इंडिया के टॉप कॉलेजों में शुमार शिमला के इस कॉलेज में जिन्ना की एक नहीं बल्कि दो-दो तस्वीरें
शिमला। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर भले ही देश भर में बवाल मच रहा हो, लेकिन देश के नामी संस्थान भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में एक नहीं जिन्ना की दो तस्वीरें आज भी पूरे सम्मान के साथ रखी गई हैं। यहां आने वाले लोग उन्हें नफरत की नजर से नहीं देखते। देश दुनिया से आने वाले आगतुंक जिन्ना को उतना ही सम्मान देते हैं, जितना जवाहर लाल नेहरू या महात्मा गांधी को। जिन्ना दो बार शिमला आए, उन्हीं यादों को ताजा करती यह तस्वीरें आकर्षण का केन्द्र हैं।
इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज में हैं तस्वीरें
शिमला का इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज अपने आप में एक अनूठा संस्थान है। एक ओर देश भर में भगवा ब्रिगेड व कुछ लोग तस्वीरों में जिन्ना की मौजूदगी को लेकर हाय तौबा मचा रहे हैं। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में जिन्ना की तस्वीर मौजूद होने पर भाजपा सांसद सतीश गौतम ने विरेाध जताया है। लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडीज शिमला में भी मोहम्मद अली जिन्ना की दो तस्वीरें करीने से सजी हैं। यह तस्वीरें यहां संग्राहलय में स्थापित हैं। हालांकि संस्थान में जिन्ना की कोई एकल फोटो नहीं है, परंतु उनकी दो तस्वीरें ऐसी हैं, जिनमें से एक में वे चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के साथ हैं और दूसरी में वे कैबिनेट मिशन के सदस्यों के साथ हैं। ये ऐतिहासिक तस्वीरें हैं और शिमला स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट आफ एडवांस्ड स्टडी के म्यूजियम में हैं।
ब्रिटिशकाल से लेकर आजाद भारत की कई ऐतिहासिक तस्वीरें हैं मौजूद
बता दें कि ब्रिटिश हुकूमत के समय शिमला भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी थी। यहां ब्रिटिश वायसराय वायसरीगल लॉज में रहा करते थे। वायसरीगल लॉज वो भव्य इमारत है, जिसे आजादी के बाद राष्ट्रपति निवास में बदला गया और फिर देश के तत्कालीन राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने इसे उच्च अध्ययन के लिए समर्पित किया और इसका नाम भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान पड़ा। ऐसे में संस्थान की इमारत में ब्रिटिशकाल से लेकर आजाद भारत की कई ऐतिहासिक तस्वीरें हैं। यहां मौजूद तस्वीरों में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, राजेंद्र प्रसाद व कांग्रेस की अन्य प्रभावशाली हस्तियों की तस्वीरें मौजूद हैं। इन्हीं में पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की भी दो तस्वीरें हैं। संस्थान में मौजूद सभी ऐतिहासिक तस्वीरों को कुछ साल पहले ही म्यूजियम में शिफ्ट किया गया था। अब सारी तस्वीरें एकसाथ म्यूजियम में मौजूद हैं।
जिन्ना सबसे पहले वर्ष 1945 में शिमला आए
मोहम्मद अली जिन्ना मुस्लिम लीग के बड़े नेता थे। देश विभाजन के बाद वे पाकिस्तान के मुखिया रहे। देश के विभाजन से पहले शिमला में ब्रिटिश हुकूमत के साथ कई तरह की वार्ताएं आयोजित होती थीं। जिन्ना सबसे पहले वर्ष 1945 में शिमला आए। शिमला सम्मेलन में शिरकत करने के दौरान जिन्ना की एक तस्वीर चक्रवती राजगोपालाचारी के साथ है। राजगोपालाचारी मद्रास प्रांत के मुख्यमंत्री थे और बाद में स्वतंत्र भारत के पहले गर्वनर जनरल थे। इस तस्वीर में जिन्ना राजगोपालाचारी से हाथ मिलाते दिखाई दे रहे हैं। जिन्ना भी पाकिस्तान के पहले गर्वनर जनरल बने थे।
कॉलेज के जनसंपर्क अधिकारी ने की पुष्टि
जिन्ना वर्ष 1946 में फिर शिमला आए थे। महत्वपूर्ण संवैधानिक मामलों को लेकर शिमला में त्रिपक्षीय वार्ता हुई थी। उसमें कैबिनेट मिशन के सदस्य भी शामिल हुए थे। जिन्ना अखिल भारतीय मुस्लिम लीग के अध्यक्ष के तौर पर बैठक में आए थे। मई 12 को ये बैठक बिना किसी परिणाम के खत्म हुई। बाद में कैबिनेट मिशन ने 16 मई 1946 को कैबिनेट मिशन योजना की घोषणा की। मुस्लिम लीग ने उसे खारिज कर दिया और इस तरह देश का बंटवारा होने की आशंका प्रबल हुई और बंटवारा हुआ भी। जिन्ना की दूसरी तस्वीर जो भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान में लगी है, उसमें वो हाथ में सिगार लिए हुए हैं। उनके साथ चित्र में कैबिनेट मिशन के सदस्य एवी एलेक्जेंडर, फ्रैडरिक लॉरेंस व स्टेफोर्ड क्रिप्स हैं। भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान के जनसंपर्क विभाग में कार्यरत राजेश कुमार के अनुसार संस्थान में जिन्ना की दो तस्वीरें हैं। उन्होंने बताया कि यहां जिन्ना की कोई एकल तस्वीर नहीं है। राजेश कुमार के अनुसार संस्थान में ब्रिटिश हुकूमत के समय ब्रिटिश हुक्मरानों, भारतीय नेताओं व अन्य प्रभावशाली हस्तियों की तस्वीरें मौजूद हैं, जिन्हें एक म्यूजियम में रखा गया है।
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