CAA: भारत आए 100 पाकिस्तानी हिंदू परिवार बढ़ा सकते है मोदी सरकार की मुश्किल
100 Pakistani Hindu families came to India demanding citizenship. But they are required to stay in India for 6 years as per CAA rules. Know the many reasons which are going to increase the difficulties of Modi government in future.100 पाकिस्तानी हिंदू परिवार भारत तो आ गए, लेकिन CAA के तहत नागरिकता
बेंगलुरु। देश की राजनधानी समेत अन्य कई राज्यों में नागरिकता संशोधन कानून का विरोध हो रहा है। इसी बीच केन्द्र सरकार द्वारा सीएए के लागू किए जाने से पाकिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं की भारत की नागरिकता को लेकर आस जाग गयी हैं। सोमवार को पाकिस्तान से 100 हिंदू परिवार अटारी-बाघाा बॉर्डर के माध्यम से भारत आए। इन सभी का कहना है कि पाकिस्तान में उन्हें प्रताड़ना झेलनी पड़ती है इसलिए अब वो वापस कभी नहीं जाएंगे। वो भारत में बसने की इरादा लेकर आए हैं।
हालांकि केन्द्र सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून इसी इरादे से बनाया है ताकि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न झेल रहे हिंदू, सिख और ईसाई अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दी जा सके। लेकिन पाकिस्तान से आए ये हिंदू परिवारों को सीएए के तहत नागरिकता मिलना इतनाआसान नहीं है ? यह भारत में रहना चाहते हैं लेकिन नागरिकता कानून के जटिल नियम है जो इसमें बाधक बनेंगे और यह मोदी सरकार की सीएए को लेकर मुश्किल और बढ़ा सकते हैं। जानें पूरा मामला
अकाली दल के नेता सिरसा इन हिंदू परिवारों से कर चुके हैं ये वादा
पहले बता दें नागरिकता कानून को लेकर चल रही राजनीति के बीच इन पाकिस्तानी हिंदुओं के भारत में प्रवेश करते ही इस पर भी राजनीति शुरू हो चुकी हैं। अकाली दल के नेता और दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह सिरसा ने सभी को वाघा बॉर्डर पर रिसीव किया और दावा किया कि इन लोगों पर पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न होता है। उन्होंने ये भी कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर उन्हें नागरिकता देने की अपील करेंगे। जबकि वो भी इस बात से अच्छी तरह से अवगत है कि उन्हें भारतीय नागरिकता मिलना इतना भी आसान नहीं !
सीएए के नियम के चलते 6 वर्षों तक नहीं दी जा सकती इन्हें नागरिकता
पाकिस्तान से आए हिंदू परिवारों ने भारत में ही बस जाने की् प्रबल इच्छा जतायी है और अकाली दल के नेता सिरसा उन्हें भारतीय नागरिकता देने का आश्वासन देकर उन्हें नागरिकता देने की वकालत कर रहे है लेकिन ये सब इतना भी आसान नहीं। बता दें भारतीय नागरिकता हासिल करने के लिए कम से कम उन्हें 6 साल भारत में बिताना जरुरी हैं। यानी अगर इन लोगों को भारतीय की नागरिकता देने पर विचार होता भी है तो पहले 6 सालों तक वह शरणार्थी की तरह या अपना वीजा बढ़वा-बढ़वा कर भारत में रहना होगा। इसके बाद ही उन्हें नागरिकता मिलेगी। नागरिकता कानून में संशोधन से पूर्व यह अवधि 11 वर्षों की थी लेकिन नागरिकता संशोधन कानून के तहत यह समय सीमा घटाकर 6 साल कर दी गयी है।
पाकिस्तान में बसे हैं इतने हिंदू
2015 में आई पीयू की शोध के अनुसार पाकिस्तान में वहां की कुल आबादी के करीब 2 फीसदी हिंदू ही बचे हैं यानी इनकी संख्या करीब 56 लाख के करीब है। पाकिस्तान हिंदू काउंसिल की अक्टूबर 2019 की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में लगभग 80 लाख हिंदू हैं। अब अगर पाकिस्तान हिंदू काउंसिल की रिपोर्ट के ही ले लें तो ये कहा जा सकता है कि कम से कम 80 लाख हिंदू तो पाकिस्तान से ही भारत आ सकते हैं और नागरिकता संशोधन कानून के तहत नागरिकता पा सकते हैं।
देश क्या वाकई इतने सारे बाहरी लोगों को बसाने के लिए तैयार है?
ये केवल पाकिस्तान में बसे हिंदुओं की आंकड़े हैं। वहीं सीएए के अनुसार पाकिस्तान में बसे हिंदुओं के अलावा सिख और ईसाइयों को भी नागरिकता देने की बात कही गयी हैं। इतना ही नहीं अफगानिस्तान और बांग्ला देश के अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता देने की बात कहीं गयी है लेकिन सवाल ये है कि क्या हमारा देश वाकई इतने सारे बाहरी लोगों को बसाने के लिए तैयार है? जबकि खुद भारत बढ़ती जनसंख्या से जूझ रहा हैं। खुद पीएम मोदी ये कह चुके हैं कि हमें जनसंख्या विस्फोट को रोकना होगा। आबादी पर नियंत्रण करना होगा। इतना ही नहीं केन्द्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए दो बच्चों से संबंधित कानून लाने की पैरवी कर रही हैं।
ये युवा भारत को ही अपना वतन मानते हैं, बोल रहे मर जाएंगे लेकिन वापस नहीं जाएंगे
मंगलवार को जो 50 लोगों की हिदुंओं की टोली बाघा बार्डर से भारत आयी उसमें 20 साल की लाली से लेकर पांच साल तक जो बच्चे आए हैं वो ये ही बार-बार कह रहे कि वो अब यहां अबकी बार वापस जाने के लिए नहीं बल्कि यहीं बसने के लिए आए है क्योंकि वहां पर हालात सही नहीं हैं। वह सभी से ये ही कह रहे कि वह पर्यटक बनकर नहीं आए हैं बल्कि भारत में बसना चाहते हैं। वह यहां तक कह रहे कि वह मर जाएंगे लेकिन वापस पाकिस्तान नहीं जाएंगे।
उनके मुताबिक पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू कट्टरवादी बहुसंख्यक समुदाय की प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं। उनके बहुत से रिश्तेदार पाकिस्तान में मारे जा चुके हैं। इस टोली में आए लोगों में ज्यादातर युवा पाकिस्तानी हैं जो भारत को अपना वतन समझते हैं। सबको 25 दिनों का वीजा मिला है और सब अपने पूर्वजों के संस्कार करने के लिए हरिद्वार जा चुके हैं।
सोशल मीडिया पर शुरू हुई बहस
नागरिकता संशोधन कानून पर हो रहे विरोधों के बीच पाकिस्तान से 200 हिंदू भारत आए हिंदुओं में अधिकांश ने यहां बसने की इच्छा व्यक्त करते ही सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस शुरु हो चुकी है। इस मामले में सोशल मीडिया दो गुटों में बंट चुका हैं। कुछ लोग भारत में इनके आने का स्वागत कर रहे तो दूसरा गुट विरोध जता रहा हैं। कुछ इसे पाकिस्तान के सताए हिंदू भाइयों की मदद कह रहे हैं, तो कुछ ने सीधे-सीधे इसे भारत पर बोझ करार दिया है। कुछ ने यहां तक कह दिया कि इनको नगारिकता देने के बाद भारत में जनसंख्या विस्फोट हो जाएगा। यहां हम बेरोजगारी और गरीबी से जूझ रहे और उसे छोड़ कर सरकार देश की आबादी बढ़ा रही है।
नागरिकता कानून पर पब्लिक की है ये राय
भले ही नागरिकता कानून लागू होने के बावजूद उसके तहत किसी को अब तक नागरिकता नहीं दी जा सकी है, क्योंकि कई जगहों पर इसका विरोध हो रहा है। खासकर मुस्लिम समुदाय इस कानून के खिलाफ है, क्योंकि उन्हें इसमें शामिल नहीं किया गया है। ऐसा ही एक विरोध 53 से भी अधिक दिनों से दिल्ली के शाहीन बाग में हो रहा है। ये विरोध तो सिर्फ मोदी सरकार द्वारा लाए गए नागरिकता कानून के खिलाफ था, लेकिन सड़कें बंद रहने की वजह से अब स्थानीय लोग इस विरोध प्रदर्शन के ही विरोध में आ गए हैं। एक सर्वे के अनुसार दिल्ली की करीब 52 फीसदी जनता इस धरने के खिलाफ है, जबकि 25 फीसदी इसके समर्थन में हैं। 71 फीसदी लोग मानते हैं कि नागरिकता कानून का कदम केंद्र सरकार ने सही उठाया है। माना जा रहा है कि शाहीन बाग में हो रहा प्रदर्शन दिल्ली विस चुनाव की दिशा मोड़ सकता हैं।
इसे भी पढे़- शाहीन बाग : जानें सीएए के विरोध में चल रहे प्रदर्शन का केन्द्र सरकार पर क्यों नहीं पड़ रहा असर