Congress-JDS के वो 16 बागी विधायक, जिनके चलते कर्नाटक सरकार पर आया संकट
नई दिल्ली- कर्नाटक में कांग्रेस के 13 और जेडीएस के 3 विधायकों का अपनी सरकार से नाराजगी अलग-अलग कारणों से है। इसमें मंत्री नहीं बनाए जाने से लेकर उनके काम में दखल और क्षेत्र के विकास में मदद नहीं मिलने जैसी वजहें शामिल हैं। यहां हम उन्हीं 16 विधायकों का संक्षेप में जिक्र कर रहे हैं, जिनके चलते कर्नाटक में एचडी कुमारस्वामी सरकार गिरने की कगार पर खड़ी है और सुप्रीम कोर्ट तक को इन विधायकों के इस्तीफे के विवाद में दखल देनी पड़ गई है।
आर रामालिंगा रेड्डी (66), कांग्रेस, बीटीएम लेआऊट, बेंगलुरु
7 बार के विधायक आर रामालिंगा रेड्डी 1990 से हर कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे हैं। लेकिन, कुमारस्वामी सरकार में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। सिद्दारमैया सरकार में गृहमंत्री होने के बावजूद वो अपनी हो रही अनदेखी को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं। उन्हें लगता है कि सिद्दारमैया ने अपने करीबियों को मंत्री बनवाने के लिए ही उनका पत्ता कटवाया है। तेलगू भाषी रेड्डी समाज से आने के चलते कर्नाटक में ये मास लीडर तो नहीं हैं, लेकिन बेंगलुरू की राजनीति में काफी दबदबा रखते हैं। इनके सैकड़ों कॉन्ट्रैक्टरों से भी अच्छे ताल्लुकात रहे हैं, लेकिन उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वरा और सीएम के भाई एचडी रेवन्ना के चलते उनके चहेतों को कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिलने से भी नाखुश बताए जाते हैं। वैसे रेड्डी मुंबई के होटल में ठहरे उन 10 विधायकों के साथ नहीं हैं और माना जा रहा है कि अगर गठबंधन सरकार बच जाती है, तो वे लौट भी सकते हैं।
एच विश्वनाथ (69 ),जेडीएस, हुंसुर, मैसुरु
4 बार के विधायक और पूर्व सांसद एच विश्वनाथ ओबीसी कुरुबा समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। विधानसभा से इस्तीफा देने से कुछ दिन पहले तक वे प्रदेश जेडीएस के अध्यक्ष थे। लोकसभा चुनाव में पार्टी की हार के बाद उन्होंने गठबंधन की नाकामी और कांग्रेस पर उदासीनता का आरोप लगाते हुए अपना पद छोड़ दिया था। 12 साल पहले इन्होंने ही एक दूसरे कुरुबा नेता सिद्दारमैया को कांग्रेस में एंट्री दिलाई थी, तब से दोनों के बीच नहीं पटती। वे जेडीएस में वोक्कालिगा समुदाय का प्रभुत्व बढ़ने से भी खुद को अलग-थलग महसूस करते हैं। इस्तीफे से पहले उनके कर्नाटक और दिल्ली में बीजेपी नेताओं के साथ देखे जाने की भी चर्चा है। ये जेडीएस के उन तीन बागियों में शामिल हैं, जो कांग्रेस के 7 विधायकों के साथ मुंबई के होटल में डेरा डाले हुए हैं।
रोशन बेग, कांग्रेस (65), शिवाजीनगर, बेंगलुरु
8 बार के विधायक रोशन बेग 6 बार मंत्री रहे हैं। वे पहले कर्नाटक के गृहमंत्री भी रह चुके हैं और सिद्दारमैया सरकार में शहरी विकास मंत्री थे। ये भी मौजूदा सरकार में मंत्री नहीं बनाए जाने के लिए सिद्दारमैया से नाराज बताए जाते हैं। लोकसभा चुनाव में हार के लिए इन्होंने सिद्दारमैया समेत कई कांग्रेसी नेताओं के खिलाफ मोर्चा खोला था, जिसके चलते इन्हें पार्टी ने निलंबित कर दिया। एक बार इनके बीजेपी में भी शामिल होने की चर्चा भी उठ चुकी है। कई करोड़ के पॉन्जी स्कैम घोटाले को लेकर एसआईटी इनसे पूछताछ भी कर चुकी है। फिलहाल ये मुंबई में 10 विधायकों वाले ग्रुप में नहीं हैं। इन्हें केंद्र सरकार ने बेंगलुरु में हज का इंतजाम देखने के लिए हज कमिटी का अध्यक्ष भी नियुक्त कर रखा है।
रमेश झारकीहोली (59), कांग्रेस, गोकक, बेलगावी
चार बार के विधायक रमेश झारकीहोली उन चार भाइयों में से एक हैं, जिनका 15-20 वर्षों से बेलगावी इलाके में राजनीतिक दबदबा है। आदिवासी वाल्मीकि नायक समुदाय से आने वाले रमेश और उनके भाई कई चीनी मिलों और दूसरे कारोबारों के मालिक हैं। इन भाइयों से एक अक्सर हर सरकार में मंत्री जरूर होता है। मौजूदा सरकार में भी इनके भाई सतीश मंत्री हैं। दोनों भाइयों को सिद्दारमैया का समर्थक माना जाता है। रमेश पिछली सिद्दारमैया सरकार में मंत्री थे और कुछ महीनों के लिए मौजूदा सरकार में भी मंत्री बनाए गए थे। लेकिन, सरकार के खिलाफ विद्रोहियों के एक गुट की अगुवाई करने के आरोपों में उन्हें हटा दिया गया था। पिछले साल जब कांग्रेस के सबसे प्रभावी नेता डीके शिवकुमार ने बेलगावी इलाके पर कंट्रोल करने की कोशिश की थी, तब से ये बहुत नाराज बताए जाते हैं।
आनंद सिंह (53 साल), कांग्रेस, विजयनगर, बेल्लारी
बेल्लारी इलाके से 3 बार के विधायक रहे आनंद सिंह 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी से कांग्रेस में आए थे। 2013 में कथित तौर पर बीजेपी के तत्कालीन मंत्री जनार्दन रेड्डी के साथ गैर-कानूनी माइनिंग रैकेट चलाने के आरोप में सीबीआई इन्हें गिरफ्तार भी कर चुकी है। इनके खिलाफ अभी भी केस चल रहा है। राजपूत होने के चलते इनका क्षेत्र में जातिगत दबदबा नहीं है, फिर भी परोपकारी कार्यों की वजह से ये क्षेत्र में लोकप्रिय हैं और इसी चलते चुनाव जीतते हैं। ये कई बार कांग्रेस के बागियों के साथ जुड़ चुके हैं। मौजूदा संकट में इस्तीफा देने वाले ये पहले विधायक हैं। सिंह के इस्तीफे की तात्कालिक वजह जेएसडब्ल्यू स्टील को बेल्लारी में मौजूदा सरकार द्वारा माइनिंग के लिए सस्ते दाम पर 3,667 एकड़ जमीन देने का फैसला बताया जा रहा है। हालांकि, ये मुंबई में अपने 7 साथियों के साथ मौजूद नहीं हैं।
एसटी सोमशेखर (61), कांग्रेस, शवंतपुर, बेंगलुरु
एसटी सोमशेखर दक्षिण कर्नाटक में वोक्कालिगा समुदाय से आते हैं और दो बार से विधायक हैं। इन्हें सिद्दारमैया का समर्थक बताया जाता है। यह 2013 से ही मंत्री बनना चाहते हैं। सिद्दारमैया ने ही इन्हें बेंगलुरु डेवलपमेंट अथॉरिटी का अध्यक्ष बनवाया था। इन्हें दो और बागी विधायकों बायरथी बसावाराज और एन मुनिरत्ना का करीबी बताया जाता है। बुधवार को जब डीके शिवकुमार मुंबई के होटल में इनसे मिलने पहुंचे थे, तो इन्होंने उनसे मिलने से मना कर दिया था। कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन की नजर इनके अलावा इनके दोनों साथियों पर सबसे ज्यादा है, क्योंकि ये निजी महत्वाकांक्षा के चलते बागी बने हैं और उन्हें उम्मीद है कि इन्हें मनाया जा सकता है।
बायरथी बसावाराज (54), कांग्रेस, के आर पुरा, बेंगलुरु
बायरथी बसावाराज को भी एसटी सोमशेखर की तरह सिद्दारमैया का खास माना जाता है। इनके पास बहुत मात्रा में जमीन है और नॉथ बेंगलुरु में ये रियल एस्टेट के कारोबार से जुड़े हैं। इनके भाई बायरथी सुरेश भी कांग्रेस विधायक हैं और इन दोनों को सिद्दारमैया का फाइनेंसर बताया जाता है। ये भी सिद्दारमैया के कुरुबा ओबीसी समाज से ही आते हैं। नॉर्थ बेंगलुरु में जमीन की खरीद-फरोख्त में इनका बहुत बड़ा रोल रहता है। कयास लगाए जा रहे हैं कि अगर ये बागियों के साथ हैं, तो इसके पीछे भी सिद्दारमैया का ही हाथ है। बसावाराज और नॉर्थ बेंगलुरु के तीन और विधायकों की नाराजगी की मुख्य वजह यही है कि उनके इलाके में जेडीएस के नेता दखल देने लगे हैं।
एन मुनिरत्ना (55), कांग्रेस, आर आर नगर, बेंगलुरु
दो बार के विधायक एन मुनिरत्ना अब एक फिल्म निर्माता भी बन चुके हैं। इन्हें कांग्रेस नेता रामालिंगा रेड्डी और शिवकुमार का करीबी माना जाता है। ये सीएम कुमारस्वामी के भी करीब हैं और इन्होंने उनके बेटे निखिल कुमारस्वामी को लेकर हाल ही में एक फिल्म भी बनाई है। इनका आरोप है कि उपमुख्यमंत्री जी परमेश्वरा कांग्रेस विधायकों के हितों की रक्षा में नाकाम रहे हैं, इसलिए दिया है।
बी सी पाटिल (62), कांग्रेस, हिरेकेरुर, हावेरी
पूर्व पुलिस सब इंस्पेक्टर से अभिनेता और फिर राजनेता बने बी सी पाटिल 3 बार के विधायक हैं। ये दबदबे वाली लिंगायत समुदाय से आते हैं और काफी समय से मंत्री बनना चाहते हैं। ये मुंबई के होटल में ठहरे हैं और इन्हें मंत्री बनाने की गारंटी मिल जाय तो ये अपना फैसला बदल भी सकते हैं।
पार्थप गौड़ा पाटिल (64), कांग्रेस,मस्की, रायचूर
ये पहले बीजेपी में थे और बीएस येदियुरप्पा के कर्नाटक जनता पार्टी में भी रह चुके हैं। तीन बार के विधायक पार्थप गौड़ा पाटिल लिंगायत समाज से आते हैं और इनकी भी राज्य में मंत्री बनाए जाने की मांग है। माना जा रहा है कि पिछले विधानसभा चुनाव से ही बीजेपी इन्हें अपने साथ लाने की कोशिशों में लगी है। पेशे से किसान पार्थप गौड़ा पाटिल अभी मुंबई में हैं।
शिवराम हेब्बर (62), कांग्रेस, येल्लापुर, उत्तर कन्नड़ा
सुपारी की खेती करने वाले किसान शिवराम हेब्बर कांग्रेस के उन विधायकों में शामिल हैं, जिन्हें बीजेपी पिछले साल से ही अपने खेमे में लाना चाहती है। कांग्रेस ने एक कथित ऑडियो टेप जारी कर दावा किया था कि बीजेपी इनके परिवार वालों को विश्वास मत में बीजेपी सरकार के पक्ष में वोट डालने पर पैसे और पद का प्रलोभन दे रही थीे। हालांकि, दो बार के विधायक शिवराम हेब्बर उस टेप को फर्जी बता चुके हैं। ये भी मंत्री बनाये जाने की मांग कर रहे हैं।
महेश कुमाताहल्ली (57), कांग्रेस, अथानी, बेलगावी
महेश कुमाताहल्ली को कांग्रेस नेता रमेश झारकीहोली का करीबी माना जाता है। बेलगावी क्षेत्र के इस विधायक के बारे में कहा जाता है कि ये वही फैसला लेते हैं जो रमेश झारकीहोली कहते हैं। ये 2018 में सरकार बनने के कुछ महीने बाद से ही 5 बागी विधायकों में शामिल रहे हैं। लिंगायत समाज से ताल्लुक रखने वाले कुमाताहल्ली को मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री ने रमेश को गठबंधन छोड़कर नहीं जाने के लिए मनाने को लेकर इनसे कुछ हफ्ते पहले बात भी की थी।
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नारायण गौड़ा (56), जेडीएस, कृष्णाराजपेट, हासन
नारायण गौड़ा जेडीएस के इस्तीफा देने वाले तीन विधायकों में शामिल हैं और मुंबई के होटल में ठहरे हुए हैं। इनके इस्तीफे का कारण ये है कि कुमारस्वामी के परिवार वाले इनके चुनाव क्षेत्र में दखलअंदाजी करते हैं। इनका आरोप है कि मुख्यमंत्री की एक बहन इनके चुनाव क्षेत्र के मामलों में दखल देती हैं। वोक्कालिगा समाज से आने वाले गौड़ा पेशे से कारोबारी हैं।
के गोपालैया (58), जेडीएस, महालक्ष्मी लेआऊट, बेंगलुरु
दो बार के विधायक के गोपालैया को 2017 में राज्यसभा चुनाव के दौरान जेडीएस के कुछ बागियों के साथ क्रॉस-वोटिंग करने के चलते पार्टी से सस्पेंड भी किया जा चुका है। नॉर्थ बेंगलुरु में लैंड डील, ठेकेदारी में इनकी बड़ी भूमिका होती है। पार्टी से खेद जताने के बाद इनका निलंबन खत्म किया गया था। इनकी पत्नी भी डिप्टी मेयर रह चुकी हैं और ये खुद बेंगलुरु सिटी कॉर्पोरेशन में काउंसिलर रह चुके हैं।
एमटीबी नागराज (67), कांग्रेस, होसकोटे, बेंगलुरु ग्रामीण
एमटीबी नागराज कर्नाटक के सबसे अमीर विधायकों में से एक हैं। रियल एस्टेट के कारोबारी नागराज बहुत बड़े लैंडलॉर्ड हैं और सिद्दारमैया के कुरुबा समाज से आते हैं। इन्हें भी सिद्दारमैया का नजदीकी माना जाता है। 2018 के चुनाव में इन्होंने 1,015 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी। पिछले साल इन्होंने गठबंधन सरकार से बगावत की धमकी दी थी और सिद्दारमैया के कहने पर इन्हें दिसंबर में मंत्रिमंडल में शामिल भी किया गया था। लेकिन, इनका आरोप है कि मुख्यमंत्री और उनके भाई इनके काम में बहुत ज्यादा दखल देते हैं।
के सुधाकर (45), कांग्रेस,चिक्कबल्लापुर
समाजसेवी के सुधाकर दो बार से विधायक हैं और इस साल जनवरी से बागी गुट के साथ हैं। दो हफ्ते पहले ही इन्हें बगावत से रोकने के लिए सिद्दारमैया के कहने पर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया था। शुरू में इनकी नियुक्ति का कुमारस्वामी ने विरोध किया था। बुधवार को इनके इस्तीफे पर खूब ड्रामा हुआ था और जब ये इस्तीफा देकर निकल रहे थे, तो कांग्रेस के नेताओं ने इन्हें जबरन पकड़ने की कोशिश भी की थी।
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