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68 साल में पहली बार इस चुनाव में देखने को मिलेंगी ये 10 अनोखी बातें

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Lok Sabha Election 2019 : चुनाव के दौरान 68 सालों में पहली बार हुए 10 अनोखे बदलाव | वनइंडिया हिंदी

नई दिल्ली- भारत में पहला आम चुनाव 1951 में कराया गया था। तब से लेकर भारतीय चुनाव व्यवस्था बदलाव के कई दौर देख चुका है। आज हम दुनिया के सबसे बड़े और सबसे सशक्त लोकतंत्र हैं, तो उसमें हमारे चुनाव आयोग की भूमिका सबसे अहम है। उसने जो हर बार, लगातार जो चुनाव सुधार किए हैं, उस प्रक्रिया को बेहतर बनाया है, उससे भारत और भारतीय लोकतंत्र की प्रतिष्ठा पूरे विश्व में बढ़ती गई है। निर्वाचन आयोग ने चुनाव सुधार की प्रक्रिया को जारी रखते हुए इस बार भी कुछ नया प्रयोग करने का फैसला किया है, जो 68 वर्षों में पहली बार हो रहा है। आइए उन 10 चीजों के बारे में जानते हैं, जो 2019 के लोकसभा चुनाव में पहली दफे हो रहा है।

डाले गए 100% वोटों की पर्ची

डाले गए 100% वोटों की पर्ची

इस चुनाव में जितने भी वोट पड़ेंगे, उन सबका रिकॉर्ड पेपर पर्ची पर दर्ज होगा,ताकि किसी भी शिकायत पर उसकी जांच हो सके। गौरतलब है कि विपक्षी पार्टियों की ओर से इसकी मांग लगातार की जाती रही है। ईवीएम को लेकर भी सवाल उठाए जाते रहे हैं। इसी को देखते हुए चुनाव आयोग ने इस बार वीवीपैट (VVPAT) में सारी डिटेल दर्ज करने की व्यवस्था की है। इसका फायदा ये होगा कि मतदान के वक्त ही वोटर ये देख सकेगा कि उसका वोट सही जगह गया या नहीं। इससे ईवीएम के जरिए धांधली की शिकायतों को दूर करना आसान रहेगा।

इसके अलावा चुनाव आयोग ने अबकी बार यह भी अनिवार्य कर दिया है कि सभी उम्मीदवार नामांकन के समय अपने एफिडेविट में पिछले 5 साल की अपनी आय का भी ब्योरा देंगे। अगर उनके पास देश से बाहर भी कोई संपत्ति है, तो उसकी जानकारी भी देनी होगी। यानी कभी भी इसमें गड़बड़ी पाई गई तो कानूनी प्रावधानों के तहत कार्रवाई करना आसान रहेगा और अगर झूठी एफिडेविट के आधार पर चुनाव जीत भी गए तो भी उनकी सदस्यता जा सकती है। मतदाताओं को भी उन्हें वोट डालने से पहले उनकी संपत्तियों के बारे में जानकारी मिल जाएगी।

उम्मीदवारों के आपराधिक बैकग्राउंड का पता रहेगा

उम्मीदवारों के आपराधिक बैकग्राउंड का पता रहेगा

उम्मीदवारों के आपारधिक बैकग्राउंड के बारे में इस बार हुए बदलाव के बारे में जानने से पहले सैन्यकर्मियों को दी जाने वाली नई सुविधा की चर्चा कर लेते हैं। हमारे सैनिक देश सेवा में जुटे होने के कारण ठीक से वोट नहीं डाल पाते। वे डाक बैलट का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कई बार उन्हें तभी गिना जाता है, जब जीत या हार का अंतर बहुत कम रहता है। कई बार डाक बैलेट समय पर पहुंचता भी नहीं है। शायद इसलिए इस बार से ऐसे लोगों के लिए इलेक्ट्रोनिक ट्रांसमिटेड पोस्टल बैलट की व्यवस्था की जा रही है। यानी अब ड्यूटी पर रहते हुए भी वे इलेक्ट्रोनिक वोटिंग सुविधा का इस्तेमाल कर सकेंगे।

अब तक मतदाताओं को समय पर पता नहीं लग पाता था कि किसी उम्मीदवार का आपराधिक बैकग्राउंड क्या है। कई बार वे एफिडेविट में इसका जिक्र भी करते थे, लेकिन वोटर तक उनकी सच्चाई पहुंच नहीं पाती थी। लेकिन, चुनाव आयोग ने इस समस्या का समाधान निकाल लिया है। अब यह राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होगी कि वे मीडिया में अपने प्रत्याशियों के आपराधिक बैकग्राउंड का विज्ञापन देकर लोगों को उनकी असलियत बताएं।

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नारी को सम्मान,हर नागरिक को मिला काम

नारी को सम्मान,हर नागरिक को मिला काम

यह पहला ऐसा चुनाव होने जा रहा है, जहां एक लोकसभा सीट पर पड़ने वाले हर विधानसभा क्षेत्र के कम से कम एक पोलिंग बूथ पूरी तरह नारी शक्ति के नियंत्रण में रहेगा। मतलब, उस बूथ पर मतदान से जुड़े हर अधिकारी और कर्मचारी महिलाएं ही होंगी। यह बहुत ही अनुपम प्रयोग है। जब हमारी महिलाएं जमीन से लेकर अंतरिक्ष की ऊंचाइयों में और सागर की गहराइयों में भी अपना शौर्य दिखा रही हैं, तो लोकतंत्र के महापर्व में उन्हें अपनी क्षमता के प्रदर्शन का उचित मौका मिलना बहुत ही गर्व की बात है।

इस चुनाव में आयोग ने हर नागरिक को एक जिम्मेदारी दी है। आयोग की ओर से सी-विजिल (C-Vigil)नाम का एक मोबाइल एप लॉन्च किया गया है। इसके माध्यम से देश का हर नागरिक चुनाव से जुड़ी किसी भी गड़बड़ी की शिकायत सीधे निर्वाचन आयोग से कर सकता है। वह इस पर तस्वीरें और वीडियो भी लोड करके एक जिम्मेदार नागरिक होने का दायित्व निभा सकता है। चुनाव आयोग की ओर से तैनात उड़न दस्ते (फ्लाइंग स्क्वॉयड) की टीम फौरन उस जगह पर पहुंच जाएगी और आवश्यक कार्रवाई को अंजाम देगी।

सिर्फ तस्वीर वाली वोटर पर्ची से नहीं चलेगा काम

सिर्फ तस्वीर वाली वोटर पर्ची से नहीं चलेगा काम

अगर आप मतदान के लिए जाएं, तो अपने साथ एक निर्धारित फोटो पहचान पत्र भी अवश्य साथ रखें। कई बार लोग इस धोखे में रह जाते हैं, कि मतदान वाली पर्ची में तो उनकी तस्वीर लगी ही हुई है। लेकिन इस बार चुनाव आयोग ने साफ कर दिया है कि सिर्फ ऐसी पर्ची रहने पर मतदान की इजाजत नहीं मिलेगी और उसके साथ कोई अन्य मानक फोटो पहचान पत्र भी रखना अनिवार्य होगा।

इस बार के चुनाव में आप ईवीएम पर सभी प्रत्याशियों के नाम ((ब्रेल लिपि सहित)), उनका या उनकी पार्टी का चुनाव निशान के अलावा उनकी तस्वीरें भी देखेंगे।

सोशल मीडिया पर भी रहेगी चुनाव आयोग की नजर

सोशल मीडिया पर भी रहेगी चुनाव आयोग की नजर

पहली बार चुनाव आयोग ने सोशल मीडिया फर्म्स को से कहा है कि वो सोशल मीडिया पर होने वाले चुनाव प्रचार पर नजर रखें। इसके लिए आयोग ने उन्हें शिकायत अधिकारियों की नियुक्ति करने के भी निर्देश दिए हैं, ताकि सोशल मीडिया के दुरुपयोगों से संबंधित शिकायतों को निपटाने में आसानी रहे। यानी इस बार राजनीतिक दल या उम्मीदवार अपने पक्ष में प्रचार के लिए सोशल मीडिया का दुरुपयोग नहीं कर सकेंगे।

पिछले कुछ चुनावों में ईवीएम की हेरफेर की भी शिकायतें मिली हैं। हालांकि, अभी तक इसके कोई ठोस प्रमाण तो नहीं मिले हीं, लेकिन फिर भी चुनाव आयोग ने एहतियातन हर ईवीएम की जीपीएस ट्रैकिंग (GPS Tracking) की व्यवस्था की है। इसके माध्यम से क्षेत्र में तैनात उड़न दस्तों (फ्लाइंग स्क्वॉयड) की टीम हर ईवीएम पर नजर रख सकेगी, जिससे उसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका लगभग खत्म हो जाएगी।

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English summary
10 firsts in loksabha elections 2019
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