बुलेट प्रूफ रेंज रोवर की जगह अब सोनिया गांधी की सुरक्षा करेगी 10 साल पुरानी टाटा सफारी
नई दिल्ली- सुरक्षा का दर्जा घटने का बाद कांग्रेस चीफ सोनिया गांधी और उनके परिवार को मिलने वाली एसयूवी गाड़ी का दर्ज भी घट गया है। जबसे एसपीजी सुरक्षी वापस ली गई है, सोनिया को 10 साल पुरानी टाटा सफारी में सफर करना पड़ रहा है। दरअसल, एसपीजी से जेड-प्लस श्रेणी में आने के बाद गांधी परिवार के तीनों सदस्यों की सुरक्षा का रुतबा भी घट गया है। यही वजह है कि कांग्रेस इसको लेकर खूब बवाल काट रही है और मंगलवार को उसने लोकसभा में इसपर जमकर हंगामा भी किया है। आइए जानते हैं कि सोनिया के अलावा राहुल गांधी और प्रियंका अब किन गाड़ियों का इस्तेमाल कर रही हैं और एसपीजी प्रोटेक्टी होने के दौरान उनके काफिले में कौन सी बेहतरीन गाड़ियां शामिल होती थीं।
'विंटेज' टाटा सफारी में चलने लगी हैं सोनिया
इस महीने की शुरुआत तक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कहीं निकलती थीं तो उनके काफिले में बुलेट प्रूफ रेंज रोवर गाड़ियों का काफिला होता था। लेकिन, अब उन्हें 10 साल पुरानी टाटा सफारी गाड़ियों से ही काम चलाना पड़ रहा है। जे[ प्लस सुरक्षा के तहत सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को 2010 में बनी विंटेज टाटा सफारी एसयूवी उपलब्ध कराई गई हैं। जबकि, एसपीजी सिक्योरिटी कवर में सोनिया और प्रियंका बैलिस्टिक रेसिस्टेंस (बी-आर) रेंज रोवर्स इस्तेमाल करती थीं और राहुल गांधी को फॉर्चूनर मिली हुई थी। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की भी एसपीजी सुरक्षा वापस ली गई थी, लेकिन उन्हें एसपीजी पूल से ही बख्तरबंद बीएमडब्ल्यू कार दी गई है। ऐसी खबरें हैं कि सीआरपीएफ ने भी गांधी परिवार के लिए एसपीजी से बख्तबंद गाड़ियां मांगी हैं, लेकिन अभी तक उसे जवाब नहीं मिला है।
गांधी परिवार की सुरक्षा में कितना बदलाव?
गौरतलब है कि इस महीने की शुरुआत में गांधी परिवार से एसपीजी (स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप) की सुरक्षा वापस ले ली गई थी और उसकी जगह उन्हें जेड-प्लस श्रेणी की सुरक्षा मुहैया कराई गई है। जेड-प्लस श्रेणी में करीब 100 कमांडो की सिक्योरिटी कवर मुहैया कराई जाती है। जेड-प्लस सुरक्षा मिलने के बाद दिल्ली पुलिस का भी सोनिया और राहुल गांधी के निवास तक पहुंच और उस पहुंच पर नियंत्रण रहेगा। जबकि,एसपीजी प्रोटेक्टी के मामले में ये सारी जिम्मेदारी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप के पास होती है, जिसके कमांडो प्रधानमंत्री, पूर्व प्रधानमंत्री और उनके परिवार के नजदीकी सदस्यों की सुरक्षा के लिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित होते हैं। करीब 3,000 स्पेशल कमांडो की क्षमता वाली एसपीजी के पास न सिर्फ प्रोटेक्टी की सुरक्षा का जिम्मा होता है, बल्कि वे उस स्थान की पहले से ही चप्पे-चप्पे की रेकी भी करते हैं, जहां प्रोटेक्टी को जाना होता है।
एसपीजी हटने पर संसद में हंगामा
सरकारी सूत्रों का कहना है कि गांधी परिवार पर खतरे का स्तर घटने की वजह से उनकी सुरक्षा बदली गई है, जिन्हें 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के बाद से ही एसपीजी की सुरक्षा मुहैया कराई जा रही थी। लेकिन, कांग्रेस 28 साल बाद गांधी परिवार से एसपीजी हटाने का विरोध कर रही है और मंगलवार को यह मसला संसद में भी उठाया गया और कांग्रेस ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब की मांग की। इस मुद्दे को लेकर लोकसभा में कांग्रेस के सांसद वेल में भी घुस आए, जिसकी वजह से सदन की कार्यवाही स्थगति करनी पड़ी। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, "सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी सामान्य प्रोटेक्टी नहीं हैं। वाजपेयी जी ने गांधी परिवार को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की सुरक्षा की इजाजत दी थी। 1991 से 2019 तक एनडीए दो बार सत्ता में आई, लेकिन उनसे एसपीजी कवर कभी भी नहीं हटाई गई। "
कब से शुरू हुई एसपीजी सुरक्षा ?
एसपीजी का गठन 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद की गई थी और शुरू में इसे भारत के प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए ही बनाया गया था। जब राजीव गांधी सत्ता से बाहर हो गए तो उनकी एसपीजी सुरक्षा हटा ली गई। बाद में जब उनकी हत्या हो गई तब उनके परिवार पर खतरे की आशंका के मद्देनजर सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा को एसपीजी सुरक्षा दी गई थी।