हिमाचल पेपर लीक: संदिग्ध पुलिस अफसरों के हाथ में क्यों है मामले की जांच, कांग्रेस ने उठाया सवाल
शिमला, 17 मई। हिमाचल प्रदेश का बहुचर्चित पुलिस कांस्टेबल भर्ती की लिखित परीक्षा के पेपर लीक मामले की चल रही जांच में हर रोज जहां नये-नये रहस्योद्घाटन हो रहे है, वहीं इस सारे गडबडझाले के मास्टरमाइंड तक पहुंचना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है। यही वजह है कि इस मामले की जांच कर रही एसआईटी से जांच लेकर जिम्मा सीबीआई को सौंपने की मांग मुखर हो रही है। शिमला ग्रामीण के कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि हिमाचल पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की जांच सीबीआई से कराई जाए। उनका कहना है कि पेपर लीक मामले की जांच एसआईटी को सौंपना गलत है। पुलिस से जुड़े मामले की जांच एसआईटी से कराने से जांच प्रभावित हो सकती है। विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस कारण से इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपने से सही स्थिति सामने आ सकती है। तभी जाकर दोषी अफसरों और लोगों को पकड़ा जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुलिस भर्ती के पेपर लीक मामले में बहुत बड़ा घोटाला हुआ है। इसमें हिमाचल पुलिस के आला अधिकारी भी संलिप्त हैं। 10 से 15 लाख रुपये तक सीटें बेची गईं। प्रदेश के हजारों बेरोजगार युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया गया। जो लोग शक के दायरे में हैं, सरकार ने उन्हें ही जांच का जिम्मा सौंपा है। ऐसे में कैसे निष्पक्ष जांच हो सकती है।

दरअसल, जांच कर रही एसआईटी पर लोगों को भरोसा इसलिये नहीं है कि पुलिस महकमे के जिन अफसरों पर आरोप लग रहे हैं। वही इसकी जांच भी कर रहे हैं। खासकर पुलिस महकमें के कई आला अधिकारियों के तार इससे जुड़े बताये जा रहे हैं। पेपर लीक में पुलिस हेडक्वार्टर की भूमिका भी संदेह के दायरे में है। जहां से समय रहते कोई कदम नहीं उठाया गया। करीब 76 हजार युवाओं का भविष्य दांव पर लग गया। लगातार हो रही गिरफ्तारियां हर किसी को हैरान कर रही है। विशेष जांच टीम की ओर से गिरफ्तार किये गये दो दलालों, अभ्यर्थियों के मोबाइल फोन कॉल डिटेल और बैंक खाते की जांच करने पर पता चला है कि 50 हजार से लेकर आठ लाख रुपये तक में पुलिस भर्ती के प्रश्न पत्रों की खरीद-फरोख्त हुई थी। अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र रटने के लिए दिए गए थे। वहीं, शिमला में लिखित परीक्षा का टॉपर भी पुलिस के शक के घेरे में आया है।

नेपाली मूल के अभ्यर्थी लोकेंद्र सिंह ने परीक्षा में 80 में से 72 नंबर लिए हैं, लेकिन उससे जब पुलिस ने पूछताछ की तो वह मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के गृह जिला का नाम तक नहीं बता पाया। अधिकारियों ने उससे पूछा कि मुख्यमंत्री किस जिले के रहने वाले हैं तो उसने जवाब में ऊना जिला बताया। यही नहीं, राज्यपाल का नाम राजेंद्र प्रसाद बताया। उससे जितने भी सवाल पूछे, उनके गलत जवाब दिए जिससे वह फंस गया। एसआईटी अब तक इस मामले में ऊना, हमीरपुर, मंडी, कांगड़ा सहित अन्य जिलों में करीब 400 परीक्षार्थियों से पूछताछ कर चुकी है, जबकि अब तक 16 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं। पेपर लीक मामले के तार पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश से भी जुड़ रहे हैं। गिरफ्तार किए गए अभ्यर्थियों और उनके परिजनों के बैंक खाते खंगालने पर पता चला कि उन्होंने अपने खातों से परीक्षा के चार-पांच दिन के बीच 50 हजार से लेकर 8 लाख रुपये तक निकाले हैं।
प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष नरेश चौहान ने कहा कि पुलिस भर्ती पेपर लीक मामले की जांच किसी जज या सीबीआई से कार्रवाई जाए। यह पुलिस भर्ती का ही मामला है और एसआईटी भी पुलिस की है। इसलिए इस जांच का कोई मतलब नहीं रह जाता है। प्रदेश के डीजीपी को पद से हटाया जाए। मुख्यमंत्री की क्या मजबूरी है जो डीपीपी संजय कुंडू को बचाना चाह रहे हैं। सरकार संदिग्ध लोगों को तुरंत गिरफ्तार करे। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा प्रदेश में मुद्दों को भटकाने का प्रयास कर रहे हैं। नड्डा ने पेपर लीक मामले में एक शब्द तक नहीं कहा और मुख्यमंत्री की पीठ थपथपाने में लगे हैं। नरेश चौहान ने कहा कि प्रदेश में माफिया का राज चल रहा है। मीडिया के अनुसार आरोप है कि पुलिस परीक्षा का पेपर तीन से आठ लाख रुपये में बिका है। इसमें करोड़ों का लेन-देन हुआ है। सरकार इसमें शामिल लोगों को बचाने का प्रयास कर रही है। चौहान ने कहा कि सरकार अपनी जवाबदेही से बच रही है। मुख्यमंत्री दबाव में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने पूछा कि वह बताएं कि उन्हें क्या डर सता रहा है। प्रधानमंत्री से लेकर शाह और नड्डा सभी भाजपा नेता पिछले सात सालों से कांग्रेस को कोसने में ही लगे हैं।
पुलिस कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के प्रश्नपत्र लीक होने के बाद अब हर कदम फूंक-फूंक कर रखा जा रहा है। इस परीक्षा को रद्द करने के बाद दोबारा परीक्षा लेने की तैयारियां तेज हो गई हैं। 15 जून तक यह परीक्षा होगी। प्रश्न पत्रों की छपाई कहां होगी, इसका फैसला परीक्षा से दो दिन पूर्व लिया जाएगा। परीक्षा को लेकर सचिवालय में रोजाना गुप्त बैठक हो रही हैं। सूचनाएं लीक न हो, इसके चलते बैठकों में दो से तीन अधिकारियों को ही शामिल किया जा रहा है। बैठकों में सीटिंग प्लान, सिक्योरिटी, ड्रोन से परीक्षार्थियों पर नजर रखने, कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने आदि पर मंथन किया गया है। बताया जा रहा है कि परीक्षा केंद्रों में जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगेगी, उन्हें पहले प्रशिक्षण दिया जाएगा। पेपर लीक मामले में अब तक जिन परीक्षार्थियों को पुलिस ने पूछताछ में शामिल किया है, उन्हें दोबारा परीक्षा में बैठाने पर अभी फैसला लिया जाना है। उल्लेखनीय है कि पेपर लीक मामले में अब तक 16 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जा चुका है। पेपर लीक मामले की 26 मई को हाईकोर्ट में भी सुनवाई हो सकती है।