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जिया हो बिहार के लाला, क्‍यों पीएम मोदी से सीएम नीतीश लगे जनता को बेहतर

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पटना। बिहार के चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी ने जी-भरकर मेहनत की और धुआंधार तरीके से प्रचार किया था लेकिन इसके बाद भी विजेता वहीं नहीं सीएम नीतीश कुमार बने। बिहार का चुनाव सीएम नीतीश वर्सेज पीएम मोदी बन गया था।

इस मुकाबले में बाजी मार ले गए सीएम। बिहार की जनता ने उसे ही अपने लिए चुना जो पिछले 10 वर्षों से उनके साथ खड़ा रहा। सीएम नीतीश कुमार लगातार तीसरी बार सीएम बनेंगे।

आखिर ऐसा क्‍या रहा कि जनता ने पीएम की जगह सीएम को तरजीह दी और उसे विजेता बनाया। एक नजर डालिएन उन 10 वजहों पर जिसकी वजह से नीतीश कुमार फिर से बिहार के किंग साबित हुए और पीएम मोदी की चमक यहां कोई खास कमाल नहीं दिखा सकी।

जनता के बीच सुपरहिट

जनता के बीच सुपरहिट

सीएम नीतीश कुमार को चुनावों से पहले हुए सभी सर्वे में मोस्‍ट पॉपुलर चीफ मिनिस्‍टर बताया गया था। इस राज्‍य में कुशासन का नारा भी वोटर्स के बीच बेअसर रहा और नीतीश को उसका नतीजा रविवार को मिल गया।

जनता ने बदला फैसला

जनता ने बदला फैसला

लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में जनता की पंसद अलग अलग होती है। इसकी शुरुआत दिल्‍ली में हुए विधानसभा चुनावों में ही हो गई थी जब अरविंद केजरीवाल की पार्टी को बहुमत मिला।

बेहतर कम्‍यूनिकेटर

बेहतर कम्‍यूनिकेटर

बतौर उम्‍मीदवार नीतीश कुमार दूसरी पार्टियों के नेताओं की तुलना में जनता के साथ बेहतरी से संवाद स्‍थापित कर सके। यह बात भी जनता को शायद भा गई।

मुसलमान वोट और नीतीश

मुसलमान वोट और नीतीश

बिहार में मुसलमानों और बीजेपी के बीच विश्‍वास की कमी है। बिहार में 15 प्रतिशत मुसलमान हैं और यह वोट बैंक हमेशा से बीजेपी के लिए चुनौती था। यह बात नीतीश कुमार के लिए प्‍लस प्‍वाइंट साबित हुई।

दाल का दाम

दाल का दाम

जिस तरह से देश में दाल के दामों ने महंगाई को और बढ़ाया उससे एक बड़ा वोट बैंक बीजेपी से दूर हो गया। बीजेपी और केंद्र सरकार ने इन दामों पर नियंत्रण लगा पाने में कोई खास कामयाबी नहीं हासिल की थी।

ओवैसी फैक्‍टर

ओवैसी फैक्‍टर

बिहार में अकबरुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी चुनाव लड़ा। ओवैसी की चुनावों में एंट्री को बीजेपी का दांव करार दिया गया। औवैसी बीजेपी के वोट काटने वाले साबित हुए और नतीजा लोगों ने नीतीश पर भरोसा जताया।

कांग्रेस और बीजेपी

कांग्रेस और बीजेपी

बिहार में कांग्रेस नीतीश कुमार के साथ आ गई। साथ ही लालू यादव ने भी ऐलान कर दिया कि अगर चुनाव जीते तो फिर नीतीश ही सीएम बनेंगे। कांग्रेस का नुकसान बीजेपी का फायदा कभी बन ही नहीं सका। जेडीयू के साथ आने पर जो लोग कांग्रेस को वोट नहीं देने वाले थे उन्‍होंने भी नीतीश को वोट दिया।

स्‍थानीय नेता नीतीश

स्‍थानीय नेता नीतीश

नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के एक स्‍थानीय और मजबूत नेता बन गए हैं। बीजेपी ने हर राज्‍य में जब-जब चुनाव हुए तब-तब नेता घोषित किया तो वहीं बिहार में आखिरी तक जनता को मालूम ही नहीं था कि कौन सीएम बनेगा। ऐसे में लोगों ने अपने 10 वर्ष पुराने सीएम पर ही भरोसा जताया।

वीके सिंह ने किया मटियामेट

वीके सिंह ने किया मटियामेट

केंद्रीय मंत्री वीके सिंह ने दादरी हादसे में दलितों की मौत को कुत्‍ते की मौत से जोड़कर जो गैर-जिम्‍मेदाराना बयान दिया उसने बीजेपी का कबाड़ा कर दिया। इस बयान के बाद नीतीश और लालू ने ट्विटर पर आकर पार्टी और जनरल की आलोचना की। इस आलोचना की वजह से वोटर्स ने अपने नीतीश को अपनी पहली पसंद बताया।

बिना हेलीकॉप्‍टर वाले सीएम

बिना हेलीकॉप्‍टर वाले सीएम

नीतीश ने बीजेपी के नेताओं के हेलीकॉप्‍टर कैंपेनिंग की जगह लोगों के घर जाकर वोट मांगे। उनकी इस सादगी की वजह से वोटर्स के साथ उनका मजबूत रिश्‍ता कायम हुआ जो उन्‍हें जीत की ओर ले गया।

English summary
With his low key appearance and controlling his language, CM Nitish Kumar rises again as a winner.
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