समान नागरिक संहिता: सिर्फ तलाक पर ही नहीं इन 16 सवालों पर होनी चाहिए बहस
नई दिल्ली। समान नागरिक संहिता को लागू करने को लेकर देश भर में बहस छिड़ी हुई है। पर अभी इस समान नागरिक संहिता के जरिए जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है वो है कि इस्लाम धर्म में तलाक देने का तरीका क्या होना चाहिए।
पर समान नागरिक संहिता में सिर्फ मुस्लिमों में तलाक के तरीके पर ही सवाल नहीं किए गए हैं। बल्कि 16 विभिन्न मुद्दों पर लोगों की राय मांगी गई है। हमारे संविधान का अनुच्छेद 44 जो राज्य को यह अधिकार देता है कि उसे देश में एक जैसी समान नागरिक संहिता को एक लागू करने का प्रयास करना चाहिए।
सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायधीश और भारतीय विधि आयोग के अध्यक्ष डॉ. न्यायमूर्ति बलबीर सिंह चौहान ने 7 अक्टूबर को समान नागरिक संहिता को लागू किए जाने से संबंधित 16 सवालों पर देश के नागरिकों की राय मांगी है। इन 16 सवालों पर आप भी अपनी राय 45 दिनों के भीतर विधि आयोग को भेज सकते हैं।
हिंदी वन इंडिया आपको रूबरू करा रहा है उन 16 सवालों से जिन सभी पर आपको अपनी बहस करनी चाहिए और साथ ही साथ अपनी राय भी भारतीय कानून आयोग तक भेजनी चाहिए। ये हैं वो 16 सवाल
1-क्या आप अनुच्छेद 44 के बारे में जानते हैं। अनुच्छेद 44 ही संविधान के जरिए केंद्र सरकार को यह शक्ति प्रदान करता है कि उसे पूरे देश में एक जैसी समान नागरिक संहिता को लागू किया जाना चाहिए?
2-क्या शादी, तलाक, बच्चे को गोद लेना, बच्चे की कस्टडी और गार्जियनशिप, उत्तराधिकार जैसे मुद्दों को जोकि अलग-अलग धर्मों में भिन्न है, उनको भी समान नागरिक संहिता में शामिल किया जाना चाहिए?
3-उपरोक्त चले आ रहे कानूनों और प्रथाओं को फिर से एक बार नए तरीके के बनाए जाने की जरूरत है?
4-क्या पर्सनल लॉ और पहले से चली आ रही प्रथाओं को समान नागरिक संहिता के दायरे में लाने से लैंगिक समानता सुनिश्चित होगी?
5-क्या समान नागरिक संहिता को ऐच्छिक रखा जाना चाहिए।?
6-क्या बहुपत्नी, बहुपति और मैत्री करार जैसी प्रथाओं को प्रतिबंधित और नियंत्रित किया जाना चाहिए?
7- क्या तीन तलाक जैसी प्रथा को खत्म कर देना चाहिए या फिर वैसे ही बने रहने देना चाहिए। या फिर कुछ कानून संशोधन के साथ बने रहने देना चाहिए?
8-क्या आपको लगता है कि हिंदू महिला को संपत्ति का अधिकार देने के लिए कुछ कानूनी कदम उठाए जाने चाहिए?
9-क्या आपको लगता कि किसी ईसाई महिला तलाक लेने के लिए दो साल तक का इंतजार करना समानता के अधिकारका हनन है?
10-क्या आपको लगता है कि पूरे देश में शादी के लिए सभी धर्मों में एक जैसी ही उम्र होनी चाहिए?
11-क्या सभी धर्मों में तलाक होने के लिए एक जैसी ही परिस्थितियां होनी चाहिए?
12-क्या समान नागरिक संहिता के जरिए तलाक को लेकर महिलाओं के स्थिति और उनकी समस्याओं को लेकर सही से सुलझाया जा सकेगा।?
13- और अच्छी तरह से कैसे शादियों के रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया जा सकता है?
14-अंतरजातीय और अंतरधार्मिक विवाह करने वाले जोड़ों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए क्या अहम कदम उठाए जा सकते हैं?
15-क्या समान नागरिक संहिता, व्यक्तिगत रूप से किसी व्यक्ति के धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकारों का हनन करेगी?
16-ऐसे कौन से तरीके हैं जिन्हें अपना कर समाज के लोगों को एक समान नागरिक संहिता लागू करने के प्रेरित किया जा सकता है?
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