हैदराबाद हाईकोर्ट के जज ने कहा- ईश्वर और मां का विकल्प है गाय
हैदराबाद। आंध्र प्रदेश स्थित हैदराबाद हाईकोर्ट में एक जज ने कहा है कि गाय देश का पवित्र राष्ट्रीय धन है जो मां और ईश्वर का विकल्प है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही राजस्थान हाईकोर्ट के एक जज ने इस बात की वकालत की थी कि गाय को राष्ट्रीय पशु बनाना चाहिए।
एक मवेशी व्यापारी की याचिका को खारिज करते हुए जिसकी 63 गाएंऔर दो बैल जब्त किए गए हैं, हैदराबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी शिव संकर राव ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश उद्धृत करते हुए कहा कि यह एक स्थायी कानूनी स्थिति है कि बकरीद के अवसर पर स्वस्थ गायों को मारने के लिए मुस्लिमों का कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
न्यायाधीश ने यह भी निर्देश दिया कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के पशु चिकित्सक जो फ्रॉड के तहत स्वस्थ गायों को प्रमाणित करते हैं कि वे दूध देने के अयोग्य हैं, उन्हें आंध्र प्रदेश गाय वध अधिनियम, 1977 के तहत सजा दिया गया। उन्होंने यह भी निर्देश दिया कि अधिनियम में संशोधन किया जाना चाहिए और उसके तहत अपराध गैर जमानती और संज्ञेय किया जाना चाहिए। बता दें कि आंध्र और तेलंगाना में, यदि गायों को वृद्ध और अनुत्पादक प्रमाणित किया जाता है तो मारने की अनुमति दी जाती है।
दरअसल मामला यह है कि मवेशी व्यापारी रामबात हनुमा के 65 मवेशियों को जब्त कर लिया गया था। नलगोंडा में एक अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी। इसके बाद मामला हाईकोर्ट गया। कंचनपल्ली गांव से मवेशियों को जब्त कर लिया गया और हनुमा ने जोर देकर कहा कि उन्हें चराई के लिए वहां लाया था। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया था कि हनुमा, अन्य अभियुक्तों के साथ, उन्होंने मवेशी के लिए किसानों से मवेशियों को खरीदा था ताकि बकरीद त्योहार के दौरान गाय का मांस वितरित किया जा सके।
हनुमा की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति राव ने कहा कि ट्रायल कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने की कोई जरूरत नहीं है। "क्या कोई व्यक्ति गायों और बैलों के अंतरिम हिरासत का दावा करने के लिए हकदार है, जब वह कथित रूप से उन्हें वध करने के लिए ले जा रहे थे? न्यायाधीश ने कहा कि गाय मां और ईश्वर का विकल्प है।