हिमाचल प्रदेश: वतन वापसी के लिए आंदोलन करने वाले 'तिब्बती' इस बार मतदान कर रचेंगे इतिहास
यहां ये दिलचस्प होगा कि जो लोग मतदान करेंगे, उससे उनका भारत में मिला शरणार्थी दर्जा खत्म हो सकता है, ऐसा कानूनी प्रावधान है। हालांकि तिब्बती भारत से मांग कर रहे हैं कि मतदान करने वालों से शरणार्थी पहचान ना छीना जाए।
शिमला। यूं तो तिब्बती भारत में रहकर अपने वतन वापिसी के लिए आंदोलन चलाते रहे हैं लेकिन इस बार वो हिमाचल प्रदेश में हो रहे विधानसभा चुनावों के मतदान में शामिल होकर नया इतिहास रचेंगे। दरअसल हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लेकर देश में एक हजार तिब्बतियों ने चुनाव आयोग के समक्ष खुद को पंजीकृत करवाया है। इनमें से बहुत सारे तिब्बतियों ने तिब्बत की आजादी पर प्रभाव पड़ने के डर से इस पंजीकरण को छोड़ दिया है। यहां ये दिलचस्प होगा कि जो लोग मतदान करेंगे, उससे उनका भारत में मिला शरणार्थी दर्जा खत्म हो सकता है, ऐसा कानूनी प्रावधान है। हालांकि तिब्बती भारत से मांग कर रहे हैं कि मतदान करने वालों से शरणार्थी पहचान ना छीना जाए।
तिब्बतियन सेटलमेंट अफसर से मिली जानकारी के मुताबिक धर्मशाला के पास मैकलोडगंज में तिब्बत की निर्वासित सरकार के गैंगचैन डिवीजन, वीर तिब्बतियन और डेज डिवीजन जो बैजनाथ के बीड़ बिलिंग क्षेत्र में आता है, अधिकतर मतदाताओं को आगामी चुनाव के चलते पंजीकृत किया गया है। सूत्रों के मुताबिक निर्वासित तिब्बतियों की क्षेत्र में 22,000 के लगभग तादाद है जो कि कर्नाटक के बाद देश की सबसे ज्यादा संख्या है। इस बारे में दलीप बोद्ध ने बताया कि बैजनाथ के पास डेज डिविजन के विलेज तक पहुंचने में पूरी पहाड़ी चढ़ने के लिए दो घंटों का समय लगता है। इस गांव में 6-7 घरों के लिए हर चुनाव में बूथ स्थापित किया जाता है।
बोद्ध कहते हैं जिन लोगों को सांस लेने में दिक्कत होती है और हॉर्ट पसेंट हैं, वे इस मार्ग से ऊपर नहीं चढ़ सकते क्योंकि ये यात्रा उनके लिए खतरनाक हो सकती है। इस बारे में चुनाव अधिकारी पुष्पेंद्र राजपूत ने बताया कि सात नंवबर को पोलिंग पार्टियां रवाना होंगी। हालांकि आठ नवंबर तक मौसम साफ रहने का अनुमान है, लेकिन पहाड़ी इलाके में मौसम अचानक बदल जाता है। हम चुनाव खत्म होने तक आसमान साफ रहने की प्रार्थना कर रहे हैं।
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