तमिलनाडु में समुद्र किनारे फंस गया था 100 किलो का कछुआ, इस तरह वापस भेजा गया पानी में
रामेश्वरम। समुद्री जीवों में कछुआ हमेशा से ही लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। हालांकि कई बार भारी भरकम होने के कारण ये पानी की लहरों से समुद्र किनारे आकर फंस जाते हैं। ऐसा ही नजारा तमिलनाडु के रामेश्वरम में भी देखने को मिला है। यहां रमानाथपुरम जिले के मंडपम समुद्र में एक 100 किलो का कछुआ सोमवार को समुद्रतट पर आकर फंस गया था। कछुआ पानी की लहरों से समुद्र के किनारे आ गया था। वह कई कोशिशों के बाद भी समुद्र में नहीं जा पा रहा था, जिसके बाद वन विभाग के कर्मियों ने उसे दोबारा समुद्र में भेजने का काम किया है।
विभाग के कर्मी कछुओं को पानी में भेजते हैं
जानकारी के मुताबिक वन विभाग की टीम का कहना है कि वह आमतौर पर इस तरह के कछुओं को पानी में वापस भेजने का काम करती है, जिनका वजन 100 किलो तक का होता है। वहीं वजन के हिसाब से इन कछुओं की उम्र का भी अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितनी अधिक होगी। ऐसे में जब सुबह के वक्त इस कछुए को देखा गया तो विभाग के कर्मियों ने उसे पानी में छोड़ने का काम किया।
ढाल-जैसे कवच से होती है पहचान
कछुओं की बात करें तो ये रेटीना में बड़ी संख्या में कोशिकाओं के होने के कारण आसानी से अंधेरे में देख सकते हैं। यह हर तरह के रंग को देख सकते हैं। ऐसे में समुद्र किनारे आने पर इन जीवों की जिंदगी को खतरा बढ़ जाता है। आमतौर पर कछुओं की पहचान उनके ढाल-जैसे कवच से होती है। ये अपने शरीर के मुख्य भाग को अपनी पसलियों से विकसित हुए ढाल जैसे कवच से ढंक लेते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कछुओं की कई प्रजातियां इस समय संकट में हैं।
प्राचीनतम सरीसृपों में से एक है कछुआ
दुनिया में स्थलीय और जलीय दोनों तरह के कछुओं की प्रजाती पाई जाती है। इनकी पहली प्रजाती आज से 15.6 करोड़ साल पहले उत्पन्न हुई थी। जिसे सर्पों व मगरमच्छों से भी पहले का माना जाता है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इन्हें प्राचीनतम सरीसृपों में से एक मानते हैं। इस जीव की कई प्रजातियां विलुप्त हो चुकी हैं और कई विलुप्त होनी की कगार पर हैं। हालांकि आज भी इनकी 324 प्रजातियां अस्तित्व में हैं। कछुओं की उम्र की बात करें तो ये 300 साल से अधिक होती है।
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