राज्यसभा के 12 निलंबित सांसद मंगलवार को सभापति से कर सकते हैं मुलाकात, मांगेंगे माफी: सूत्र
नई दिल्ली, 12 नवंबर: मोदी सरकार ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने वाला विधेयक पेश किया। उम्मीद जताई जा रही थी कि इससे विपक्षी दलों का हंगामा शांत होगा, लेकिन सोमवार को ही राज्यसभा के 12 सदस्यों का निलंबन हो गया। ये कार्रवाई उन पर मानसून सत्र के दौरान हंगामा करने को लेकर हुई। वैसे तो सरकार ने इस कार्रवाई को नियमानुसार बताया है, लेकिन विपक्षी दल इसे अलोकतांत्रिक बताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं।
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मामले में सरकारी सूत्रों ने कहा कि राज्यसभा के 254वें सत्र (मानसून सत्र, 2021) के दौरान सदन ने कुछ सदस्यों का शर्मनाक और घृणित असंसदीय आचरण देखने को मिला, जिन्होंने सदन के वेल में नारेबाजी करके जानबूझकर उकसावे का सहारा लिया। बतौर उदाहरण देखें तो टीएमसी सांसद डॉ. शांतनु सेन ने मंत्री अश्विनी वैष्णव से कागजात छीन लिए, जिन्हें 22 जुलाई को सदन में स्वप्रेरणा से बयान देना था। इसके बाद उन्हें टुकड़ों में फाड़कर चेयर की ओर फेंक दिया। ऐसे में उनका निलंबन पूरी तरह से सही है।
वहीं सूत्रों ने आगे बताया कि राज्यसभा से निलंबित 12 सांसद मंगलवार को सभापति/उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू से मुलाकात करेंगे, साथ ही अपने कृत के लिए माफी मांगेंगे। हालांकि अभी तक निलंबित सांसद इस कार्रवाई को गलत बताते हुए कार्रवाई को ही अलोकतांत्रिक बता रहे थे।
ये
सांसद
हुए
निलंबित
12
राज्यसभा
सांसदों
में
विपक्ष
के
एलामाराम
करीम
(सीपीएम),
फूलो
देवी
नेतम,
छाया
वर्मा,
आर
बोरा,
राजमणि
पटेल,
सैयद
नासिर
हुसैन,
अखिलेश
प्रसाद
सिंह
(कांग्रेस),
बिनॉय
विश्वम
(सीपीआई),
डोला
सेन
और
शांता
छेत्री
(टीएमसी),
प्रियंका
चतुर्वेदी
और
अनिल
देसाई
(शिवसेना)
का
नाम
शामिल
है।
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मंगलवार
को
अहम
बैठक
एक
संयुक्त
बयान
में
विपक्षी
दलों
के
नेताओं
ने
कहा
कि
संसद
में
सभी
विपक्षी
दल
एकजुट
होकर
12
सांसदों
के
अनुचित
और
अलोकतांत्रिक
निलंबन
की
निंदा
करते
हैं।
राज्यसभा
के
विपक्षी
दलों
के
फ्लोर
लीडर
मंगलवार
को
इस
मुद्दे
पर
बैठक
करेंगे,
जिसमें
सरकार
के
सत्तावादी
निर्णय
का
विरोध
करने
और
संसदीय
लोकतंत्र
की
रक्षा
के
लिए
भविष्य
की
कार्रवाई
पर
विचार-विमर्श
किया
जाएगा।