10 वर्षों में सियाचिन में शहीद हुए 163 सैनिक,सरकार ने दी संसद में जानकारी
सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि पिछले 10 वर्षों में सेना ने सियाचिन में अपने 163 जवानों को गंवा दिया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को लोकसभा में जानकारी दी कि दुनिया के सबसे ऊंचेयुद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में सेना पिछले दस साल में अपने 163 जवानों को खो चुकी है।
नई दिल्ली। सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि पिछले 10 वर्षों में सेना ने सियाचिन में अपने 163 जवानों को गंवा दिया है। रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को लोकसभा में जानकारी दी कि दुनिया के सबसे ऊंचेयुद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में सेना पिछले दस साल में अपने 163 जवानों को खो चुकी है। करीब 20 हजार फुट ऊंचाई पर स्थित ग्लेशियर पर सुरक्षा की जिम्मेदारी अदा करते हुए जान गंवाने वालों में छह अधिकारी भी थे।
कई समस्याओं का सामना करते हैं सैनिक
रक्षा मंत्री ने एक प्रश्न के लिखित उत्तर में जवानों की मौत का आंकड़ा दिया। उन्होंने बताया कि 2008 में सियाचिन में नौ जवान मारे गए। साल 2009 में 13, 2010 में 50 और 2011 में 24 सैन्य कर्मियों की जान चली गई है। उन्होंने बताया कि 2012 में 12, 2013 में 11 और 2014 में आठ सैनिकों की जान चली गई। 2015 में 11, 2016 में 20 और 2017 में पांच जवान मारे गए हैं। काराकोरम पहाड़ियों की रेंज में स्थित सियाचिन दुनिया का हाइएस्ट वॉर जोन है और यहां पर सैनिकों को खराब मौसम के अलावा स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।
साल 2010 में 50 सैनिक शहीद
इस ग्लेशियर पर हिमस्खलन एक आम बात है। सर्दियों में यहां तापमान माइनस 60 डिग्री तक हो जाता है। साल 1984 से ही भारत और पाकिस्तान ने यहां पर अपनी सेनाओं को तैनात कर रखा है। सीतारमण ने बताया कि साल 2008 में यहां 9, साल 2009 में 13, साल 2010 में 50 और साल 2011 में 24 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके अलावा साल 2012 में 12, 2013 में 11 और साल 2014 में आठ सैनिक शहीद हुए। वहीं साल 2015 में 11, साल 2016 में 20 और साल 2017 में पांच सैनिक शहीद हुए हैं।