11 राज्यों और UT ने प्रवासी मजदूरों में 1% भी नहीं बांटा मुफ्त अनाज,भाजपा शासित 4 प्रदेश शामिल
नई दिल्ली- मोदी सरकार ने लॉकडाउन की वजह से बड़े शहरों से बड़ी तादाद में पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों को शुरू में दो महीने तक मुप्त अनाज देने का ऐलान किया था। यह मुफ्त अनाज 8 करोड़ उन प्रवासी मजदूरों को दिया जाना था, जिनके पास राशन कार्ड भी नहीं है। इसके लिए मोदी सरकार ने 8 लाख मिट्रिक टन अनाज फौरन राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को आवंटित भी कर दिए। लेकिन, केंद्र सरकार के आंकड़ों से पता चला है कि केंद्र ने जो अनाज सभी राज्यों को फौरन ही मजदूरों को देने के लिए उपलब्ध करवा दिए, उनमें से राज्य मुश्किल से 13 फीसदी अनाज ही बांट पाए। देश के 36 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 11 तो ऐसे निकले जो 1 फीसदी अनाज भी नहीं बांट सके हैं।
8 करोड़ प्रवासी मजदूरों में 2.13 करोड़ को ही मिला लाभ
केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत मई में प्रवासी मजूदरों को मुफ्त अनाज देने का ऐलान किया था। प्रवासी मजदूरों और कामगारों को मुफ्त अनाज देने की योजना के लिए मोदी सरकार ने 8 लाख मिट्रिक टन अनाज आवंटित किया था। लेकिन, केंद्रीय उपभेक्ता मामले, खाद्य और जन वितरण मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक राज्यों और संघ शासित प्रदेशों ने कुल मिलाकर 13 फीसदी जरूरतमंद मजूदरों को ही केंद्र से मिले इस अनाज का बंटवारा किया है। जबकि, केंद्र ने मई और जून दोनों महीनों के लिए यह कोटा जारी किया था। गौरतलब है कि केंद्र सरकार के फैसले के मुताबिक करीब 8 करोड़ प्रवासी मजदूरों और कामगारों को 5-5 किलो मुफ्त अनाज दो महीने तक देना था, जिनके पास राशन कार्ड उपलब्ध नहीं हैं। लेकिन, राज्यों और संघ शासित प्रदेशों ने महज 2.13 करोड़ लाभार्थियों को ही यह अनाज बांटे, जिसमें मई में 1.21 करोड़ और जून में सिर्फ 92.44 लाख मजदूरों तक यह मुफ्त अनाज पहुंच सका। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऐलान के बाद 14 मई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस सहायता की घोषणा की थी।
26 राज्यों ने उठाया आवंटन का पूरा कोटा
मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक राज्यों और संघ शासित प्रदेश ने 8 लाख मिट्रिक टन के कोटे से 6.38 लाख मिट्रिक टन यानि 80 फीसदी अनाज उठा तो लिया, लेकिन वो मजदूरों को नहीं दे पाए। 30 जून तक उन्होंने सिर्फ 1.07 लाख मिट्रिक टन का वितररण किया था, जो कि आवंटित मात्रा का सिर्फ 13 फीसदी ही होता है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि कई राज्यों ने अपना कुल आवंटित कोटा उठा लिया, लेकिन उसे जररूतमंदों को देने में नाकाम रहे। केंद्र सरकार से पूरा कोटा उठाने वालों में 26 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। मसलन, सबसे ज्यादा जनसंख्या वाले राज्य उत्तर प्रदेश को सबसे ज्यादा यानि 1,42,033 मिट्रिक टन अनाज आवंटित हुआ था, जिसमें से उसने 1,40,637 लाख मिट्रिक टन प्रवासी मजदूरों को देने के नाम पर उठाए थे। लेकिन, जब मजदूरों को देने की बारी आई तो वह सिर्फ 3,324 मिट्रिक टन यानि 2.03 फीसदी ही दे पाया। इनमें मई में 4.39 लाख लाभार्थियों को और जून में 2.25 लाभार्थियों को इसका फायदा मिला। बिहार ने तो कोटा उठाने में 100 फीसदी यानि 86,450 मिट्रिक टन उठा लिया, लेकिन जब बांटने की बारी आई तो उसने मई में करीब 3.68 लाख लाभार्थियों को अनाज बांटे, लेकिन जून में तो एक को भी देने की जहमत नहीं उठाई। इसलिए, बिहार सिर्फ 1.842 यानि 2.13 फीसदी ही मुफ्त अनाज वितरण कर पाया।
11 राज्यों ने 1 फीसदी अनाज भी नहीं बांटा
अब बात उन 11 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों की जिसने जून तक केंद्र से मिले अनाज का 1 फीसदी भी प्रवासी मजूदरों को ठी से नहीं दिया। ये राज्य हैं- आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, झारखंड, लद्दाख,महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, सिक्किम, तमिलनाडु, तेलंगाना और त्रिपुरा। कुछ राज्य तो फूड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया से अनाज उठाने में भी पीछे ही रहे। मसलन, ओडिशा ने 32,360 मिट्रिक टन में से सिर्फ 388 मिट्रिक टन अनाज ही उठाया। इसी तरह मध्य प्रदेश ने 54,642 मिट्रिक टन का सिर्फ 4 फीसदी यानि 1,963 मिट्रिक टन और छत्तीसगढ़ ने आवंटित 20,077 मिट्रिक टन में से सिर्फ 5 फीसदी यानि 944 मिट्रिक टन ही अनाज उठाए। गोवा और तेलंगाना समेत करीब 6 या 7 राज्यों ने केंद्र को लिखकर जानकारी दी कि वह इस योजना पर तामील करने सक्षम नहीं है, क्योंकि प्रवासी मजदूर उनके राज्यों से जा चुके हैं।
राजस्थान ने 95% अनाज का किया वितरण
बुधवार को एक वर्चुअल मीडिया कॉन्फ्रेंस में केंद्रीय उपभेक्ता मामले, खाद्य और जन वितरण मंत्रालय मंत्री राम विलास पासवान ने कहा कि, 'कुछ राज्य गरीबों में अनाज नहीं बांट रहे हैं। यह चिंता की बात है.....उन्हें गरीबों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए......हमें राज्यों को अनाज उपलब्ध करवाने में कोई समस्या नहीं है। जब यह मुफ्त में दिया जा रहा है तो मैं नहीं समझता कि इसके वितरण में क्या दिक्कत है। हम इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहे हैं।' अलबत्ता, जो राज्य इस योजना को सफल बनाने में सबसे अव्वल रहे हैं, उन्हें राजस्थान का नाम लिया जा सकता है, जिसने न केवल अपने आवंटित कोटे 44,662 मिट्रिक टन का 100 फीसदी अनाज उठाया, बल्कि उसका 95 फीसदी यानि 42,478 मिट्रिक टन बांटने में भी सफल रहा है। मई और जून में राजस्थान में 42.47 लाख प्रवासी मजदूर मोदी सरकार के इस स्कीम का फायदा उठा पाए। इसी तरह हरियाणा ने 12,649 मिट्रिक टन आवंटित अनाज में से करीब आधे यानि 6,463 मिट्रिक टन का आंवटन किया। इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश, असम और कर्नाटक जैसे राज्यों ने भी आत्मनिर्भर भारत अभियान के मामले में तुलानात्मक तौर पर अच्छा काम किया है।