूं. पर कभी भी मेरी लॉटरी नहीं लगी. यहां तक कि एक साथ मैंने पांच लॉटरियां भी लगाई हैं पर किस्मत ने कभी साथ नहीं दिया."
सपनों को साकार करने और एक झटके में अमीर बनने के लिए लोग अक्सर लॉटरी का रास्ता अपनाते हैं. इसमें हाथ तो कई लोग आज़माते हैं पर किस्मत चमकती है किसी-किसी की.
इस बार पंजाब सरकार का दिवाली बंपर जीता है, बठिंडा की लखविंदर कौर ने. बठिंडा के गांव गुलाबगढ़ की रहने वाली लखविंदर की किस्मत ने भी उनका साथ दिया. लखविंदर ने डेढ़ करोड़ रुपये का दिवाली बंपर जीता है.
दिवाली से सिर्फ़ एक दिन पहले ही लॉटरी की टिकट ख़रीदने वाली लखविंदर को फ़ोन आया कि वह इस साल की दिवाली बंपर की विजेता बनी हैं.
क्या था पहला रिएक्शन?
करोड़पति बनने की ख़बर सुनते समय लखविंदर अपनी पहली प्रतिक्रिया देती हैं, "हमें लॉटरी स्टॉल वालों का फ़ोन आया उन्होंने हमें कहा कि अगर खड़े हो तो बैठ जाओ. यह सुनकर हम घबरा गए कि पता नहीं क्या हो गया है? तो उन्होंने कहा कि हम आपको ख़ुशखबरी सुनाने वाले हैं."
लखविंदर के अनुसार, जैसे ही उन्होंने यह बात सुनी उनकी ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा. पूरा परिवार यह बात सुनकर ख़ुशी मनाने में जुट गया.
लखविंदर लॉटरी डालने का क़िस्सा सुनाती हैं, "मैं अपनी मां के साथ दिवाली से एक दिन पहले ख़रीदारी करने के लिए बाज़ार गई थी और मैंने देखा कि एक स्टॉल पर खड़े होकर बहुत सारे लोग लॉटरी टिकट ख़रीद रहे थे. मैंने भी अपनी मां को कहा कि हमें भी लॉटरी टिकट ख़रीदनी चाहिए क्योंकि सिर्फ़ 200 रुपये की ही तो बात है."
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बैंक अफ़सर बनना चाहती है लखविंदर
लखविंदर कहती हैं कि वह लॉटरी के पैसों से सबसे पहले ज़मीन ख़रीदकर एक अच्छा घर बनवाएंगी. लखविंदर के अनुसार, अभी वह जिस घर में रह रहे हैं, वह बहुत छोटा है.
वह कहती हैं कि लॉटरी के इस पैसों से वह शहर जाकर पढ़ाई करेंगी. लखविंदर बैंक अफ़सर बनना चाहती हैं.
17 साल की लखविंदर अभी 12वीं क्लास में अपने गांव के स्कूल में ही पढ़ाई कर रही हैं. उनके तीन भाई-बहन और भी हैं. सभी पढ़ाई कर रहे हैं.
लखविंदर का एक बड़ा भाई, एक बड़ी बहन और एक छोटा भाई है. वह इस पैसे का इस्तेमाल उनकी पढ़ाई के ऊपर भी करेंगी.
उनका कहना है कि वह इस लॉटरी के पैसों से अपनी मां के लिए ज़रूर कुछ करना चाहेंगी क्योंकि उनकी मां ने बहुत आर्थिक मुश्किलों का सामना किया है और वह बहुत मेहनत करती हैं.
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पिता भी आज़मा चुके हैं लॉटरी में हाथ
लखविंदर बताती हैं कि उसके घर के आर्थिक हालात ज़्यादा अच्छे नहीं हैं. उन्होंने कुछ पालतू जानवर रखे हुए हैं जिनकी देखभाल उनकी मां करती हैं और वह दूसरे के खेतों से जाकर चारा लेकर आती है.
उनके पिता परमजीत सिंह बठिंडा में एसपी दफ़्तर में होम गार्ड के तौर पर काम कर रहे हैं. परमजीत सिंह अपने परिवार में इकलौते कमाने वाले हैं. घर की आर्थिक ज़रूरतें और बच्चों की पढ़ाई का ख़र्च पिता के कंधों पर ही है.
परमजीत सिंह भी कई बार लॉटरी में हाथ आज़मा चुके हैं लेकिन उन्हें कभी सफलता नहीं मिली.
अपनी बेटी से बात करवाने से पहले परमजीत बताते हैं, "मैं पिछले 12 साल से लॉटरी डाल रहा हूं. पर कभी भी मेरी लॉटरी नहीं लगी. यहां तक कि एक साथ मैंने पांच लॉटरियां भी लगाई हैं पर किस्मत ने कभी साथ नहीं दिया."
परमजीत के अनुसार, लॉटरी का यह पैसा मिलने में उन्हें क़रीब छह महीने लगेंगे.
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