बांग्लादेश से आए 1 लाख हिंदुओं और बौद्ध को नागरिकता देगी भारत सरकार
नई दिल्ली। जहां एक तरफ भारत सरकार 40,000 रोहिंग्या मुसलमानों को वापस भेजने का योजना बना रही है तो अब खबर आ रही है पूर्वी पाकिस्तानी (अब बांग्लादेश) से भारत आए 1 लाख हिंदुओं और बौद्ध को जल्द ही भारतीय नागरिकता देगी। भारत के नॉर्थ-ईस्ट इलाकों में करीब एक लाख चकमा और हजोंग शरणार्थी रहे रहे हैं, जो 50 साल पहले बांग्लादेश से भारत में आ गए थे।
सरकारी सू्त्रों ने बताया कि चकमा और हजोंग शरणार्थियों को लेकर बुधवार को एक उच्च स्तरीय मीटिंग हुई, जिसमें उन्हें नागरिकता देना की बात कही गई। इस मीटिंग में गृह मंत्री राजनाथ सिंह, अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू, गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद थे।
गृह मंत्रालय के अनुसार, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चकमा और हजोंग शरणार्थियों को नागरिकता देने की बात कही थी, जो अधिकतर भारत के पूर्वी राज्य अरुणाचल प्रदेश में रहते हैं। हालांकि, अरुणाचल प्रदेश के कई सामाजिक संगठनों ने इन शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने का विरोध किया है। उनका मानना है कि इससे राज्य की जनसंख्या पर बहुत प्रभाव पड़ेगा।
1960 के दशक में बांग्लादेश (पूर्वी पाकिस्तान) में कप्ताई बांध परियोजना की वजह से हजारों की तादाद में चकमा और हजोंग समुदाय के लोग विस्थापित हुए थे। चकमा बौद्ध धर्म से ताल्लुक रखते हैं वहीं, हजोंग हिंदू समुदाय से आते हैं। सरकारी सूत्रों के अनुसार, करीब 5,000 चकमा और हजोंग शरणार्थी ही अरुणाचल प्रदेश में आकर बसे थे, लेकिन अब इनकी तादाद एक लाख को पार कर चुकी है।
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