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डेढ़ करोड़ की लॉटरी निकली लेकिन फिर क्या हुआ?

वहीं, सुनीता को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें पुरस्कार राशि मिलेगी जिससे स्थिति में सुधार हो सकता है और सुनीता का कहना है की जब पैसे आएंगे, तो सबसे पहले हम एक नया घर बनाएंगे.

सुनीता और मोहन लाल की दो बेटियां हैं, एक 11 साल की है और दूसरी बेटी 5 साल की है.

वो इस धनराशि से दो बेटियों के भविष्य की रक्षा करना चाहते हैं. मोहन लाल अपना खुद का एक छोटा सा कारोबार शुरू करना चाहते हैं जिसके लिए लॉटरी के पैसे का इंतज़ार कर रहे हैं.

By BBC News हिन्दी
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मोहनलाल दिवाली बम्पर पुरस्कार 2018 के विजेता हैं
GURPREET CHAWLA/BBC
मोहनलाल दिवाली बम्पर पुरस्कार 2018 के विजेता हैं

ज़िला गुरदासपुर के दीनानगर के पास गांव चुर चक के रहने वाले मोहन लाल की पिछले साल नवंबर में 1.5 करोड़ की लॉटरी लगी थी, लेकिन काग़ज़ी कार्रवाई के कारण पुरस्कार राशि अब तक नहीं मिली है.

मोहन लाल लोहे की अलमारियाँ बनाते हैं. मोहन लाल पंजाब सरकार के दिवाली बम्पर 2018 के पहले पुरस्कार के विजेता हैं.

14 नवंबर 2018 को यह बंपर ड्रॉ हुआ.

लॉटरी
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मोहन लाल का कहना है कि उन्हें भगवान की कृपा प्राप्त हुई है. मोहन लाल लगभग 12 वर्षों से पंजाब सरकार की बम्पर लॉटरी ख़रीद रहे थे और हर साल यह आशा करते थे कि शायद भाग्य बदल जाएगा.

आख़िर यह सच हो गया, जब मोहन लाल ने गुरदासपुर बेदी लॉटरी स्टाल से 2 अलग-अलग टिकटें ख़रीदीं और उनमें से एक टिकट को पहला पुरस्कार मिला, जो 1.5 करोड़ का था.

लेकिन मोहन लाल को अभी भी अपनी पुरस्कार राशि का इंतज़ार है.

मोहन लाल बताते हैं, "मैं कड़ी मेहनत करता हूं और लोहे की अलमारियाँ बनाता हूं. कई साल पहले काम सही था लेकिन अब काम के हालात अच्छे नहीं हैं. कभी-कभी दुकानें काम करने में सक्षम होती हैं और कभी-कभी उन्हें भुगतान करना पड़ता है, और एक महीने के लिए कड़ी मेहनत करके केवल 10 से 12 हज़ार रुपये एकत्र किए जाते हैं."

मोहन लाल का परिवार लॉटरी की राशि पाने की उम्मीद कर रहा है ताकि उनका भविष्य बेहतर हो
GURPREET CHAWLA/BBC
मोहन लाल का परिवार लॉटरी की राशि पाने की उम्मीद कर रहा है ताकि उनका भविष्य बेहतर हो

पैसे क्यों नहीं मिले?

गुरदासपुर के पुराने सिविल अस्पताल के पास छोटी सी दुकान 'बेदी लॉटरी स्टाल' पर 2018 में दिवाली बम्पर के पहले पुरस्कार के विजेता मोहन लाल की तस्वीरें पूरी हो गई हैं.

दिलचस्प बात यह है कि लॉटरी विक्रेता का नाम भी मोहन लाल है.

लॉटरी स्टाल के मालिक मोहन लाल ने कहा, "लॉटरी टिकट जमा किया गया है और दाता का भुगतान करने का समय 90 दिन है, लेकिन मामला लंबा होता जा रहा है. पुरस्कार विजेता मोहन लाल के पास पैन कार्ड नहीं था, पैन कार्ड में देरी हुई और विभाग के साथ देरी हुई जिससे इनाम में देरी हो रही है.

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'सभी मुझे करोड़पत्नी कहते हैं'

मोहनलाल की पत्नी सुनीता देवी का कहना है कि जैसे ही उन्हें पता चला कि उनका पहला पुरस्कार निकला है, हम उत्साहित हो गए कि मालिक ने हमें एक एहसान दिया है.

सुनीता कहती है कि वह जहाँ भी जाती है, सब उसे करोड़पत्नी कहते हैं.

वहीं, सुनीता को उम्मीद है कि जल्द ही उन्हें पुरस्कार राशि मिलेगी जिससे स्थिति में सुधार हो सकता है और सुनीता का कहना है की जब पैसे आएंगे, तो सबसे पहले हम एक नया घर बनाएंगे.

सुनीता और मोहन लाल की दो बेटियां हैं, एक 11 साल की है और दूसरी बेटी 5 साल की है.

वो इस धनराशि से दो बेटियों के भविष्य की रक्षा करना चाहते हैं. मोहन लाल अपना खुद का एक छोटा सा कारोबार शुरू करना चाहते हैं जिसके लिए लॉटरी के पैसे का इंतज़ार कर रहे हैं.

ये वीडियो भी देखें

https://www.youtube.com/embed/z2guYaxPE-I

BBC Hindi
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English summary
1.5 million lottery came out but what happened then
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