VIDEO: 12 साल के बच्चे ने जान की परवाह किए बगैर बाढ़ में फंसी एम्बुलेंस को ऐसे दिखाया रास्ता
रायचूर। कर्नाटक के कई जिले इन दिनों भयानक बाढ़ की चपेट में हैं। इसी बीच राज्य के बाढ़ग्रस्त रायचूर जिले के एक 12 साल के लड़के की बहादुरी का बेहद शानदार वीडियो सामने आया है। बाढ़ में डूबे रास्ते पर एक एंबुलेंस को रास्ता दिखाने के लिए इस 12 साल के लड़के ने जान की परवाह किए बगैर पानी में घुस गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उस समय एम्बुलेंस में 6 बच्चों समेत एक मृत महिला का शव भी था। अब यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है।
एम्बुलेंस के ड्राइवर को आगे जाने का रास्ता समझ नहीं आ रहा था
रायचूर जिले में हीरेरायनकुंपी गांव के वेंकटेश ने एक एम्बुलेंस को उस समय रास्ता दिखाया, जब पुल पूरी तरह पानी में डूब चुका था। 6 बच्चों और एक मृत महिला के शव को लेकर जा रहे इस एम्बुलेंस को पुल पार करना था। कुछ ही दूरी पर 12 साल का वेंकटेश अपने दोस्तों के साथ खेल रहा था। एम्बुलेंस के ड्राइवर को आगे जाने का रास्ता समझ नहीं आ रहा था। ऐसे में वह सही रास्ते की जानकारी के लिए पास में खेल रहे कुछ बच्चों के पास पहुंचा। इसके बाद वेंकटेश ने ड्राइवर से कहा कि वो उसके पीछे-पीछे आए।
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उसने एम्बुलेंस के ड्राइवर को तब तक रास्ता दिखाया, जब तक...
जब वेंकटेश ने ड्राइवर मदद की पेशकश की तो पुल पर खेल रहे वेंकटेश के दोस्तों ने उसे पानी की तेज धारा को लेकर आगाह भी किया था, लेकिन उसने किसी भी चीज की परवाह नहीं की। ड्राइवर ने बताया कि दोस्तों के आगाह करने पर वेंकटेश ने कहा कि उसे इस पुल के बारे में पता है, और इसके बाद उसने एम्बुलेंस के आगे चलकर पुल पार भी करवा दिया। उसने एम्बुलेंस के ड्राइवर को तब तक रास्ता दिखाया, जब तक कि एम्बुलेंस पानी से बाहर ना निकल गई। इस घटना को वहां मौजूद किसी शख्स ने अपने मोबाइल कैमरे में कैद कर लिया।
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बहादुर लड़के का वीडियो हुआ वायरल
इसके बाद वेंकटेश की बहादुरी की कहानी सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुई। जब स्थानीय मीडिया ने इस बारे में वेंकटेश से पूछा तो उसने सिर्फ इतना कहा कि उसे पता नहीं कि उसने क्या बहादुरी का काम किया है। मैं सिर्फ ड्राइवर की मदद करना चाहता था। अब इस बात की मांग भी उठने लगी है कि 12 साल के वेंकटेश को इस काम के लिए वीरता पुरस्कार मिलना चाहिए। कर्नाटक सरकार में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी कैप्टन मणिवन्नन ने भी सरकार को पत्र लिखकर वेंकटेश को उसके इस साहसिक काम के लिए वीरता पुरस्कार देने की सिफारिश की थी। जिसके बाद उसे 15 अगस्त को कर्नाटक सरकार की ओर से सम्मानित किया गया है।
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