त्रिपुरा में 12 भाजपा विधायक हुए 'बागी', सीएम बिप्लब देब पर लगाया 'कुशासन' का आरोप
बिहार में एक बार फिर सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी भारतीय जनता पार्टी के लिए पूर्वोत्रर के राज्य त्रिपुरा में मुश्किलें खड़ी हो गई हैं।
नई दिल्ली। बिहार में एक बार फिर सत्ता में वापसी की कोशिशों में जुटी भारतीय जनता पार्टी के लिए पूर्वोत्रर के राज्य त्रिपुरा में मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। त्रिपुरा के करीब एक दर्जन भाजपा विधायकों ने मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देब के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए दिल्ली पहुंचकर शीर्ष नेतृत्व से सीएम बदलने की मांग की है। इन विधायकों ने सीएम बिप्लब देब के ऊपर 'खराब नेतृत्व' और 'कुशासन' का आरोप लगाया है। बागी विधायकों के इस गुट का नेतृत्व राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और भाजपा के दिग्गज नेता सुदीप रॉय बर्मन कर रहे हैं, जिन्होंने दिल्ली पहुंचकर पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और महासचिव बीएल संतोष से मुलाकात के लिए समय मांगा है।
'सीएम की वजह से खराब हो रही भाजपा की छवि'
एनडीटीवी की खबर के मुताबिक, बागी विधायकों में से एक विधायक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि वो लोग गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मिलने की कोशिश कर रहे हैं। इस भाजपा विधायक ने कहा, 'हम करीब 12 विधायक हैं, जिन्होंने फैसला किया है कि हम पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सीएम बिप्लब देब की तानाशाही और खराब शासन व्यवस्था के बारे में बताएंगे। सीएम की वजह से राज्य में भाजपा की छवि भी खराब हो रही है।'
'सीएम नहीं बदले गए तो विपक्ष मजबूत हो जाएगा'
भाजपा विधायक ने आगे कहा, 'हम राष्ट्रीय नेतृत्व को यह भी बताना चाहते हैं कि हम सभी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं और चाहेंगे कि राज्य में इस कार्यकाल के बाद भी अगली सरकार भाजपा की ही बने। लेकिन, अगर त्रिपुरा में मौजूदा सीएम को नहीं बदला जाता, तो राज्य में विपक्षी पार्टियां लेफ्ट और कांग्रेस अपनी खोई हुई जमीन फिर से हासिल कर लेंगी। पहले ही अलग-अलग मुद्दों पर अपनी विवादित टिप्पणियों के कारण सीएम बिप्लब देब कई बार पार्टी को शर्मिंदा करा चुके हैं।'
'राज्य के ज्यादातर विधायक हैं सीएम से नाराज'
बागी भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया, 'राज्य में कोरोना वायरस के हालात से निपटने में भी सीएम ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई और मजबूरन केंद्र को अपनी तरफ से टीम भेजनी पड़ी। मुख्यमंत्री के तानाशाही भरे रवैये के कारण त्रिपुरा के अनुभवी आईएएस और आईपीएस अधिकारी या तो प्रदेश छोड़कर जा रहे हैं या फिर वॉलेंटरी रिटायरमेंट ले रहे हैं। सीएम ने मीडिया को भी धमकाने की कोशिश, जिसकी वजह से पत्रकारों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी के ज्यादातर विधायक चाहते हैं कि राज्य में नेतृत्व बदला जाए।'
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सीएम के करीबी नेता ने खारिज किए आरोप
वहीं, दूसरी तरफ सीएम बिप्लब देब के एक करीबी नेता ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा, 'ये केवल 7 से 8 विधायक हैं, जो सुचारू रूप से चल रही त्रिपुरा की सरकार के कामकाज में बाधा पैदा करना चाहते हैं, और इनमें से ज्यादातर विधायक कांग्रेस से आए हुए हैं। भाजपा के सभी पुराने कार्यकर्ताओं और नेताओं को सीएम बिप्लब देब के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है।'