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एक दूसरे पर बरसते रहे पत्थर, लोग करते रहे घायल होने का इंतजार

देवभूमि हिमाचल प्रदेश में आज भी लोग मेले, त्योहारों में सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वहन करते चले आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही नजारा दिवाली के दूसरे दिन शिमला के धामी में देखने को मिला। जब यहां जुटे सैंकड़ों लोग एक-दूसरे पर पत्थरों की बरसात करते नजर आए।

By Gaurav Dwivedi
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शिमला। देवभूमि हिमाचल प्रदेश में आज भी लोग मेले, त्योहारों में सदियों पुरानी परंपराओं का निर्वहन करते चले आ रहे हैं। कुछ ऐसा ही नजारा दिवाली के दूसरे दिन शिमला के धामी में देखने को मिला। जब यहां जुटे सैंकड़ों लोग एक-दूसरे पर पत्थरों की बरसात करते नजर आए। शनिवार को शिमला जिले की हलोग धामी पंचायत के चौरा गांव में अनोखा मेला लगा। जिसमें लगभग आधे घंटे तक स्थानीय लोगों ने एक दूसरे पर जमकर पथराव किया और दर्शक इस पथराव का आनंद उठाते रहे। दरअसल ये सब एक परंपरा के तहत होता है, जिसमें पत्थर से घायल किसी आदमी का रक्त माता काली को चढ़ाकर प्रथा को पूर्ण किया जाता है।

हजारों सालों से चली आ रही है परंपरा

हजारों सालों से चली आ रही है परंपरा

स्थानीय लोग बताते हैं कि हजारों साल पहले यहां पर माता काली को मानव बलि चढ़ाने का रिवाज था। कालांतर में जब एक राजा की मृत्यु के बाद उनकी रानी सती हुई तो उस सती ने इस प्रथा को बदल डाला। नई प्रथा में धामी रियासत के समुदायों को 2 टोलियों में बांट दिया गया, जिसमें से एक टोली में जमोगी और दूसरी टोली में कटेडु, धगोई और तुनडु समुदाय के लोग आते हैं। ये दोनों टोलियां एक निश्चित स्थान से एक-दूसरे पर पत्थर से हमला करती हैं और फिर जिस पहले आदमी को पत्थर लगता है, उसका खून काली माता को चढ़ाकर प्रथा को पूर्ण किया जाता है।

पहले होने वाले घायल का रहता है इंतजार

पहले होने वाले घायल का रहता है इंतजार

गौरतलब है कि इस परंपरा में किसी भी जानवर का रक्त नहीं चढ़ाया जाता बल्कि मानव रक्त चढ़ाकर संकेतात्मक रूप से बलि प्रथा पूरी की जाती है। इस अवसर पर मेले का आयोजन भी किया जाता है, जिसे पत्थरों का मेला कहा जाता है। आज ये मेला अंतर्राष्ट्रीय ख्याति अर्जित कर चुका है और देश के अलावा विदेश से भी लोग इस अनोखे मेले को देखने के लिए आते हैं।

खून दिखते ही लहर उठता है झंडा

खून दिखते ही लहर उठता है झंडा

इस बार का पत्थर जमोगी टोली के गोरी गांव के प्रकाश चंद को लगा। प्रकाश चंद का रक्त माता काली को चढ़ाया गया। इससे पहले राजपरिवार के जगदीप सिंह और राजपुरोहित देवेंद्र कुमार ने पूजन करके मेले की शुरुआत की। इसके बाद दोनों टोलियां एक-दूसरे पर पथराव करती रहीं। जैसे ही प्रकाश को पत्थर लगा, वैसे ही झंडा लहराकर पथराव को रोक दिया गया।

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English summary
Traditional 'Assault' Puja for Maa Kali after Diwali in Shimla, Himachal Pradesh
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