नाना पाटेकर: जो पर्दे पर ही नहीं असली जिदगी में भी नायक हैं
मुंबई। पर्दे पर देश और समाज की बेहतरी के लिए लड़ने वाले नायक असल जिंदगी में अमूमन इन सबसे दूर ही खड़े नजर आते हैं। कोई मामला देखा तो सितारे एक ट्वीट कर या बयान जारी कर इतिश्री कर लेते हैं। इन सबके बीच एक अभिनेता ऐसे भी हैं, जो पर्दे पर ही बड़ी-बड़ी बातें नहीं करते असली जिंदगी में भी अपने देश और समाज के लिए कुछ कर-गुजरने का जज्बा रखते हैं, और कर रहे हैं। ये हैं नाना पाटेकर।
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हम नकली लोग, फौजी हैं असली हीरो
भारत-पाक तनाव के बीच नाना पाटेकर का बयान आया है, जिसमें वो पूरे मामले पर अपनी राय जाहिर कर रहे हैं। नाना इस वीडियो में पत्रकारों से कह रहे हैं कि पाकिस्तानी कलाकार, फिल्म, ये सब बाद में, पहला हमारा देश, देश के अलावा मैं किसी को नहीं जानता और न ही जानना चाहता हूं।
उन्होंने आगे कहा कि कलाकार देश के सामने खटमल की तरह है। सबसे पहले देश है।उन्होंने कहा कि हम तो एक्टर हैं, बहुत मामूली और नकली लोग। उन्होंने कहा कि जवानों से बड़ा कोई हीरो नहीं हो सकता। नाना ने जोड़ा कि हम जो बोलते हैं, उस पर ध्यान मत दो। एक्टर्स को जितनी अहमियत मिलती है, उतनी उनकी औकात नहीं है।
उरी में आतंकी हमला, सीमा पर गोलीबारी, भारतीय सेना की सर्जिकल स्ट्राइक और पाकिस्तानी कलाकारों पर भारत में बैन पर बॉलीवुड के सितारों के बयान लगातार आ रहे हैं लेकिन एक खास वजह है जो नाना को दूसरे सितारों से अलग करती है। ये है नाना का इतिहास
कारगिल युद्ध के दौरान सैनिकों का हौंसला बढ़ाते थे नाना
नाना पाटेकर सेना और सैनिकों के लिए कितना सम्मान करते हैं, ये 1999 में भी दिखा था । कारगिल में जब हमारे सैनिक दिन-रात लड़ रहे थे, तो नाना की आंखों से भी नींद गायब थी।
नाना पाटेकर ने कागरिल की जंग के दौरान हौंसला बढ़ाने के लिए बहुत सारा वक्त सैनिकों के साथ गुजारा था। वो एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट पर घूमते हुए सैनिकों से मिलते और लड़ रहे सैनिकों से बातचीत करते थे।
कारगिल युद्ध के दौरान नाना पाटेकर ने कहा था कि हमारी असली ताकत तोप और एके 47 नहीं हमारे जवान हैं। उन दिनों नाना ने लंबा वक्त सैनिकों के साथ गुजारा।
किसान भाईयों, आत्महत्या का ख्याल आए तो प्लीज मुझसे मिलना
पिछले साल विभद्र और मराठवाड़ा में किसानों के लगातार आत्महत्या करने के मामले सामने आने का बाद नाना ने किसानों से कहा था कि मेरे किसान भाईयों अगर आप जिंदगी से हारकर इसे खत्म करने का ठान लें तो एक बार मुझसे मिलें।
नाना पाटेकर पिछले कुछ समय से लगातार उन इलाकों में काम कर रहे हैं, जहां किसानों का आत्महत्या के मामले सामने आए हैं। उन्होंने किसानों की विधवाओं की मदद की, कर्जदार किसानों की मदद की।
दुत्कारना मत, वो गाड़ी के सामने आया भिखारी किसान भी हो सकता है
नाना पाटेकर ने महाराष्ट्र में सूखे से बुरी तरह जूझ रहे किसानों की हालत पर इस साल अप्रैल में कहा था कि कार के शीशे पर कोई भिखारी आए तो दुत्कारिएगा मत, वो हमारा किसान भी हो सकता है। ये बात कहते हुए नाना की आंखें भर आई थी।
नाना पाटेकर ने लातूर और दूसरी जगहों पर इस साल पड़े भयानक सूखे के लिए काफी आर्थिक मदद भी की।
'नाम फाउंडेशन' चलाते हैं नाना पाटेकर
नाना पाटेकर 'नाम फाउंडेशन' नाम से एक एनजीओ चलाते हैं। ये फाउंडेशन शिक्षा के लिए, अनाथ बच्चों के लिए, सूखा पीड़ितों किसानों के लिए काम करता है।
अपने सामाजिक कामों के लिए लोगों के दिल में जगह बनाने वाले नाना पाटेकर 1978 से फिल्मों में सक्रिय हैं। उन्होंने हर तरह का रोल अपने करियर में किया है। 65 साल के नाना पाटेकर को अपने अभिनय के लिए कई अवार्ड मिल चुके हैं।