शिमला: दो मंजिला घर में लगी भीषण आग, राख के ढेर में तब्दील हो गया आशियाना
शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में एक बार फिर आग ने अपना तांडव दिखाया है। भयावह आग से दो परिवारों के आशियाने पल भर में तबाह हो गए हैं। जिला शिमला के चौपाल के बमटा में मंगलवार सुबह एक भवन में अचानक भीषण अग्निकांड में दो मंजिला मकान पूरी तरह से जलकर राख हो गया। हालांकि इस अग्निकांड में किसी के हताहत होने की खबर नहीं है।
आग सुबह तड़के का मामला
मिली जानकारी के अनुसार घटना सुबह करीब 5.40 बजे हुई। परिवारों ने आगजनी के दौरान भाग कर अपनी जान बचाई। इस अग्निकांड में मंगतराम और रमेश कुमार दो परिवार बेघर हो गए हैं। यह मकान गांव से काफी दूर अकेले में था, जिस कारण दमकल वाहन घटना स्थल तक नहीं पहुंच पाया। गांव के लोग आग बुझाने की कोशिश में जुटे रहे। पीड़ित परिवार की आंखों से सामने ही पूरा मकान पल भर में राख के ढेर में तब्दील हो गया। चौपाल थाना पुलिस ने केस दर्ज कर आग लगने के कारणों की जांच शुरू कर दी है। आग के कारणों का अभी पता नहीं चल पाया है। जिला अग्निशमन अधिकारी डीसी शर्मा ने मामले की पुष्टि की है। दरअसल, हिमाचल प्रदेश में हर साल कई गांव आग की चपेट में आ रहे हैं। सर्दियों के मौसम में पहाड़ी इलाकों में मकानों में आग लगना तो अब आम बात हो गई है।
लगातार हो रही आगजनी की वारदातों को रोकने में सरकार नाकाम
गुरूवार को जिस तरीके से जिला शिमला के चौपाल के सरांहा में आग लगी व उसे बुझाने में सरकारी अमले की नाकामी ने एक बार फिर सरकारी दावों की पोल खोल कर रख दी है। हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी इलाकों में मैदानी इलाकों के विपरीत आज भी भवन निर्माण प्राचीन शैली पर ही होता है। यहां पूरा का पूरा मकान लकड़ी का ही बनता है व आग लगने की सूरत में यह लाक्षागृह बन जाता है। चूंकि इन मकानों पर आग पर काबू पाने के लिए कोई भी तरकीब काम नहीं आ रही। ज्यादातर गांव पहाड़ों में बसे हैं जहां दमकल गाडियां पहुंच ही नहीं पातीं। जो पहुंच पाती है वह बीच रास्ते में ही जवाब दे जाती हैं। लिहाजा अब वक्त आ गया है कि सरकार को भवन निर्माण में काई नई तकनीक लानी होगी। ताकि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
22 दिसंबर को भी जल गए थे 9 मकान
अगर पिछले दिनों की बात करें तो 22 दिसंबर को चौपाल के गांव कशा में आग से 9 मकान जल गए थे। इस भंयकर अग्निकांड में एक गाय व एक बकरा जिंदा जला गया इस घटना में 15 परिवार प्रभावित हुए थे। इसी तरह कई और वारदातें हो चुकी हैं। जहां लोगों को आग पर काबू पाने का मौका ही नहीं मिल पाया।
ये भी पढ़ें- 'मौत' के 2 साल बाद जिंदा लौट आया बेटा, रोकर बताई 'मायानगरी' में मिले दर्द की दास्तां