पिछले सात महीनों से मेरी 11 महीने की बेटी की हालत इतनी खराब है कि वो ज़्यादा समय तक अपनी आंखें तक नहीं खोल पाती है। जब भी वो कुछ खाती है तो उसे उल्टी होने लगती है और इस वजह से अब तो उसने खाना तक बंद कर दिया है। उसे तुरंत हार्ट सर्जरी की ज़रूरत है और मेरी जेब में 1000 रुपए से भी कम पैसे हैं। उसकी सर्जरी के लिए पैसे जुटाने में मैंने अपनी जी-जान लगा दी है। जब भी वो मेरी तरफ अपनी बड़ी-बड़ी आंखों से देखती है तो मुझे महसूस होता है कि मैं एक पिता होने का फर्ज नहीं निभा पाया। शिवानी के पिता शिव कुमार जब भी अपनी बच्ची को देखते हैं तो उनका दिल तकलीफ और आंसुओं से भर जाता है।
साल 2017 में नवंबर महीने में शिव और आशा के घर एक बच्ची ने जन्म लिया था। उस समय आशा की आंखें खुशी के आंसू से भर आई थी। आशा कहती है, हमारी बेटी हमारे लिए बहुत कीमती है। वो अपनी भूरी आंखों से जब हमारी तरफ देखती है तो हमारा दिल खुशी से झूम उठता था।
जन्म लेने के कुछ समय बाद ही उसकी तबियत बिगड़ने लगी। उसे लगातर ज़ुकाम और सर्दी रहने लगी। कई महीनों तक तो उसे दवाएं दी गईं लेकिन उसका फ्लू ठीक नहीं हो पाया। कई डॉक्टरों से सलाह लेने के बाद उन्हें एक ऐसे चिकित्सक मिले जिनकी दवा ने असर दिखाना शुरु किया। उन्हें इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उनकी मासूम सी बच्ची के साथ क्या होने वाला है।
जब शिवानी 8 महीने की हुई तो उसका फ्लू निमोनिया में बदल गया। उसे दिल्ली के अपोलो अस्पताल में भर्ती करवाया गया जहां उसके निमोनिया का इलाज किया गया लेकिन बुखार फिर भी उसका पीछा नहीं छोड़ रहा था। इसके बाद डॉक्टरों ने शिवानी के कुछ टेस्ट किए और तब जाकर पता चला कि शिवानी को कोंगेनाइटल हार्ट डिजीज है।
डॉक्टरों ने बताया कि शिवानी के दिल में छेद है। ये सुनकर तो जैसे हमारे होश ही उड़ गए। इतनी छोटी सी बच्ची को इतनी बड़ी बीमारी कैसे हो सकती है। मैं दुआ करने लगा कि शायद ये खबर झूठी हो लेकिन जब शिवानी के लिए दूध पीना तक मुश्किल हो गया तब मुझे उसकी बीमारी पर यकीन हो पाया। वो हर समय थकान महसूस करती थी। उसके छोटे से हाथ पैर नीले पड़ने लगे थे क्योंकि अब वो सांस तक नहीं ले पा रही थी। शिवानी की मां कहती है कि उसकी ये हालत देखकर उन दोनों की तो रातों की नींद ही उड़ गई थी।
डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि कर दी थी कि शिवानी की हालत बहुत नाज़ुक है और उसे तुरंत ओपन हार्ट सर्जरी की ज़रूरत है। इस सर्जरी में कुल 3 लाख रुपए का खर्चा होगा। शिव और आशा शिवानी की दवाओं और ऑपरेशन से पहले ज़रूरी चीज़ों का प्रबंध करने के लिए ही फंड इकट्ठा करने में लगे थे और अब ये सर्जरी का खर्चा आ गया। अब शिवानी घर पर है और दवाओं के सहारे ही उसकी सांसे चल रही है क्योंकि उसके माता-पिता के पास अस्पताल में भर्ती करवाने के लिए पैसे नहीं हैं। भगवान ऐसा दिन किसी माता-पिता को ना दिखाए जिनकी आंखों के सामने उनकी बच्ची तड़पती रहे और वो पैसों की तंगी की वजह से कुछ ना कर पाए।
शिवानी को ऑक्सीजन की कमी की वजह से सांस लेने में भी दिक्कत हो रही है और अब वो बहुत जल्दी थक जाती है। उसके पास ज़्यादा समय नहीं बचा है, वहीं उसके माता-पिता हार्ट सर्जरी के लिए 3 लाख रुपए जुटाने में लगे हैं।
मैं दिल्ली के अली विहार इलाके में रहता हूं और मज़दूरी करके हर महीने 10 हज़ार रुपए कमाता हूं। अपने परिवार में कमाने वाला मैं इकलौता हूं और इन्हीं पैसों में मुझे अपनी पत्नी और बेटी शिवानी की ज़रूरतों को पूरा करना होता है। बेटी की सर्जरी और दवाओं के लिए पैसे बचाने के लिए मेरी पत्नी ने दिन में सिर्फ एक वक्त खाना शुरु कर दिया है। वो हर पल मर रही है। सब कुछ जानते हुए भी हमने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा है।
अपनी बेटी की दवाओं के पैसों के लिए शिव भी दो शिफ्ट में काम करने लगा है। दोनों की सारी बचत तो अब तक खत्म हो चुकी है। 3 लाख रुपए की बड़ी रकम जुटाने के लिए आशा ने अपने गहने तक बेच दिए हैं।
आप कैसे कर सकते हैं मदद
पिछले कुछ महीनों में शिव और आशा की सारी जमापूंजी खत्म हो चुकी है और अब भी उनकी सारी कमाई शिवानी की दवाओं में ही जा रही है। 11 महीने की बच्ची की हालत बहुत नाज़ुक है और उसके पास जीने के लिए बस एक ही रास्ता बचा है और वो है ओपन हार्ट सर्जरी। अपनी बच्ची की जान बचाने के लिए शिव और आशा के पास बहुत कम समय बचा है।
आपका छोटा सा योगदान भी इस मासूम बच्ची की जान बचा सकता है। तो चलिए हम सब एकसाथ मिलकर शिवानी की जान बचाने में उसके बेबस माता-पिता की मदद करते हैं। आपका छोटा सा योगदान भी शिवानी को ज़िंदगी जीने के लिए सांसे दे सकता है। शिवानी की इस कहानी को अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ फेसबुक और व्हॉट्सऐप पर ज़रूर शेयर करें।