मुंबई हादसा: बिल्डिंग के मलबे से निकाले गए 14 शव, राज्य सरकार ने की मुआवजे की घोषणा
नई दिल्ली। मंगलवार को दक्षिण मुंबई के भीड़-भाड़ वाले डोंगरी इलाके में दशकों पुरानी चार मंजिला इमारत गिरने से कई लोग उसमें दब गए। इस दुर्घटना में चौदह लोग मारे गए हैं और कई और लोगों के फंसे होने की आशंका है। वहीं दो बच्चों सहित कुल नौ लोगों को बचाया गया है। बचावकर्मी अभी भी घटनास्थल से मलबे को हटा रहे हैं। इस बीच राज्य की देवेंद्र फडनवीस सरकार ने मृतकों के परिवार को 5 लाख और घायलों को 50-50 हजार का मुआवजा देने की घोषणा की है।
नेशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (NDRF) की तीन टीमों के साथ दक्षिण मुंबई के निवासियों ने रात में पोर्टेबल पावर टूल्स का उपयोग करके टूटे कंक्रीट और ईंटों के ब्लॉक को हटाने का काम किया। हालांकि मंगलवार को भारी मशीनें ढह गई इमारत तक नहीं पहुंच सकीं क्योंकि जहां ये दुर्घटना हुई है उस गली का रास्ता बेहद संकरा था। पिछले हफ्तों में हुई भारी बारिश से यह इलाका और भी भर गया था। वहां रहने वालों ने एक मानव चेन बनाकर एनडीआरएफ की मदद करते हुए धीरे धीरे मलबा हटाया। ये इमारत 100 साल के ज्यादा पुरानी थी और बरसात के कारण हर साल कमजोर होती जा रही थी।
अभी भी कुछ लोग मलबे में दबे हुए हैं और मृतकों की संख्या बढने की उम्मीद है। अब इस पूरे मामले में बीएमसी का बयान आया है। बिल्डिंग को BMC की तरफ से 2017 में ही खतरनाक घोषित कर दिया गया था। लेकिन इस चेतावनी के बावजूद 100 साल पुरानी इस बिल्डिंग में कई परिवार रह रहे थे। इसी दौरान BMC की एक चिट्ठी सामने आई है जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है। सात अगस्त, 2017 को जारी किए गए इस नोटिस में केसरबाई नाम की इस बिल्डिंग को BMC ने C-1 घोषित किया गया था। यानी इस बिल्डिंग को खाली कर ढहाने के निर्देश दिए गए थे। बीएमसी ने साफ कहा था कि बिल्डिंग को खाली किया जाना चाहिए वरना इसके साथ होने वाले हादसे की जिम्मेदारी बीएमसी की नहीं होगी। बता दें कि इमारत में 8 से 10 परिवार रहा करते थे।
यह भी पढ़ें- मुंबई हादसा: BMC ने चिट्ठी जारी कर बताया- चेतवानी के बाद भी बिल्डिंग में रह रहे थे लोग