जम्मू-कश्मीर में बड़ी खोज, वैज्ञानिकों को मिला 1.3 करोड़ वर्ष पुराने बंदर का जीवाश्म, खुलेंगे कई राज
नई दिल्ली। अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में एक नई खोजी गई वानर प्रजाति के 13 मिलियन (1.3 करोड़) वर्ष पुराने जीवाश्म का पता लगाया है। बताया जा रहा है कि यह प्रजाति आधुनिक समय के लंगूर का प्राचीनतम ज्ञात पूर्वज है। जीव विज्ञान की दृष्टि से यह बहुत बड़ी खोज मानी जा रही है, इससे वैज्ञानिकों को इतिहास और बंदरों के बार में नई जानकारियां मिल सकती हैं।
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वानरों की नई प्रजाति का जीवाश्म
शोधकर्ताओं के मुताबिक खोजे गए जीवाश्म से इस बारे में बड़ी जानकारी मिली है कि लंगूर के पूर्वज कब अफ्रीका से एशिया में आये थे। बता दें कि इस खोज के निष्कर्ष पत्रिका प्रोसीडिंग्स आफ द रॉयल सोसाइटी बी में प्रकाशित हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू-कश्मीर के उधमपुर जिले में खोजा गया जीवाश्म 'कपि रमनागरेंसिस' प्रजाति के विशालकाय बंदरों के निचले चव (दाढ़) का है।
उधमपुर जिले में पहले भी मिले हैं जीवाश्म
इस बार में वैज्ञानिकों को इससे पहले कभी कोई जानकारी नहीं थी। यह लगभग एक सदी में रामनगर के प्रसिद्ध जीवाश्म स्थल पर खोजे गए पहले नए जीवाश्म वानर प्रजाति का प्रतिनिधित्व करता है। बता दें कि इससे पहले इसी इलाके में पिछले वर्ष वानर के एक बड़े जीवाश्म की खोज की गई थी। उसी स्थान पर खोज करने पहुंचे अनुसंधानकर्ताओं को यह नई प्रजाति का जीवाश्म मिला है।
आराम करने के लिए रुके थे शोधकर्ता
जानकारी के मुताबिक अमेरिका में एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी और चंडीगढ़ में पंजाब विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ता क्षेत्र नए जीवाश्म की खोज में एक छोटी से पहाड़ी पर चढ़ रहे थे, टीम काफी थक चुकी थी इसलिए वहीं कुछ देर आराम करने के लिए सभी रुक गए। इस दौरान शोधकर्ताओं के दल को जमीन पर कुछ चमकीला दिखा। वह एक दांत था।
इससे पहले नहीं मिला ऐसी प्रजाति का जीवाश्म
अमेरिका में न्यूयार्क स्थित सिटी यूनिवर्सिटी के क्रिस्टोफर सी. गिलबर्ट ने कहा, हमें पता था कि यह एक अनमोल दांत था लेकिन यह पहले क्षेत्र में पाए गए किसी भी प्राइमेट के दांत की तरह नहीं दिखता था। उन्होंने आगे कहा, दाढ़ के आकार को देखकर हमारा प्रारंभिक अनुमान यह था कि यह एक एक लंगूर के पूर्वज का हो सकता है, लेकिन ऐसे वानर के जीवाश्म का कोई रिकॉर्ड वास्तव में हमारे पास नहीं है।'
जीवित और विलुप्त हो चुके वानरों से की गई तुलना
क्रिस्टोफर सी. गिलबर्ट ने बताया कि उस समय के दौरान क्षेत्र में पाए जाने वाले अन्य वानरों की प्रजातियों की खोज की जा सकती है, जहां रामनगर के पास कहीं भी इससे पहले जीवाश्म नहीं खोजे गए हैं। शोधकर्ताओं ने कहा कि 2015 में जीवाश्म की खोज गए जीवाश्म से नई प्रजाति के वानर का अध्ययन, विश्लेषण और तुलना करने पर पता चला कि यह एक नई प्रजाति है। दाढ़ की तस्वीर और सीटी-स्कैन किया गया था और दांतों की शारीरिक रचना में महत्वपूर्ण समानता और अंतर को उजागर करने के लिए जीवित और विलुप्त हो चुके दांतों के तुलनात्मक नमूनों की जांच की गई थी।
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