हिमाचल की बहू बनी गायिका अर्शप्रीत, महिलाओं ने संपन्न कराई शादी की रस्में
इस आनंद काम को नामधारी संगत की ओर से सादे समारोह में करवाया गया। खास बात ये रही कि इस शादी की सारी रस्में महिलाओं द्वारा पूरी की गईं।
शिमला। जानी मानी गायिका और सुरों की मल्लिका अर्शप्रीत कौर आखिर हिमाचल की बहू बन ही गईं। प्रदेश के मंडी नगर के लोगों को उनकी शादी का इंतजार पिछले कई दिनों से था, जो खत्म हुआ। अर्शप्रीत कौर गायक अरिन अरोड़ा के साथ परिणय सूत्र में बंध गईं। सबसे दिलचस्प बात ये है कि इस शादी में कोई तामझाम नहीं था। सभी रस्में सादगी के साथ संपन्न हुईं। अर्शप्रीत कौर और अरिन अरोड़ा की शादी नामधारी रिति रिवाज के साथ संपन्न हुई। मंडी के ऐतिहासिक सेरी मंच पर आयोजित विवाह समारोह में भारी तादाद में लोग उमड़े थे। इस आनंद काम को नामधारी संगत की ओर से सादे समारोह में करवाया गया। खास बात ये रही कि इस शादी की सारी रस्में महिलाओं द्वारा पूरी की गईं। मंडी शहर के इतिहास की ये पहली घटना है जब सार्वजनिक रूप से किसी शादी की रस्में ग्रंथियों की बजाए महिलाओं द्वारा की गईं।
अर्शप्रीत की शादी की खास बात
शादी के मंडप में फेरों की रस्म और अन्य रस्में महिलाओं ने करवाए जिन्हें इसके लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित किया गया है। इस मौके पर नामधारी संगत के सतगुरु दलीप सिंह ठाकुर विशेष रूप से उपस्थित रहे। उन्होंने वर-वधू को आशीर्वाद देते हुए कहा कि रंग-बिरंगे माहौल में हुई ये शादी मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने कहा कि विनम्रता और सादगी सिख का गहना है और शादी में फिजूल खर्च से बचना चाहिए। कम से कम खर्च कर बचत कर राशि को गरीबों के कल्याण व अन्य समाजसेवी कार्यों में खर्च करना चाहिए।
नामधारी संगत की ओर से कई अपील
उन्होंने सभी से सारे मतभेद भुलाकर एकता में रहने का आह्वान दिया, वहीं भारत माता का गौरव लौटाने के लिए स्वदेशी को अपनाने के लिए नामधारी पंथ के सतगुरु राम सिंह ने भी इस दिशा में प्रयास किए थे। गऊ रक्षा और अखंड भारत की उन्नति के लिए नामधारी संगत की ओर से रविवार को ऐतिहासिक सेरी मंच पर हवन-यज्ञ, चंडी दीवार और आनंद काम का आयोजन किया गया।
विशेष रस्मों से हुई शादी
मंडी के इतिहास में ये पहली घटना है जब महिलाओं ने हवन-यज्ञ और चंडी दीवार का पाठ करने के अलावा आनंद काम यानी विवाह करवाने की रस्म की अदायगी की।
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